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गोलियों की गूंज के बीच बॉर्डर पर डटा रहा 10 साल का जांबाज, कौन हैं श्रवण सिंह? जिन्हें राष्ट्रपति ने दिया बड़ा सम्मान

भारत-पाक बॉर्डर पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 10 साल के श्रवण सिंह जवानों का हेल्पिंग हैंड बन गए थे. जब राष्ट्रपति के हाथों उन्हें बड़ा सम्मान मिला तो वहां मौजूद लोगों की आंखों में खुशी के आंसू थे.

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान जब भारतीय सेना के जवान दुश्मनों के दांत खट्टे कर रहे थे. तब एक नन्हा बच्चा उनकी हर एक जरूरत का ध्यान रख रहा था. न गोलीबारी का डर, न तनाव का असर, मई की चिलचिलाती धूप और गर्मी भी बच्चे के हौसलों को नहीं डगमगा पाई. बच्चे ने बड़ी ही जांबाजी के साथ सेना की मदद की. इस नन्हें जांबाज के इसी जज्बे को अब देश सलाम कर रहा है. जिनका नाम है श्रवण सिंह. 10 साल के श्रवण को अब प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. 

26 दिसंबर 2025 को दिल्ली का विज्ञान भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. नन्हें से श्रवण सिंह (Shravan Singh) को बालवीर का तमगा मिला तो हर किसी के आंख में खुशी के आंसू थे. भारत-पाक बॉर्डर पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान श्रवण सिंह सेना का हेल्पिंग हैंड बन गए थे. श्रवण ने सेना के जवानों को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया. उनके लिए दूध, चाय, लस्सी, बर्फ पानी से लेकर खाना पीना पहुंचाने में मदद की. उसके छोटे-छोटे पैर दूर-दराज की सैन्य चौकियों तक मदद करने पहुंचे. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस नन्हें जांबाज की खूब चर्चा हुई थी. 

बाल पुरस्कार मिलने के बाद श्रवण सिंह ने क्या कहा? 

10 साल के श्रवण सिंह के गले में जब महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने मेडल पहनाया तो उन्होंने मासूम लेकिन गर्व से भरी मुस्कान के साथ आभार जताया. सम्मान मिलने के बाद श्रवण कुमार ने कहा, जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ तो हमारे गांव में फौजी आए थे. वे देश की रक्षा करने के लिए आए थे. मैंने सोचा चलो उनकी मदद करते हैं. मैं उनके लिए दूध, चाय, लस्सी, बर्फ लेकर जाता था. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मुझे अवॉर्ड मिल रहा है. मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे यह सम्मान मिलेगा.’ 

पिता का सीना गर्व से भरा 

श्रवण सिंह ने वो कर दिखाया जो बड़े लोग नहीं कर पाते. देशभक्ति का जुनून और भारतीय सेना को आदर्श मानने वाले श्रवण सिंह के पिता को बेटे पर बेहद गर्व है. पिता सोना सिंह का कहना है कि श्रवण बचपन से ही सेना के जवानों को अपना हीरो मानता है. श्रवण सिंह बड़े होकर भारतीय सेना में भर्ती होना चाहते हैं. वह अफसर बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं. 

कौन हैं श्रवण सिंह? 

ऑपरेशन सिंदूर के नन्हे वीर श्रवण सिंह पंजाब के फिरोजपुर के चक तरां वाली में रहते हैं. श्रवण के पिता सोना सिंह, मां संतोष रानी और बहन सजना रानी हैं. श्रवण सिटी हार्ट स्कूल ममदोट में कक्षा 5 के छात्र हैं.  

भारतीय सेना के सच्चे साथी बने श्रवण सिंह की पढ़ाई का जिम्मा पहले ही भारतीय सेना उठा रही है. सेना ने उन्हें सबसे छोटा नागरिक योद्धा घोषित कर सम्मानित किया था. भारतीय सेना के लिए श्रवण के लगाव को देखते हुए ही उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का फैसला लिया गया था. श्रवण सिंह को प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार मिलना उनके बड़े लक्ष्य को पूरा करने में हौंसला देगा. 

पंजाब के CM भगवंत मान ने दी बधाई

श्रवण सिंह ने पंजाब के साथ-साथ पूरे देश को गौरवान्वित किया है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी श्रवण सिंह को बधाई दी. उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘पंजाबियों के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि राष्ट्रपति के हाथों हमारे फिरोजपुर के निवासी 10 वर्षीय श्रवण सिंह को 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया. हमारे गुरुओं की दी गई शिक्षाओं पर चलते हुए, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान श्रवण सिंह ने घर से चाय-पानी और भोजन लाकर सैनिकों की जो सेवा की, वह काबिल-ए-तारीफ़ है. बच्चे के देश के प्रति हौसले और जज़्बे को सलाम.’ 

पहलगाम अटैक के बाद सेना का ऑपरेशन सिंदूर

22 अप्रैल 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने निहत्थे निर्दोष पर्यटकों पर गोलीबारी की थी. इस बर्बर हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई. इस आतंकी हमले के जवाब में 7 मई 2025 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को तबाह किया था. इन ठिकानों में जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ बहावलपुर और लश्कर-ए-तैयबा का मुरिदके के अड्डे शामिल थे. उस समय देश के रक्षा कवच सेना के जवानों की मदद कर 10 साल के श्रवण सिंह ने न केवल सेना का मनोबल बढ़ाया, साथ ही असाधारण सेवा और बहादुरी से प्रेरणा भी बन गए. 

 

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