बिहार चुनाव: BJP ने सवर्णों को दी तरजीह, JDU ने ओबीसी पर रखा भरोसा; जानें NDA ने कैसे सेट किया जातिगत समीकरण
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी और जेडीयू के 101-101 उम्मीदवार घोषित किए हैं. दोनों दलों ने मिलाकर पिछड़ा-अति पिछड़ा 99 और सवर्ण 71 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. जदयू ने विशेष ध्यान देते हुए 37 पिछड़ा और 22 अति पिछड़ा उम्मीदवार चुने हैं, साथ ही 22 सवर्ण, 15 दलित और 1 आदिवासी उम्मीदवार को भी टिकट दिया है. मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या इस बार जदयू में कम रही है.
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Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए अब गिनती के कुछ दिन रह गए हैं. बिहार की सत्ता में वर्तमान में काबिज एनडीए गठबंधन में शामिल दलों ने सीट बंटवारे के बाद अपने-अपने कोटे के उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी कर चुके है. प्रत्याशियों के चयन में नडीए की कैंडिडेट लिस्ट में सामाजिक समीकरणों को खास ध्यान में रखा है. सत्ता में शामिल बीजेपी और जेडीयू ने अपने कोर वोटरों का संतुलन बनाने के लिए उम्मीदवारों का चयन किया है. एनडीए गठबंधन के तहत भाजपा और जेडीयू ने 101-101 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं और दोनों दलों ने मिलाकर पिछड़ा-अति पिछड़ा समाज के 99 और सवर्ण समाज के 71 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं.
जेडीयू ने ओबीसी पर दिया विशेष ध्यान
नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने 101 उम्मीदवारों में 37 पिछड़ा और 22 अति पिछड़ा वर्ग के नेताओं को टिकट दिया है. इसमें अग्रहरि, बांसफोर और खरवार जैसी अत्यंत उपेक्षित जातियों को भी मौका मिला है. इसके अलावा जेडीयू ने 22 सवर्ण उम्मीदवार भी उतारे हैं, जिनमें ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार और कायस्थ शामिल हैं. दलित वर्ग के 15 और आदिवासी समाज के एक उम्मीदवार को भी पार्टी ने टिकट दिया है. पार्टी ने इस बार मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या में कमी की है. पिछले चुनाव में 11 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में थे, जबकि इस बार केवल 4 को टिकट मिला है. अररिया से शगुफ्ता अजीम, जोकीहाट से मंजर आलम, अमौर से सबा जफर और चैनपुर से जमा खान को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. जेडीयू ने इस बार युवाओं पर भी भरोसा जताया है और दो दर्जन से अधिक नए युवा नेताओं को मैदान में उतारा है.
बीजेपी ने सवर्णों पर दिया जोर
वहीं, बीजेपी ने अपने 101 उम्मीदवारों में 49 सवर्ण उम्मीदवार उतारे हैं. इनमें 21 राजपूत, 16 भूमिहार, 11 ब्राह्मण और एक कायस्थ शामिल हैं. इसके अलावा 13 वैश्य, 12 अति पिछड़ा, 7 कुशवाहा, 2 कुर्मी, 12 दलित और सिर्फ 6 यादव उम्मीदवार मैदान में हैं. पिछले चुनाव में यादव उम्मीदवारों की संख्या 15 थी, लेकिन इस बार आंकड़ा लगभग आधा कर दिया गया है. जानकारी देते चलें कि बीजेपी ने इस बार एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है.
महिला उम्मीदवारों की क्या है स्थिति?
एनडीए गठबंधन ने महिला प्रतिनिधित्व पर भी ध्यान दिया है. कुल पांच दलों ने मिलकर 35 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है. जेडीयू और बीजेपी ने 13-13 महिला उम्मीदवार मैदान में उतारे, जबकि लोजपा (रामविलास) ने छह, हम ने दो और रालोमो ने एक महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है.
एनडीए की सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश
एनडीए की रणनीति में पिछड़ा-अति पिछड़ा और सवर्ण समाज के बीच संतुलन बनाने के प्रयास साफ दिखाई देते हैं. बीजेपी ने सवर्णों में राजपूतों और भूमिहारों पर दांव खेला है, जबकि जेडीयू ने पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग में उपेक्षित जातियों को मौका दिया है. दलित और महिला उम्मीदवारों को भी उचित प्रतिनिधित्व मिला है. यह पूरी रणनीति चुनाव में कोर वोटरों को संतुष्ट करने और क्षेत्रीय समीकरणों को मजबूत करने की दिशा में काम करेगी.
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बताते चलें कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने अपने सामाजिक समीकरण और कोर वोटरों के संतुलन पर खास ध्यान दिया है. बीजेपी ने सवर्ण समाज में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया है, वहीं जेडीयू ने ओबीसी और ईबीसी उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी है. महिला और दलित प्रतिनिधित्व के साथ, गठबंधन ने चुनावी रणनीति को संतुलित रूप में पेश किया है. ऐसे में अब यह देखना होगा कि बिहार की जनता इस बार एनडीए की इस रणनीति को किस तरह स्वीकारती है और चुनाव परिणाम पर इसका क्या असर पड़ता है.
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