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Bihar Election Result 2025: बिहार में लहराया भगवा, मोदी-नीतीश की सुनामी में बुझ गई लालटेन, 'हाथ' साफ, NDA 200 पार

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे थोड़ी देर में प्रदेश की राजनीति की पूरी तस्वीर साफ करने वाले हैं. इससे पहले रुझानों में एनडीए को बड़ा बहुमत मिलता दिख रहा है. चुनाव आयोग के रुझानों में आंकड़े 200 के पार चला गया है. यानी कि बिहार में ये मोदी-नीतीश की महज जीत नहीं बल्कि सुनामी है, जिसमें लालटेन बुझ गई है, कांग्रेस के हाथ उखड़ गए हैं.

Bihar Election Result 2025: बिहार में लहराया भगवा, मोदी-नीतीश की सुनामी में बुझ गई लालटेन, 'हाथ' साफ, NDA 200 पार

बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत NDA ने फिर से परचम लहराया है. चुनाव आयोग के शुरुआती रुझानों में एनडीए ने 201 सीटों पर बढ़त हासिल पर निर्णायक बढ़त हासिल कर ली है. 

चुनाव आयोग के रुझानों के अनुसार, भाजपा ने अब तक 95 सीटों पर बढ़त बना ली है, जो सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. इसके अलावा भाजपा की सहयोगी जदयू 82 सीटों पर आगे चल रही है. एनडीए के अन्य घटक दलों में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 19, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को पांच और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को तीन सीटों पर बढ़त मिली.

बिहार में NDA की 2010 वाली महासुनामी

2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू और भाजपा के नेतृत्व में एनडीए 206 विधानसभा सीटों पर विजयी हुई. जदयू 115 सीटें जीतकर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि भाजपा 92 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी. राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन को महज 25 सीटों पर जीत मिली थी, जिसमें राजद ने अकेले 22 सीटों पर कब्जा किया और एलजेपी (लोक जनशक्ति पार्टी) तीन सीटों पर जीत पाई.

अगर यही रुझान नतीजों में तब्दील होते हैं तो यह बिहार में एनडीए की 2010 के बाद दूसरी सबसे बड़ी जीत होगी.

महागठबंधन का सूपड़ा साफ!

वहीं, महागठबंधन को बिहार की जनता ने नकार दिया है. महागठबंधन की मुख्य पार्टी राजद को सिर्फ 25 सीटों पर बढ़त है, जबकि कांग्रेस फिलहाल 3 सीटों पर आगे है. अन्य घटक दलों में शामिल भाकपा-माले को छह, माकपा और भाकपा को एक-एक सीट पर बढ़त मिली है.

चुनाव आयोग के रुझानों के अनुसार, एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) को 5 और बहुजन समाज पार्टी को एक सीट पर बढ़त हासिल है. फिलहाल, यह रुझान शुरुआती चरणों की मतगणना के आधार पर सामने आए हैं. हालांकि, आखिरी दौर तक वोटों की गिनती में आंकड़ों में बदलाव संभव है.

सभी 243 विधानसभा सीटों के लिए मतगणना सुबह 8 बजे शुरू हुई. पहले डाक मतपत्रों को गिना गया. इसके बाद सुबह 8.30 बजे से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मतों की गिनती शुरू हुई.

बिहार ने तोड़ दिया अपना रिकॉर्ड

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पिछले 63 सालों का रिकॉर्ड ब्रेक हुआ और प्रदेश में 67 प्रतिशत मतदाता सरकार चुनने के लिए मतदान केंद्र तक पहुंचे. इसे स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे बड़ा जनमत कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा. लेकिन, हैरानी की बात यह है कि इसमें से महिलाओं के मतदान का प्रतिशत 71 रहा है जो अपने आप में नया रिकॉर्ड है. जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत इससे लगभग 10 प्रतिशत कम रहा.

'बढ़ियां तो हैं नीतीशे कुमार

बिहार में महिलाओं का ज्यादा मतदान प्रतिशत 'बढ़ियां तो हैं नीतीशे कुमार' वाले स्लोगन को साकार करने में अहम भूमिका अदा करती नजर आई. नीतीश कुमार के लगभग दो दशक के कार्यकाल में महिला सशक्तिकरण पर लगातार जोर दिया गया और इनको लक्ष्य बनाकर कई कल्याणकारी योजनाएं लॉन्च भी की गईं. इस चुनाव की घोषणा से ठीक पहले सितंबर में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की शुरुआत हुई और बिहार भर की महिलाओं को 10,000 रुपये की राशि हस्तांतरित की गई.

नीतीश की महिला योजनाओं ने कर दिया कमाल!

इसके साथ ही बिहार देश का पहला प्रदेश है जहां पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को पहली बार आरक्षण मिल पाया और उनकी बेहतर भागीदारी सुनिश्चित की जा सकी. इसके साथ ही बिहार में 2016 के बाद से जारी शराबबंदी ने प्रदेश की महिला मतदाताओं के दिल में नीतीश सरकार के प्रति एक अलग स्थान बना दिया है. बिहार में महिलाएं जीवनयापन के लिए थोड़ा कष्ट सहने को तैयार हैं लेकिन शराब की वजह से घर की कलह और टूटते परिवार को देख पाना उनके लिए नामुमकिन है. ऐसे में नीतीश सरकार पर महिलाओं का भरोसा चुनाव दर चुनाव बढ़ता गया.

इन योजनाओं ने किया कमाल!

बिहार में महिलाओं के लिए नीतीश सरकार की सोच एक बार देखिए छात्रवृत्ति, आरक्षण, छात्राओं के लिए साइकिल और पोशाक योजना, स्वयं सहायता समूहों के जरिए रोजगार, उद्योग के लिए सहायता राशि और हाल ही में महिलाओं को सीधे बैंक खाते में 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता राशि. बिहार में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 फीसदी और पंचायती राज में 50 आरक्षण का प्रावधान, जिसकी वजह से प्रदेश में पुरुषों की तुलना में महिलाएं पहले से अधिक आत्मनिर्भर और जागरूक हुई हैं. इस बार तो मतदान के दौरान बिहार में महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले राजनीतिक चेतना ज्यादा बेहतर नजर आई. इस बार महिलाओं ने किसी के कहने पर नहीं बल्कि अपने निर्णय से वोट किया.

दूसरे राज्यों के लिए प्रेरणा बनेंगीं जीविका दीदियां!

एक और बात पर गौर कीजिए बिहार देश का पहला राज्य है जहां 31 लाख से अधिक जीविका दीदियां हैं जो लखपति हैं. इन जीविका दीदियों को लखपति बनाने की योजना नीतीश सरकार में 2023 में शुरू हुई थी. जब 2020 में उनकी कमाई इससे कहीं कम थी तब भी उन्होंने नीतीश कुमार का समर्थन किया. अब जब 31 लाख से अधिक लखपति दीदियां हो गई हैं तो जाहिर उन्होंने 2025 में अधिक मजबूती से नीतीश कुमार का समर्थन किया होगा.

लालू परिवार की राह में रोड़ा बन गईं महिलाएं!

ऐसा में यह साफ हो गया कि महिला वोटरों के उत्साह ने सत्ता विरोधी लहर को काट कर नतीजों की दिशा नीतीश कुमार की तरफ मोड़ दी. इस चुनाव में बिहार से एक ऐसा आंकड़ा सामने आया जो हैरान करने वाला था. दरअसल, बिहार में एसआईआर के बाद पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं का पंजीकृत आधार छोटा दिखा लेकिन इसके बावजूद कुल मतदान में महिलाओं की हिस्सेदारी पुरुषों से कहीं ज्यादा होना चौंकाने के लिए काफी था.

वैसे राजनीति के जानकार और राजनीतिक विश्लेषक के साथ चुनाव को करीब से समझने और देखने वाले लोग हमेशा से मानते हैं कि जब इतने बड़े स्तर पर वोटिंग होती है, तो यह हमेशा व्यवस्था के खिलाफ होती है. पांच या दस प्रतिशत के बीच वोटर चुनाव में मतदान करने के लिए ज्यादा आगे आते हैं तो कहा जाता है कि हो सकता है कि सत्ता पक्ष के साथ हों. लेकिन, जब भी 10 प्रतिशत और उसके ऊपर वोटर बूथ तक पहुंचते हैं. उसके बाद कयास लगाया जाता है कि वहां जनता जरूर बदलाव के मूड में है.

ऐसे में एक बात बिहार चुनाव परिणाम से तो साफ पता चल रहा है कि बिहार चुनाव में लगभग 10 प्रतिशत का अंतर महिलाओं की बढ़ती राजनीतिक भागीदारी को सुनिश्चित कर रहा है, जो संभवतः महिला-केंद्रित कल्याणकारी योजनाओं और नकद हस्तांतरण के वादों से प्रभावित है. इसके साथ ही दीपावली और आस्था के महापर्व छठ के दौरान 12,000 से अधिक विशेष रेलगाड़ियां का परिचालन भी एक कारण हो सकता है कि क्योंकि बिहार तक बाहर रह रहे प्रदेश के मतदाताओं का पहुंचना सुलभ हो पाया.

महिलाएं मतलब नीतीश की जीत की गारंटी!

हालांकि नीतीश सरकार के प्रति महिलाओं का यह भरोसा चुनाव दर चुनाव बढ़ता जा रहा है. 2010 से लगातार चार बिहार विधानसभा चुनावों में महिलाएं पुरुषों से अधिक मतदान कर रही हैं. पहले जहां महिलाएं 50 प्रतिशत तक ही वोट डालती थीं, वहीं अब 70 प्रतिशत से ऊपर का आंकड़ा पार कर चुकी हैं. इसे आप सिर्फ बिहार का सामाजिक परिवर्तन नहीं मानें, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी बड़ी उपलब्धि है.

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ऐसे में बिहार की राजनीति की समझ रखने वाले लोगों की मानें तो इस विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने सिर्फ मतदान का आंकड़ा नहीं बढ़ाया, बल्कि चुनाव के नतीजों की दिशा तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह बदलाव बिहार की राजनीति में निर्णायक साबित हुई, क्योंकि महिला मतदाताओं ने हर दल के चुनावी समीकरण को प्रभावित किया.

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