योगी सरकार की सख्ती से बदलेगा भर्ती सिस्टम, ओबीसी आरक्षण पर जीरो टॉलरेंस का साफ संदेश
लेखपाल भर्ती समेत सरकारी भर्तियों में ओबीसी आरक्षण विवाद के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाया है. शासन ने सभी विभागों और भर्ती बोर्डों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी करते हुए साफ किया है कि भविष्य की किसी भी भर्ती में वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल आरक्षण के नियमों से कोई समझौता नहीं होगा.
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उत्तर प्रदेश की सरकारी भर्तियों और खासकर लेखपाल भर्ती में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर सामने आए विवादों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने इस पूरे मामले में बेहद सख्त रुख अपनाया है. सीएम योगी की मंशा साफ है कि आरक्षण के संवैधानिक प्रावधानों के साथ किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इसी का नतीजा है कि शासन ने राज्य के अधीन सभी विभागों और भर्ती संस्थाओं के लिए एक नया और विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिया है.
शासन की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि भविष्य की किसी भी भर्ती प्रक्रिया में आरक्षित वर्गों के कोटे से कोई समझौता नहीं होगा. प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक एम. देवराज ने प्रदेश के सभी विभागों, विभागाध्यक्षों और भर्ती बोर्डों को यह निर्देश जारी किए हैं. आदेश में कहा गया है कि नियुक्तियों में उर्ध्व (वर्टिकल) और क्षैतिज (हॉरिजॉन्टल) आरक्षण का अक्षरशः पालन किया जाना अनिवार्य होगा. यदि इसमें जरा भी चूक हुई, तो न केवल भर्ती प्रक्रिया प्रभावित होगी, बल्कि कानूनी विवाद भी खड़े हो सकते हैं.
प्रस्तावित रिक्तियों की गणना का होगा पुनः परीक्षण
शासन ने यह भी साफ किया है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और अन्य भर्ती बोर्डों को भेजे जाने वाले भर्ती प्रस्तावों में अब अतिरिक्त सतर्कता बरती जाएगी. सभी विभागों को प्रस्तावित रिक्तियों की गणना का पुनः परीक्षण करना होगा. अगर आरक्षण के कोटे, पदों के वर्गीकरण या रोस्टर में कोई भी विसंगति पाई जाती है, तो उसे भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही संबंधित चयन संस्था के साथ समन्वय बनाकर दूर करना होगा.
समाजवादी पार्टी ने उठाया था लेखपाल भर्ती का मुद्दा
इस सख्ती के पीछे हाल ही में हुई लेखपाल भर्ती का विवाद एक बड़ी वजह माना जा रहा है. लेखपाल भर्ती परीक्षा के दौरान आरक्षण की गणना और सीटों के आवंटन को लेकर गंभीर सवाल उठे थे. विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने भी इसे बड़ा मुद्दा बनाया था. बाद में ओबीसी वर्ग की रिक्तियों की संख्या बढ़ाई गई, लेकिन इस पूरे प्रकरण ने सरकार को असहज स्थिति में ला खड़ा किया. इसी अनुभव से सबक लेते हुए अब कार्मिक विभाग ने यह सुनिश्चित करने का फैसला किया है कि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने.
विशेषज्ञ टीम करेगी आरक्षण चार्ट का मिलान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ निर्देश दिए हैं कि किसी भी भर्ती का प्रस्ताव तैयार करते समय ही आरक्षण चार्ट का मिलान विशेषज्ञ टीम से कराया जाए. उद्देश्य यह है कि विज्ञापन जारी होने के बाद कोई कानूनी अड़चन न आए और चयन प्रक्रिया समय पर पूरी हो सके. सरकार का मानना है कि पारदर्शी और नियमों के अनुरूप भर्ती से ही युवाओं का भरोसा बहाल किया जा सकता है. योगी सरकार का फोकस इस बात पर है कि प्रदेश का युवा अपनी योग्यता और मेहनत के दम पर सरकारी नौकरी हासिल करे. साथ ही आरक्षण के दायरे में आने वाले पात्र अभ्यर्थियों को उनके संवैधानिक अधिकार से वंचित न किया जाए. नए दिशा-निर्देशों से ओबीसी के साथ-साथ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उम्मीदवारों को भी बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.
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बताते चलें कि इसके साथ ही अब सभी विभागों के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि भर्ती विज्ञापन जारी होने से पहले आरक्षण रोस्टर पूरी तरह त्रुटिहीन हो. माना जा रहा है कि इस फैसले से उत्तर प्रदेश में होने वाली आने वाली बड़ी भर्तियां न केवल समय पर पूरी होंगी, बल्कि निष्पक्षता और पारदर्शिता की मिसाल भी पेश करेंगी.
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