'कल आपने बदमाशी की...', RSS की तारीफ करने वाले दिग्विजय सिंह से मिलते ही राहुल गांधी ने लिए मजे!
आरएसएस और बीजेपी की संगठनात्मक तारीफ वाली पोस्ट को लेकर राहुल गांधी ने मजाक में दिग्विजय सिंह से कहा, कल आपने बदमाशी की. इस दौरान सोनिया गांधी भी मौजूद थीं.
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कांग्रेस के 140वें स्थापना दिवस पर इंदिरा भवन स्थित पार्टी मुख्यालय में राजनीति के कई दिलचस्प दृश्य देखने को मिले. इसी कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और राहुल गांधी की मुलाकात चर्चा का केंद्र बन गई. वजह बनी दिग्विजय सिंह की हालिया सोशल मीडिया पोस्ट, जिसमें उन्होंने आरएसएस और बीजेपी के संगठनात्मक ढांचे की सराहना की थी. इस बयान ने न सिर्फ सियासी गलियारों में हलचल मचाई, बल्कि कांग्रेस के भीतर भी बहस को जन्म दिया.
राहुल गांधी ने दिग्विजय सिंह से क्या कहा?
सूत्रों के मुताबिक, स्थापना दिवस समारोह के बाद जब पार्टी मुख्यालय में नेताओं के लिए चाय और नाश्ते का इंतजाम किया गया, उसी दौरान राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह आमने-सामने आए. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने दिग्विजय सिंह से हाथ मिलाते हुए मजाकिया लहजे में कहा, 'कल आपने बदमाशी की'. उनकी इस टिप्पणी पर वहां मौजूद अन्य नेता हंस पड़े. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सोनिया गांधी भी मौके पर मौजूद थीं. यह वाक्या बताता है कि कांग्रेस के भीतर असहमति के बावजूद संवाद और हल्के-फुल्के अंदाज की परंपरा अब भी कायम है.
दिग्विजय सिंह के पोस्ट ने मचाया था हलचल
दरअसल, विवाद की जड़ दिग्विजय सिंह की वह सोशल मीडिया पोस्ट है, जो उन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से ठीक एक दिन पहले साझा की थी. पोस्ट में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लाल कृष्ण आडवाणी की एक पुरानी तस्वीर का जिक्र करते हुए लिखा था कि कैसे एक जमीनी स्तर का आरएसएस स्वयंसेवक और जनसंघ तथा बीजेपी कार्यकर्ता नेताओं के चरणों में बैठकर एक राज्य का मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बना. उन्होंने इसे संगठन की शक्ति का उदाहरण बताया और अंत में जय सिया राम लिखा. इस पोस्ट को आरएसएस और बीजेपी की तारीफ के तौर पर देखा गया.
विवाद बढ़ने पर दिग्विजय सिंह ने दी थी सफाई
वहीं बाद में बढ़ते विवाद के बीच दिग्विजय सिंह ने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि वह आरएसएस और प्रधानमंत्री मोदी की विचारधारा के विरोधी हैं. उनका कहना था कि उन्होंने केवल संगठनात्मक क्षमता की सराहना की थी, न कि विचारधारा की. बावजूद इसके, कांग्रेस के भीतर इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली. पार्टी नेता पवन खेड़ा ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि गांधी का संगठन गोडसे के संगठन से सीखने की जरूरत नहीं रखता. यह बयान कांग्रेस की वैचारिक स्पष्टता को दोहराने वाला माना गया.
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कार्यकर्ताओं को दिया संदेश
इसी बीच कांग्रेस स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का संबोधन भी खास रहा. उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस केवल एक राजनीतिक दल नहीं, बल्कि एक विचारधारा है और विचारधाराएं कभी नहीं मरतीं. खरगे ने कहा कि कांग्रेस के महान नेताओं के कारण ही भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बन सका. उन्होंने उन लोगों को भी जवाब दिया, जो कांग्रेस के अंत की बात करते हैं. खरगे ने साफ शब्दों में कहा कि भले ही पार्टी की शक्ति कम हुई हो, लेकिन उसका हौसला आज भी बुलंद है. कांग्रेस ने न संविधान से समझौता किया है, न धर्मनिरपेक्षता से और न ही गरीबों के अधिकारों से.
बताते चलें कि कांग्रेस स्थापना दिवस पर हुआ यह पूरा घटनाक्रम बताता है कि पार्टी के भीतर वैचारिक बहस जीवित है. दिग्विजय सिंह की टिप्पणी, राहुल गांधी की हल्की शिकायत और खरगे का मजबूत संदेश, ये सभी संकेत देते हैं कि कांग्रेस आने वाले समय में अपनी विचारधारा और संगठन को लेकर नए सिरे से खुद को परिभाषित करने की कोशिश में है.
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