H-1B वीजा पर विदेश मंत्रालय का बड़ा बयान... NATO प्रमुख को भी भारत ने लगाई फटकार, कहा - सोच-समझकर सावधानी से टिप्पणी करें
अमेरिका द्वारा H-1B वीजा कार्यक्रम में प्रस्तावित बदलावों पर भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि इस मुद्दे पर सभी संबंधित पक्षों से बातचीत की जा रही है.
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भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की ओर से H-1B वीजा को लेकर प्रस्तावित बदलावों पर बड़ा बयान जारी किया है. मंत्रालय का कहना है कि वह इस मुद्दे पर संबंधित पक्षों से बातचीत कर रहे हैं. भारत सरकार ने अपने बयान में NATO महासचिव मार्क रूट के उस दावे को भी खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के दबाव के चलते भारत ने रूस से यूक्रेन युद्ध पर उसकी रणनीति समझाने को कहा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की तरफ से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि संबंधित मंत्रालय और विभाग इस मामले पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं.
'फार्मा उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ पर हमारी नजर'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि 'हमने कल सोशल मीडिया पर एक नोटिस देखा, जिसमें नए टैरिफ के बारे में बात की गई थी. हमने फार्मा और अन्य उत्पादों पर रिपोर्ट देखी, संबंधित मंत्रालय और विभाग इस मामले पर बारीकी से नजर रख रहे है.'
H-1B वीजा नियम पर विदेश मंत्रालय
अमेरिका द्वारा H-1B वीजा कार्यक्रम में प्रस्तावित बदलावों पर भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि 'इस मुद्दे पर सभी संबंधित पक्षों से बातचीत की जा रही है. हमने प्रस्तावित नियम-निर्माण के संबंध में अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग का नोटिस देखा है, मैं समझता हूं कि उद्योग सहित सभी हितधारकों के पास अपनी टिप्पणियां देने के लिए एक महीने का समय है. हमने पहले ही कहा था कि कुशल प्रतिभाओं की गतिशीलता और आदान-प्रदान ने संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत में प्रौद्योगिकी विकास, नवाचार, आर्थिक विकास, प्रतिस्पर्धात्मकता और धन सृजन में बहुत बड़ा योगदान दिया है. ऐसे में हम उद्योग सहित सभी संबंधित पक्षों के साथ बातचीत जारी रखेंगे और आशा करते हैं कि इन कारकों पर उचित विचार किया जाएगा.'
एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री के सामने इस मुद्दे को उठाया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यह भी बताया कि 'विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्क रुबियो के साथ बैठक के दौरान इस मुद्दे को उठाया था. इस हालात के दौरान H-1बी वीजा के संबंध में विदेश मंत्रालय और वाशिंगटन डीसी स्थित हमारा दूतावास अमेरिकी प्रशासन के साथ लगातार संपर्क में हैं. यह अभी भी एक उभरती हुई स्थिति है और हम विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं.'
NATO महासचिव के बयान को भारत ने किया खारिज
विदेश मंत्रालय ने NATO के महासचिव मार्क रूट द्वारा किए गए उस दावे को भी पूरी तरह से खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के दबाव के चलते भारत ने रूस से यूक्रेन युद्ध पर उसकी रणनीति समझने को कहा है. विदेश मंत्रालय ने कहा है 'उनका बयान पूरी तरीके से तथ्यों से परे और आधारहीन है.' विदेश मंत्रालय ने NATO प्रमुख को सख्त चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि 'भविष्य में वह इस तरह टिप्पणी करने से पहले खास सावधानी बरतें.'
H-1B वीजा से भारतीयों पर कितना असर?
बता दें कि 19 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें उन्होंने घोषणा की थी कि 21 सितंबर से अमेरिकी कंपनियों को प्रत्येक H-1B आवेदन के लिए 1 लाख डॉलर का भुगतान करना होगा. वहीं पहले यह शुल्क वीजा के लिए आवेदन करने वाली कंपनी के आधार पर 2 से 5 हजार अमेरिकी डॉलर तक होता था, उनके इस कदम को उन भारतीय पेशेवरों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में खासतौर से सॉफ्टवेयर या इंजीनियरिंग, इसके अलावा स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काम करने की इच्छा रखते हैं.
कब हुई H-1B वीजा की शुरुआत?
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जानकारी के लिए बता दें कि H-1B वीजा की शुरुआत 1990 में जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान हुई थी. वहीं भारतीय तकनीकी कर्मचारी H-1B वीजा प्राप्त करने वाला सबसे बड़ा समूह हैं. पिछले साल कुल स्वीकृत H-1B वीजा में से 71 प्रतिशत भारतीयों को मिले. दूसरे नंबर पर 11.7 प्रतिशत के साथ चीनी नागरिकों को यह वीजा दिया गया.
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