द्विपक्षीय मामलों में तीसरे दूर रहें.... UNGA में कश्मीर के मुद्दे पर बिलबिलाने वाले तुर्की को भारत ने जमकर लताड़ा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान तुर्की को फटकार लगाते हुए कहा कि 'कश्मीर मुद्दे पर हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है. इसमें कोई बदलाव नहीं आया है और जहां तक मध्यस्थता का सवाल है, तो भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई जरूरत नहीं.
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अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में आयोजित 80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में कश्मीर का मुद्दा उठाकर अपनी बौखलाहट दिखाने वाले तुर्की को भारत ने जमकर लताड़ लगाई है. शुक्रवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन को निशाने पर लेते हुए भारत सरकार ने स्पष्ट रूप से जम्मू-कश्मीर पर अपना रुख दृढ़ता के साथ दोहराते हुए साफ कर दिया है कि यह मामला पूरी तरीके से द्विपक्षीय है. इसमें किसी भी तरह से किसी तीसरे की भागीदारी की आवश्यकता नहीं है. इस मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सरकार की तरफ से बयान जारी किया है.
'कश्मीर मुद्दे पर भारत का रुख स्पष्ट'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान तुर्की को फटकार लगाते हुए कहा कि 'कश्मीर मुद्दे पर हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है. इसमें कोई बदलाव नहीं आया है और जहां तक मध्यस्थता का सवाल है, तो भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई जरूरत नहीं है.'
Weekly Media Briefing by the Official Spokesperson (September 26, 2025)
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) September 26, 2025
https://t.co/XC8cEDBxIX
UNGA में क्या कहा एर्दोगन ने?
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अपने संबोधन के दौरान तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध विराम समझौते से वह खुश हैं.' इस दौरान उन्होंने कश्मीर मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर बातचीत का सुझाव दिया. इससे एर्दोगन की यह टिप्पणी इस्लामाबाद के समर्थन में उनके पहले के रुख को दोहराती है, जिसमें पाकिस्तान की उनकी पिछली यात्रा भी शामिल है, यही वजह है कि भारत ने उनकी कड़ी आलोचना की है.
'इस तरह की टिप्पणी कत्तई बर्दाश्त नहीं'
रणधीर जायसवाल ने तुर्की के राष्ट्रपति की टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा कि 'भारत के आंतरिक मामलों पर इस तरह की आपत्तिजनक टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं. हमने तुर्की के राजपूत के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है. भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर इस तरह की टिप्पणी बिल्कुल भी स्वीकार नहीं होंगे.'
'कश्मीर की मूल समस्या पाकिस्तान के आचरण से उत्पन्न'
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि 'जम्मू-कश्मीर की जो मूल समस्या है. वह पाकिस्तान के आचरण से उत्पन्न होती है, बेहतर होता अगर भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद का इस्तेमाल करने की पाकिस्तान की नीति, जो जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनी हुई है, उस पर सवाल उठाया जाता.
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