ओवैसी की पार्टी के लिए बंद RJD के दरवाजे! बैरंग लौटे नेता, AIMIM के साथ की दरकार फिर गठबंधन से क्यों इंकार? ये है वजह
AIMIM बिहार में INDIA का हिस्सा बनने के लिए बेकरार है, लेकिन RJD को इससे इंकार है. बिहार AIMIM के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान की बार बार कोशिशों के बावजूद बात नहीं बनी. उन्होंने पहले RJD प्रमुख लालू यादव को लेटर लिखकर गठबंधन में शामिल होने की पेशकश की.
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बिहार में चुनाव से पहले पार्टियां तमाम समीकरण साधने में जुटी हुई हैं. सीट शेयरिंग फॉर्मूले से लेकर साथी दलों को लामबंद करने तक, जोड़ तोड़ का खेल शुरू हो गया है. इसी कड़ी में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM बिहार में महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव लेकर RJD के द्वार पहुंची, लेकिन पार्टी नेताओं को यहां से बैरंग ही लौटना पड़ा.
AIMIM बिहार में INDIA का हिस्सा बनने के लिए बेकरार है, लेकिन RJD को इससे इंकार है. बिहार AIMIM के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान की बार-बार कोशिशों के बावजूद बात नहीं बनी. उन्होंने पहले RJD प्रमुख लालू यादव को लेटर लिखकर गठबंधन में शामिल होने की पेशकश की, इससे भी बात नहीं बनी तो वह समर्थकों के साथ ढोल नगाड़े लेकर लालू-राबड़ी आवास पहुंच गए. इसके बावजूद AIMIM के लिए RJD ने अपने दरवाजे नहीं खोले.
'तेजस्वी अपने कानों को खोल, तेरे दरवाजे पर बज रहा है ढोल'
ओवैसी के नेता ढोल नगाडों के साथ बड़े-बड़े बैनर पोस्टर भी लेकर पहुंचे. इन बैनर पर 'लालू-तेजस्वी अपने कानों को खोल, तेरे दरवाजे पर बज रहा है ढोल, गठबंधन के लिए अपना दरवाजा खोल' जैसे स्लोगन लिखे हुए थे. ये ही नारे लगाते हुए AIMIM के नेता काफी देर तक लालू आवास के बाहर खड़े रहे, लेकिन दूसरी तरफ से उन्हें कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला. लालू आवास के ये बंद दरवाजे साफ संकेत दे रहे हैं कि AIMIM के लिए गठबंधन के दरवाजे भी बंद हैं.
AIMIM बिहार प्रदेश अध्यक्ष @Akhtaruliman5 ने कहा कि "INDIA गठबंधन में AIMIM को शामिल करने की मांग को लेकर पार्टी कार्यकर्ता @laluprasadrjd के आवास पहुँचे और @yadavtejashwi के नाम एक पत्र भी सौंपा। पत्र में AIMIM को महागठबंधन में शामिल करने की बात की गई है। साथ ही, पत्र में… pic.twitter.com/PPsQcUThaO
— AIMIM (@aimim_national) September 11, 2025
वहीं, RJD के रूखे बर्ताव पर AIMIM प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी पर निशाना साधा है. प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा कि सेकुलर वोटों का बिखराव BJP को सीधा फायदा पहुंचाएगा. इसलिए सभी दलों को एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए. अख्तरुल ईमान ने सोशल मीडिया के जरिए RJD पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि AIMIM लगातार INDIA गठबंधन में शामिल होने की कोशिश कर रही है. यह सीमांचल और अल्पसंख्यकों की आवाज विधानसभा तक पहुंचाने के लिए है. RJD मुसलमानों का वोट तो चाहती है, लेकिन मुस्लिम नेतृत्व को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती. अख्तरुल ईमान ने चेतावनी दी कि अगर बिहार में 2005 जैसे हालात बने तो इसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ RJD की होगी.
महागठबंधन से कितनी सीट मांग रही AIMIM?
बिहार चुनाव में AIMIM ने महागठबंधन से महज 6 सीटों की मांग की है. इस पर भी न कांग्रेस राजी है न RJD. कांग्रेस ने इसे RJD और लालू यादव का मसला बता दिया. बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्ण अल्लावरू पहले ही कह चुके हैं कि AIMIM को महागठबंधन में शामिल करने का फैसला लालू यादव लेंगे.
AIMIM के साथ की दरकार, गठबंधन से क्यों इंकार?
हाल ही में RJD के सांसद मनोज झा ने AIMIM को लेकर कहा था कि, असदुद्दीन ओवैसी बिहार में अगर बीजेपी को हराना चाहते हैं और सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता में आने से रोकना चाहते हैं तो बिहार में चुनाव लड़ने के बजाय उन्हें इंडिया ब्लॉक का समर्थन करना चाहिए. इस तरह RJD ने साफ कर दिया कि उन्हें AIMIM का साथ तो चाहिए लेकिन गठबंधन में शामिल करके नहीं. यानी AIMIM बिहार में चुनाव से दूरी बनाकर बाहरी तौर पर महागठबंधन का साथ दे.
बिहार में महागठबंधन में क्यों शामिल होना चाहते हैं AIMIM?
एक तरफ बिहार में महागठबंधन AIMIM को एंट्री देने के लिए तैयार नहीं है. दूसरी ओर AIMIM पूरी कोशिश में जुटी है कि कुछ सीट ही सही, गठबंधन में थोड़ी बहुत जगह मिल जाए. आखिर क्या वजह है जो ओवैसी की पार्टी RJD से बार-बार गुहार लगा रही है? वहीं, ओवैसी इसलिए भी बैचेन हैं क्योंकि, तेजस्वी यादव मुस्लिमों को लामबंद करने में जुटे हुए हैं.
क्या राहुल गांधी की यात्रा ने बिगाड़ा AIMIM का समीकरण?
कहा जा रहा है कि, सीमांचल की कुछ सीटों पर जहां AIMIM की पकड़ थी. वहां से भी अब आधार खिसक रहा है. हाल ही में राहुल गांधी ने यहां वोट अधिकार यात्रा निकाली थी. इसके बाद माहौल में बदलाव देखा जा सकता है.
ओवैसी से दूरी क्यों बना रहे महागठबंधन के दल?
अब सवाल ये है कि AIMIM से महागठबंधन क्यों दूरी बना रहा है? दरअसल, RJD और कांग्रेस पहले से ही मुस्लिम वोटर्स को साधने की पुरजोर कोशिश में जुटे हुए हैं. वक्फ कानून में संशोधन के मुद्दे पर भी विपक्ष एकजुटता के साथ मुस्लिमों की पैरवी करता दिखा. इसलिए AIMIM के साथ हाथ मिलाना महागठबंधन को नुकसान का सौदा ही लग रहा है. विपक्ष को ये कहीं न कहीं BJP को ही फायदा पहुंचाने वाली डील लग रही है.
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