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बिहार चुनाव से पहले ‘माई-बहिन योजना’ पर छिड़ी जंग, तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर साधा निशाना, बोले- डराया-धमकाया तो कोर्ट तक घसीटेंगे

बिहार चुनाव से पहले माई-बहिन योजना पर सियासत गरमा गई है. आरजेडी ने महिलाओं को हर माह 2500 रुपये देने का वादा किया, जिस पर मंत्री विजय चौधरी ने इसे धोखाधड़ी बताया और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने पुलिस कार्रवाई की चेतावनी दी. जवाब में तेजस्वी यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि हमारी पार्टी वैधानिक तरीके से फॉर्म भरवा रही है, कार्यकर्ताओं को डराने से बाज आएं, वरना अधिकारियों को कोर्ट तक घसीटा जाएगा.

10 Sep, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
04:05 AM )
बिहार चुनाव से पहले ‘माई-बहिन योजना’ पर छिड़ी जंग, तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर साधा निशाना, बोले- डराया-धमकाया तो कोर्ट तक घसीटेंगे
Tejashwi Yadav (File Photo)

बिहार की राजनीति में चुनावी सरगर्मी लगातार तेज होती जा रही है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. अब नया विवाद आरजेडी की ‘माई-बहिन योजना’ को लेकर सामने आया है. इस योजना के तहत आरजेडी ने वादा किया है कि यदि राज्य में उनकी सरकार बनती है तो महिलाओं को हर महीने ढाई हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी. आरजेडी कार्यकर्ता इस योजना को लेकर फॉर्म भरवा रहे हैं. लेकिन सत्ता पक्ष इसे ‘जालसाजी’ और ‘धोखाधड़ी’ करार दे रहा है. नतीजा यह है कि बिहार की सियासत में महिला वोटरों को लेकर नई बहस छिड़ गई है.

जनता के साथ धोखाधड़ी कर रही है आरजेडी: विजय चौधरी

आरजेडी ने चुनावी रणनीति में महिलाओं को केंद्र में रखकर ‘माई-बहिन योजना’ की घोषणा की है. पार्टी का दावा है कि अगर उन्हें सत्ता मिली तो हर महिला को 2500 रुपये मासिक भत्ता दिया जाएगा. इसके लिए कई जिलों में पार्टी कार्यकर्ता महिलाओं से फार्म भरवा रहे हैं. लेकिन जैसे ही इस योजना की चर्चा बढ़ी, नीतीश सरकार के मंत्री विजय चौधरी ने इसे खुली धोखाधड़ी बताया. उन्होंने कहा कि यह योजना सिर्फ वोटरों को भ्रमित करने के लिए है और इसका कोई कानूनी आधार नहीं है. डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने संकेत दिया कि यदि आरजेडी इस तरह फर्जी तरीके से वोटरों को गुमराह करने की कोशिश करेगी तो सरकार पुलिस कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगी.

तेजस्वी यादव ने किया पलटवार

सत्तापक्ष के आरोपों पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तीखा पलटवार किया. उन्होंने साफ कहा कि आरजेडी एक राजनीतिक पार्टी है और महिलाओं से फार्म भरवाना पूरी तरह वैधानिक है. मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में तेजस्वी ने कहा, 'अगर सरकार को लगता है कि यह गैरकानूनी है, तो हमें लिखित में दे. लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं को डराना-धमकाना बंद करे. अगर अधिकारी हमारे लोगों को परेशान करेंगे तो हम उन्हें कोर्ट तक घसीटेंगे.' तेजस्वी ने अपने कार्यकर्ताओं को संदेश देते हुए कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि यह गीदड़भभकी हमें रोक नहीं पाएगी और हम मजबूती से मैदान में टिके रहेंगे.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विपक्ष ने बताया जीत

इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को वोटर लिस्ट से जोड़ने पर फैसला सुनाया है. तेजस्वी यादव ने इसे विपक्ष की बड़ी जीत बताया. उन्होंने कहा कि हम लोग लंबे समय से इस मांग को उठा रहे थे और अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला साबित करता है कि हमारी लड़ाई सही दिशा में थी. इसके अलावा उपराष्ट्रपति चुनाव पर भी उन्होंने बयान दिया. तेजस्वी ने कहा कि जीत-हार से ज्यादा अहम यह है कि विपक्ष ने मजबूती से अपनी बात रखी है. उन्होंने तंज कसते हुए सवाल उठाया कि आखिर पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ कहां हैं, क्या उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया गया है.

महिला वोटरों पर सबकी नजर

बिहार की राजनीति में महिला वोटरों की भूमिका हमेशा निर्णायक रही है. चाहे शराबबंदी का मुद्दा हो या फिर समाजिक कल्याण की योजनाएं, महिलाएं हमेशा राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करती रही हैं. यही वजह है कि आज हर दल महिला वर्ग को लुभाने की कोशिश कर रहा है. हाल ही में नीतीश सरकार ने भी महिला रोजगार योजना की शुरुआत की है. इसके तहत एक परिवार की एक महिला को तुरंत 10,000 रुपये और छह महीने बाद 2 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का वादा किया गया है. इस योजना को लेकर भी सरकार महिलाओं के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रही है.

किसकी रणनीति होगी कारगर?

सत्तापक्ष का कहना है कि आरजेडी की माई-बहिन योजना पूरी तरह से काल्पनिक है और इससे महिलाएं भ्रमित होंगी. वहीं आरजेडी का दावा है कि यह महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस कदम है. विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में महिला मतदाता अब पहले से कहीं ज्यादा सक्रिय और निर्णायक हो चुकी हैं. यही वजह है कि दोनों गुट उन्हें लुभाने के लिए नई-नई योजनाएं लेकर आ रहे हैं. एक तरफ नीतीश सरकार का महिला रोजगार योजना है तो दूसरी तरफ आरजेडी का मासिक भत्ता. यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किस योजना पर भरोसा जताती है.

बताते चलें कि बिहार चुनाव से पहले माई-बहिन योजना ने सियासत में हलचल मचा दी है. आरजेडी इसे अपनी बड़ी चुनावी रणनीति मान रही है तो सत्ता पक्ष इसे महज चुनावी जुमला करार दे रहा है. लेकिन इतना तय है कि इस बार महिला वोटर चुनाव का असली गेमचेंजर साबित हो सकती हैं.

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ऐसे में राजनीति के इस नए दौर में एक बात साफ है बिहार की हर पार्टी महिलाओं को अपनी तरफ करने के लिए हर संभव दांव खेल रही है. अब देखना यह होगा कि महिलाओं का भरोसा किसके साथ जाता है और किस योजना की गूंज चुनाव नतीजों में सुनाई देती है.

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