Place of worship act को लेकर SC पहुंची कांग्रेस तो भड़की बीजेपी, कहा- कांग्रेस ने किया हिंदुओं के खिलाफ जंग का ऐलान
बीजेपी ने कांग्रेस के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर कोर्ट जाने के फ़ैसले पर सवाल उठाएं हैं.. बीजेपी का आरोप है कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर कांग्रेस का सुप्रीम कोर्ट जाना हिंदुओं के ख़िलाफ़ खुले युद्ध का ऐलान है कांग्रेस नई मुस्लिम लीग बन गई है

देशभर की कई मस्जिदों में मंदिर के दावे के बाद सर्वे शुरु हुआ। तो मुस्लिम पक्ष तो भड़का ही लेकिन विपक्षी दल सबसे ज़्यादा बौखला उठे। ख़ासकर ओवैसी के साथ साथ कांग्रेस और और अखिलेश। क्योंकि वोटबैंक का सवाल है। सबसे ज़्यादा कांग्रेस से लेकर अखिलेश तक ने संभल में शाही मस्जिद के सर्वे के बाद हुए दंगे को भुनाने को कोशिश की। मुसलमानों के नाम पर विपक्षी काम पर जुट गए। शाही मस्जिद के सर्वे को ग़लत ठहराते हुए प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला दिया। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को सही ढंग से लागू करने के लिए पहले ओवैसी सुप्रीम कोर्ट में गिड़गिड़ाते नज़र आए।और अब कांग्रेस प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंच गई है। कांग्रेस के इस कदम को बीजेपी ने हिंदुओं की आस्था पर चोट बताया।बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट करते हुए लिखा- "कांग्रेस ने धार्मिक आधार पर भारत के विभाजन पर सहमति व्यक्त की। इसके बाद, इसने वक्फ कानून पेश किया, जिससे मुसलमानों को अपनी इच्छानुसार संपत्तियों पर दावा करने और देश भर में मिनी-पाकिस्तान स्थापित करने का अधिकार मिल गया। बाद में इसने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 लागू किया, जिससे हिंदुओं को उनके ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को पुनः प्राप्त करने के अधिकार से प्रभावी रूप से वंचित कर दिया गया। अब, कांग्रेस ने ऐतिहासिक अन्यायों को दूर करने के लिए हिंदुओं को कानूनी उपचार के उनके मौलिक संवैधानिक अधिकार से वंचित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसने शीर्ष न्यायालय से "धर्मनिरपेक्षता की रक्षा" के बहाने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने का आग्रह किया है।कांग्रेस ने हिंदुओं के खिलाफ खुली लड़ाई का ऐलान कर दिया है। यह न्यू मुस्लिम लीग है"
बीजेपी ने कांग्रेस को न्यू मुस्लिम लीग करार दे दिया है। क्योंकि हिंदू आस्था के ख़िलाफ़ ही कांग्रेस कोर्ट में जाकर खड़ी हो गई। अब समझिए क्योंकि अचानक प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर कांग्रेस कोर्ट पहुँची है। दरअसल कांग्रेस की सारी राजनीति वोटबैंक पर आकर टिकी है। दिल्ली में चुनाव है। अगर कांग्रेस मंदिर मस्जिद मामला नहीं उठाएगी।सर्वे नहीं रुकवाएगी तो जाहिर ही बात मुस्लिम वोटबैंक नाराज़ हो जाएगा।एक पक्ष के वो टबैंक को साधने के लिए कोर्ट जाकर कांग्रेस ये दिखा रही है कि वो कांग्रेस के साथ खड़ी है। फिर चाहे हिंदू आस्था के लिए लड़े। विरोध पर उतरे कांग्रेस को मानों कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। यही वजह है कि जब संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर दंगे भड़के। तो कांग्रेसी दंगों में मारे गए और घायल हुए लोगों से मुलाकात करने पहुँच गए। लेकिन एक बार भी दंगाईयों को ये नसीहत नहीं दी की क़ानून हाथ में ना लें। खैर कांग्रेस नहीं चाहती ज्ञानवापी की मस्जिद में छुपे मंदिर का सच बाहर आए। संभल की शाही जामा मस्जिद के अंदर का राज बाहर निकले। खैर कांग्रेस क्यों मस्दिद में मंदिर होने के दावे पर इतना बौखला रही है। इसका खुलासा सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी किया।
खैर बीजेपी ने एक झटके में हिंदुत्व पर दिखावा करने वाली कांग्रेस की असलियत सामने लाकर रख दी है। जिससे कांग्रेसी इस मुद्दे पर सफ़ाई देने से भी बचते नज़र आ रहे हैं तो चलिए अब ये भी बता देतें है कि आख़िर क्या है ।
1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है कि देश के हर धार्मिक स्थल की जो स्थिति 15 अगस्त 1947 को थी, उसे बदला नहीं जा सकता। लेकिन इस क़ानून के होने के बाद भी 1947 वाली संपत्तियों मंदिर हो या मस्जिद के सर्वे इसलिए शुरु हुए क्योंकि मई 2022 में तत्कालीन चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने ज्ञानवापी केस की सुनवाई करते हुए कहा था कि किसी भी पूजास्थलों का धार्मिक स्वरुप नहीं बदला जा सकता लेकिन 1991 के Places of Worship Act की धारा 3 और 4 पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र का पता लगाने से नहीं रोकता, मतलब सर्वे करके ये पता किया जा सकता है कि मस्जिद के नीचे मंदिर तो नहीं था।इसी के तहत मस्जिद के सर्वे करवाया जा रहा था। लेकिन संभल में बवाल हुआ तो विपक्षी। पार्टियों को सरकार पर सवाल उठाने का हिंदू मुस्लिम करने का मौका मिल लगा। जिससे खुद ही विपक्ष बुरी तरह घिर गया।