बिहार चुनाव: रवि किशन से मुलाकात के बाद तेज प्रताप ने कर दी तेजस्वी की हार तय...! जानें पूरा मामला
Bihar Election 2025: पटना एयरपोर्ट पर बीजेपी सांसद रवि किशन और तेज प्रताप यादव की अचानक मुलाकात ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी. दोनों नेताओं ने कुछ देर बातचीत की, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गईं. तेज प्रताप ने कहा कि वे रवि किशन से पहली बार मिले हैं और दोनों भगवान शिव के भक्त हैं. बीजेपी से जुड़ने के सवाल पर उन्होंने साफ कहा, 'मैं उसी के साथ रहूंगा जो बेरोजगारी दूर करे.'
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बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण शांतिपूर्वक संपन्न हो चुका है. अब सभी सियासी दल दूसरे चरण में होने वाली 122 विधानसभा सीटों पर प्रचार के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. इस बार का विधानसभा चुनाव हर बार से काफी अलग माना जा रहा है. क्योंकि इस बार एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन के अलावा लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी मैदान में हैं. ऐसे में चुनावी माहौल में नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है. इन सबके बीच शुक्रवार को पटना से सामने आई एक तस्वीर ने बिहार की राजनीति में नई चर्चा को जन्म दे दिया है.
दरअसल, पटना एयरपोर्ट पर शुक्रवार को एक दिलचस्प नज़ारा देखने को मिला जब बीजेपी सांसद रवि किशन और जनशक्ति जनता दल के संस्थापक तेज प्रताप यादव आमने-सामने आ गए. दोनों नेताओं के बीच कुछ देर बातचीत भी हुई. दोनों को साथ देखकर राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर तेज हो गया है. कहा जा रहा है कि तेज प्रताप की बीजेपी खेमे से नज़दीकियां बढ़ रही हैं. इस मुलाकात ने बिहार में नए राजनीतिक समीकरणों को लेकर चर्चाओं को और हवा दे दी है. जानकारी के मुताबिक, रवि किशन और तेज प्रताप अपने-अपने चुनावी कार्यक्रमों को पूरा करने के बाद पटना एयरपोर्ट पहुंचे थे. जैसे ही दोनों नेता बाहर निकले, मीडिया ने उन्हें घेर लिया और सवालों की बौछार शुरू हो गई.
रवि किशन से मैं उनसे पहली बार मिल रहा हूं: तेज प्रताप
पत्रकारों से बातचीत के दौरान तेज प्रताप यादव ने बताया कि पटना एयरपोर्ट पर उनकी रवि किशन से यह पहली मुलाकात थी. उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, 'हम दोनों भगवान शिव के भक्त हैं और माथे पर त्रिपुंड धारण करते हैं, बस यही समानता है.' जब उनसे पूछा गया कि क्या वे बीजेपी के साथ आने वाले हैं, तो तेज प्रताप ने स्पष्ट कहा, नहीं. उन्होंने आगे कहा, 'मैं उसी के साथ रहूंगा जो बेरोजगारी खत्म करने का काम करेगा.' वहीं, जब रवि किशन से तेज प्रताप की तारीफ करने वाले बीजेपी नेताओं के बयानों पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, 'यह तेज प्रताप का अपना व्यक्तित्व है, जो लोगों के दिलों में जगह बना रहा है.'
जन शक्ति जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महुआ विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार #TejPratapYadav ने कहा, 'मैं रवि किशन से पहली बार मिला वो भगवान के भक्त हैं, और हम भी भक्त हैं' इसलिए जो बेरोज़गारी दूर करेगा मैं उसके साथ हूं.#BiharElection2025
— NMF NEWS (@nmfnewsofficial) November 8, 2025
Source: ANI pic.twitter.com/Rqqgc1Pr26
भविष्य में कुछ भी हो सकता है: रवि किशन
इस मुलाकात के बाद जब बीजेपी सांसद रवि किशन से पत्रकारों ने सवाल किया कि क्या भविष्य में कोई राजनीतिक समीकरण संभव है, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, 'राजनीति में कुछ भी हो सकता है.' उन्होंने आगे कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने उन सभी लोगों के लिए दरवाजे खुले रखे हैं जो भोलेनाथ के सच्चे भक्त हैं और निस्वार्थ भाव से जनता की सेवा करना चाहते हैं, न कि किसी निजी स्वार्थ के लिए राजनीति में आए हैं.' हालांकि जब रवि किशन से पूछा गया कि क्या लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के साथ किसी तरह का अन्याय हुआ है, तो उन्होंने सवाल को टालते हुए कहा, 'ऐसे सवाल अभी मत पूछिए, चुनाव का माहौल है. बिहार की जनता बहुत समझदार है, वह सही और गलत दोनों को अच्छी तरह पहचानती है.' दोनों नेताओं की यह अचानक हुई भेंट अब बिहार के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का सबसे गर्म विषय बन चुकी है.
NDA को समर्थन देंगे तेज प्रताप?
पटना एयरपोर्ट पर हुई यह मुलाकात भले ही संयोग मानी जा रही हो, लेकिन दोनों नेताओं के बयानों ने राजनीतिक हलकों में नई अटकलों को जन्म दे दिया है. माना जा रहा है कि अगर आरजेडी से नाराज़ चल रहे तेज प्रताप यादव कुछ सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रहते हैं, तो वे चुनाव के बाद एनडीए को समर्थन दे सकते हैं. ऐसा होने पर बिहार की राजनीति में यह एक बड़ा और अप्रत्याशित बदलाव माना जाएगा.
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गौरतलब है कि बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 121 सीटों पर पहले चरण में 6 नवंबर को मतदान हो चुका है. अब 11 नवंबर को दूसरे चरण में 122 सीटों पर वोटिंग होगी और नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. तब जाकर पता चलेग कि आखिर नेताओं के यह मेल-मुलाकात और एक दूसरे पर की गई टिप्पणी नतीजों पर क्या प्रभाव डालती है.
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