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बिहार में SIR के बाद 7.3 करोड़ वोटर... अंतिम मतदाता सूची जारी होने से पहले आई चौंकाने वाली जानकारी, जानें युवाओं की कितनी बढ़ी हिस्सेदारी

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. इस बीच विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची जारी होगी, जिसमें 7.3 करोड़ से अधिक मतदाता शामिल होने की संभावना है. सूत्रों के मुताबिक नई सूची में लगभग 14 लाख नए मतदाता होंगे, जिनमें करीब 10 लाख युवा पहली बार वोट करेंगे और 4–5 लाख 25 वर्ष से अधिक उम्र के नए मतदाता हैं.

26 Sep, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
11:11 PM )
बिहार में SIR के बाद 7.3 करोड़ वोटर... अंतिम मतदाता सूची जारी होने से पहले आई चौंकाने वाली जानकारी, जानें युवाओं की कितनी बढ़ी हिस्सेदारी

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है. सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों ही गठबंधनों में शामिल दल अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ जनता तक पहुंच बनाने में जुटे हैं. इस बीच, विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 30 सितंबर को बिहार की अंतिम और फाइनल मतदाता सूची जारी की जाएगी. सूत्रों के अनुसार, नई मतदाता सूची में 7.3 करोड़ से अधिक मतदाता शामिल होंगे, जो ड्राफ्ट सूची (7.24 करोड़) से अधिक है, लेकिन जनवरी 2025 की मतदाता सूची (7.8 करोड़) से कम है. 

14 लाख नए मतदाता सूची में शामिल होने की संभावना

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत तैयार होने वाली अंतिम मतदाता सूची में लगभग 14 लाख नए मतदाताओं के नाम जुड़ने की संभावना है. इनमें से करीब 10 लाख युवा पहली बार वोट करने जा रहे हैं, जिन्होंने हाल ही में 18 वर्ष की आयु पूरी की है. वहीं, 4–5 लाख मतदाता 25 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, जिन्होंने पहली बार वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराया है. राजनीति और चुनाव से जुड़े तमाम जानकारों का यह भी मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में 25 वर्ष से ऊपर के नए मतदाता जुड़ना असामान्य है. ऐसे में माना जा रहा है कि इनमें से कई ऐसे लोग हैं, जिनके नाम ड्राफ्ट सूची में शामिल नहीं थे या पिछले पुनरीक्षण में किसी कारण से छूट गए थे.

कब शुरू हुई थी SIR की प्रक्रिया?

बिहार विधानसभा चुनाव के हलचल के बीच चुनाव आयोग ने 24 जून को SIR से जुड़े आदेश जारी किए थे, इस प्रक्रिया के तहत 25 सितंबर तक सभी दावे और आपत्तियां निपटाए जाने थे. वहीं सूत्रों के अनुसार, अब तक 90% से अधिक मामलों का निपटारा हो चुका है. हालांकि आयोग ने लचीला रुख अपनाते हुए कुछ और दिनों तक इन मामलों पर विचार जारी रखने का निर्णय लिया है. चुनाव आयोग द्वारा 1 सितंबर को दिए गए बयान के मुताबिकर, 36,475 नाम शामिल करने और 2.17 लाख नाम हटाने के दावे दायर किए गए थे. इनमें से 34,000 से अधिक नामों के बहाल होने की उम्मीद अंतिम सूची में जताई जा रही है.

नामों की कटौती के बाद हुआ था सियासी बवाल 

जानकारी देते चलें कि बिहार की मतदाता सूची में कुल 7.24 करोड़ मतदाता दर्ज थे, लेकिन इसमें 65 लाख नाम हटाए गए थे. इनमें 22 लाख मृतक मतदाता थे, इसके बाद बचे हुए 45 लाख ऐसे नाम थे जो विभिन्न कारणों से हटाए गए थे. इनमें मुख्य कारण नामांकन फॉर्म जमा न करना, पते पर अनुपस्थित रहना या स्थायी रूप से अन्यत्र स्थानांतरित होना बताया गया है.

सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी चुनौती

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इस बड़ी संख्या में हुई कटौती को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर केंद्र सरकार के लिए काम करने का आरोप लगाया गया था. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है और फिलहाल यह मामला अदालत में लंबित है. अंतिम सूची जारी होने के बाद ही कटे हुए नामों की सटीक संख्या और नई शामिल हुई सूची का पूरा जानकारी साफ होगी. इस बार बिहार के चुनाव में युवा वोटरों की बढ़ती हिस्सेदारी सियासी रणनीतियों को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे राज्य में चुनावी महौल और उत्साह दोनों बढ़ने की उम्मीद है.

बता दें कि चुनाव आयोग 30 सितंबर को बिहार की अंतिम मतदाता सूची जारी करेगा. वहीं दूसरी तरफ उम्मीद यह भी लगाई जा रही है कि इसके बाद आयोग द्वारा जल्द ही चुनाव की तारीख़ों का ऐलान भी किया जा सकता है. सूत्रों की माने तो 2 अक्टूबर दहशहरा के बाद चुनाव का ऐलान कभी भी हो सकता है. इसी उम्मीद के साथ सियासी दल भी अपनी तैयारियों को तेज कर रहे हैं.

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