तेज प्रताप को मां के बाद बहन का भी मिला साथ, रोहिणी आचार्य बोलीं - मेरा भाई है, आशीर्वाद हमेशा रहेगा
Bihar Chunav 2025: राघोपुर सीट पर तेजस्वी यादव के लिए अब उनकी बहन रोहिणी आचार्य ने प्रचार की कमान संभाल ली है. रोड शो के दौरान उन्होंने कहा कि जनता में जबरदस्त उत्साह है और युवा परिवर्तन चाहते हैं. तेजस्वी के कामों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने 5 लाख रोजगार दिए थे, अब मुख्यमंत्री बनकर बिहार का कायाकल्प करेंगे. बीजेपी पर निशाना साधते हुए रोहिणी बोलीं तेजस्वी वादे नहीं, काम करके दिखाते हैं.'
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Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल पूरे राज्य में चरम पर है. पहले चरण के मतदान में अब बस कुछ ही दिन बाकी हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत झोंक चुके हैं. सत्ताधारी गठबंधन हो या विपक्षी INDIA ब्लॉक, हर पार्टी का लक्ष्य सिर्फ एक है, जनता का दिल जीतना. इसी बीच, राघोपुर विधानसभा सीट पर आरजेडी के लिए साख का विषय बैन गई है, क्योंकि इस सीट पर लालू यादव के छोटे बेटे और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव चुनाव लड़ रहे है. अब उनके प्रचार की कमान तेजस्वी की बहन रोहिणी आचार्य संभालते हुए प्रचार में जुट गईं हैं.
राघोपुर में बहन ने संभाली मोर्चा
राघोपुर आरजेडी के लिए हमेशा से अहम सीट रही है. इस बार भी यहां मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है. तेजस्वी यादव के लिए राघोपुर में अब उनकी बहन रोहिणी आचार्य ने प्रचार की कमान अपने हाथ में ले ली है. शनिवार को उन्होंने पूरे विधानसभा क्षेत्र में घूम-घूमकर रोड शो किया और जनता से अपने भाई के लिए वोट मांगे. रोहिणी ने कहा कि जनता में जबरदस्त उत्साह है और युवा पीढ़ी परिवर्तन चाहती है. उन्होंने कहा, 'लोग बहुत एक्साइटेड हैं. युवाओं में जबरदस्त जोश है. तेजस्वी यादव ने जब उपमुख्यमंत्री रहते हुए 5 लाख नौकरियां दीं, तो सोचिए मुख्यमंत्री बनने पर बिहार का कैसा विकास होगा.'
तेजस्वी यादव की रोजगार योजना पर बड़ा दावा
रोहिणी आचार्य ने कहा कि तेजस्वी यादव ने वादे नहीं, काम करके दिखाया है. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, 'बीजेपी वाले कहते हैं कि 10 लाख रोजगार देंगे, तो बताइए कहां से लाएंगे? कौन से बाप के घर से लाएंगे रोजगार? तेजस्वी ने तो करके दिखाया.' रोहिणी ने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव ने ‘जीविका दीदी’ के लिए भी बड़ा ऐलान किया है और उन्हें सरकारी दर्जा देने की बात कही है. उन्होंने कहा, “भाई हमेशा कहते हैं – उम्र भले कच्ची हो, ज़बान पक्की है. जो कहते हैं, वो करते हैं.'
जंगलराज के आरोप पर रोहिणी का पलटवार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फिर से सीएम पद के दावेदारी पर बोलते हुए रोहिणी आचार्य ने कहा कि बिहार की जनता अब फैसला कर चुकी है. उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार और एनडीए अब मजबूरी में लड़ रहे हैं. जनता का मन बदल चुका है. इस बार मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ही होंगे.' रोहिणी ने ‘जंगलराज’ के आरोपों पर भी पलटवार किया. उन्होंने कहा, 'बीजेपी वाले हमेशा ‘जंगलराज’ की बात करते हैं, लेकिन 90 के दशक का इतिहास देखिए. तब कौन मुख्यमंत्री था, कौन-सी जाति शासन में थी? आज अगर व्यापारी और नौजवान मारे जा रहे हैं, तो यह कौन सा राज है? यह तो ‘महा-जंगलराज’ है.'
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जब रोहिणी आचार्य से उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बेहद भावुक अंदाज़ में कहा, 'वो मेरा भाई है. आशीर्वाद हमेशा रहेगा. वो जनता की सेवा कर रहे हैं और जीतेंगे. हर बहन चाहती है कि परिवार एकजुट रहे. हमारी बात होती रहती है.' उन्होंने आगे कहा कि अब समय आ गया है कि जनता तेजस्वी यादव को एक मौका दे. 'पिछले बीस सालों में बिहार ने सब देख लिया है. अब बदलाव का वक्त है और बिहार को तेजस्वी के रूप में एक नई दिशा मिलनी चाहिए.'
राबड़ी देवी ने भी तेज प्रताप पर दिया बयान
इस बीच, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का बयान भी खूब सुर्खियों में है. उन्होंने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के समर्थन में कहा, 'लड़ रहा है, ठीक है, अपना जगह पर वो भी ठीक है.' यह बयान भले ही एक मां के रूप में दिया गया हो, लेकिन बिहार की राजनीति में इसका खास महत्व है. राबड़ी देवी का यह कहना कि 'वो जो कर रहा है, ठीक कर रहा है' इस बात का संकेत माना जा रहा है कि परिवार के भीतर भले राजनीतिक मतभेद हों, लेकिन भावनात्मक जुड़ाव कायम है. आरजेडी परिवार के भीतर का यह संतुलन आगामी चुनाव में बड़ा असर डाल सकता है.
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बताते चलें कि बिहार चुनाव के इस दौर में राघोपुर एक बार फिर सुर्खियों में है. तेजस्वी यादव के लिए बहन रोहिणी आचार्य का मैदान में उतरना आरजेडी के लिए बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला कदम है. वहीं, राबड़ी देवी का बयान भी यह बताता है कि यादव परिवार की हर गतिविधि पर पूरा राज्य नजर रखे हुए है. अब देखना यह होगा कि क्या इस बार बिहार की जनता वास्तव में परिवर्तन का मौका देती है या सत्ता की बागडोर फिर किसी पुराने चेहरे के हाथों में जाती है.
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