‘चुप्पी भी अन्याय है…’, ईसाइयों पर हुए कथित हमलों पर शशि थरूर ने महाभारत का जिक्र कर सरकार को दिया बड़ा संदेश
क्रिसमस से पहले ईसाइयों के खिलाफ कथित घटनाओं पर शशि थरूर ने चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि परंपराओं पर हमला पूरे समाज पर चोट है और यह संविधान प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है. थरूर ने देश से ईसाई समुदाय के साथ एकजुट होकर खड़े होने की अपील की.
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देश के भीतर और विदेश से जुड़े तमाम मुद्दों पर अपनी बेबाक राय और तार्किक सोच के लिए पहचाने जाने वाले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर अहम बयान दिया है. क्रिसमस के मौके पर देश के कुछ हिस्सों से ईसाइयों के खिलाफ कथित दुर्व्यवहार और धमकाने की खबरों के बीच थरूर ने गहरी चिंता जताई है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जब किसी समुदाय की परंपराओं पर हमला होता है, तो उसका असर सिर्फ उसी समुदाय तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे समाज को कमजोर करता है.
शशि थरूर ने क्या कहा?
क्रिसमस से पहले सामने आई घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए शशि थरूर ने कहा कि भारत की ताकत उसकी विविधता और धार्मिक सहिष्णुता में है. उन्होंने केरल के पलक्कड़ में कैरल गाने वाले एक समूह पर हुए कथित हमले का जिक्र करते हुए कहा कि यह केवल ईसाई समुदाय का मामला नहीं है, बल्कि संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है. थरूर ने कहा कि ऐसे समय में समाज को चुप रहने के बजाय एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए. मीडिया से बातचीत के दौरान थरूर ने इन घटनाओं पर दुख जताया और कहा कि जब परंपराओं को निशाना बनाया जाता है, तो चोट हर भारतीय को लगती है. उन्होंने कहा कि धार्मिक विश्वास की आजादी भारत के संविधान की मूल भावना है और इस पर किसी भी तरह का हमला अस्वीकार्य है. थरूर ने जोर देकर कहा कि देश के ईसाई भाइयों के साथ मजबूती से खड़ा होना आज की जरूरत है.
नाम लिए बिना BJP को दी सलाह
क्रिसमस के दौरान सामने आई कथित घटनाओं का जिक्र करते हुए शशि थरूर ने बिना नाम लिए केंद्र की सत्ताधारी पार्टी को भी संदेश दिया. उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठी जिम्मेदार पार्टी के नेतृत्व को ऐसी घटनाओं की स्पष्ट शब्दों में निंदा करनी चाहिए. थरूर ने महाभारत का उदाहरण देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि जब कौरव सभा में द्रौपदी का अपमान हो रहा था, तब गुरुजन और बड़े बुजुर्ग, पांडव और यहां तक पितामह भीष्म तक मौन रहे. उस समय विरोध की आवाज पांडवों की ओर से नहीं बल्कि कौरवों की ओर से उठी थी। दुर्योधन के भाई विकर्ण ने कहा था कि बड़े भाई दुर्योधन यह अन्याय है, अधर्म है. थरूर ने लिखा कि वह आज भी सत्ता में बैठे किसी जिम्मेदार नेता की उस एक आवाज का इंतजार कर रहे हैं, जो खुले तौर पर कहे कि यह गलत है और अधर्म है. उनका कहना था कि चुप्पी भी कई बार अन्याय को बढ़ावा देती है.
सामाजिक एकजुटता की बात
शशि थरूर ने यह भी बताया कि वह हर साल क्रिसमस ईव पर अपने संसदीय क्षेत्र में एक चर्च से दूसरे चर्च जाकर लोगों से मिलते हैं. उन्होंने कहा कि वह पिछले 17 वर्षों से सांसद हैं और अपने क्षेत्र के लोगों के साथ एकजुटता दिखाना उनकी जिम्मेदारी है. थरूर के अनुसार, केरल की राजनीति की आत्मा सभी समुदायों की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का सम्मान करना है. इस साल दिल्ली से फ्लाइट लेट होने के कारण वह कम चर्चों में ही जा सके, लेकिन उन्होंने इसे भी सामाजिक सौहार्द का अहम हिस्सा बताया. थरूर ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक समाज में परंपराओं का सम्मान ही आपसी विश्वास को मजबूत करता है.
PM मोदी भी पहुंचे थे चर्च
क्रिसमस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दिल्ली में कैथैड्रेल चर्च ऑफ द रिडेम्पशन में ईसाई समुदाय के साथ प्रार्थना में हिस्सा लिया. इस दौरान केरल के भजन, विशेष प्रार्थनाएं और शांति का संदेश दिया गया. दिल्ली के बिशप आरटी रेव डॉ पाल स्वरूप ने प्रार्थना सभा का संचालन किया.
क्रिसमस पर कथित हमलों की खबरें
क्रिसमस के दौरान राजस्थान के नागौर और केरल के पलक्कड़ सहित कुछ इलाकों से कथित बहस और धमकाने की खबरें सामने आई थीं. हालांकि किसी बड़ी हिंसक घटना की पुष्टि नहीं हुई है. इसके बावजूद इन खबरों ने धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक सौहार्द पर सवाल जरूर खड़े किए हैं.
जानकारी देते चलें कि शशि थरूर का बयान ऐसे समय आया है, जब देश ने बड़े उत्साह और भाईचारे के साथ क्रिसमस मनाया. उनका संदेश साफ है कि परंपराओं की रक्षा सिर्फ किसी एक समुदाय की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है.
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