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काशी में मुस्लिम महिलाओं ने की प्रभु श्रीराम की आरती, नजमा परवीन बोलीं- हम शुद्ध भारतीय, हमारी जड़ें सनातन में हैं

इस वायरल वीडियो में सबसे खास नज़ारा देखने को मिला जब बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं भगवान श्रीराम की आरती के लिए एकत्रित हुईं. इस बार दीपावली सिर्फ एक त्योहार नहीं रही, बल्कि यह धर्म से ऊपर उठकर एकता और मानवता का पर्व बन गई. मुस्लिम महिलाओं का भगवान श्रीराम के प्रति प्रेम और श्रद्धा यह दर्शाता है कि राम की संस्कृति जोड़ने वाली है, तोड़ने वाली नहीं.

22 Oct, 2025
( Updated: 22 Oct, 2025
04:26 PM )
काशी में मुस्लिम महिलाओं ने की प्रभु श्रीराम की आरती, नजमा परवीन बोलीं- हम शुद्ध भारतीय, हमारी जड़ें सनातन में हैं
Source: X Post

Muslim Mahila Ram Aarti: वाराणसी (काशी) में इस बार दीपावली का पर्व सिर्फ रोशनी और मिठाइयों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि एकता और भाईचारे का भी सुंदर उदाहरण देखने को मिला. यहां प्रभु श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में दीपावली हर धर्म और समुदाय के लोगों ने मिलकर मनाई. सबसे खास नज़ारा तब देखने को मिला, जब बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं भगवान राम की आरती के लिए जुटीं.

19 साल से हो रहा है मुस्लिम महिलाओं की श्रीराम आरती का आयोजन

लमही के सुभाष भवन में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में मुस्लिम महिला फाउंडेशन और विशाल भारत संस्थान की तरफ से 19 साल से लगातार हो रही मुस्लिम महिलाओं की श्रीराम महाआरती को एक बार फिर बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. जगद्गुरु बालक देवाचार्य के मार्गदर्शन में मुस्लिम महिलाओं ने सजे हुए थालों में दीपक जलाए और भगवान श्रीराम की आरती की. इस दृश्य ने लोगों का दिल जीत लिया.

उर्दू में गाई गई श्रीराम आरती, सबने मिलकर दिया एकता का संदेश

कार्यक्रम की खास बात यह रही कि मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाज़नीन अंसारी द्वारा उर्दू में लिखी गई श्रीराम आरती को सभी मुस्लिम महिलाओं ने मिलकर गाया. यह दृश्य कट्टरपंथ, अलगाववाद और नफरत फैलाने वाले तत्वों के लिए करारा जवाब था. खुद जगद्गुरु देवाचार्य जी भी मुस्लिम महिलाओं के साथ आरती में शामिल हुए. आरती के बाद सबको प्रसाद भी बांटा गया.

राम की राह ही शांति की राह - जगद्गुरु बालक देवाचार्य जी

जगद्गुरु बालक देवाचार्य जी ने कहा कि यह तस्वीर पूरी दुनिया के लिए एक संदेश और सबक है. अगर घर-परिवार से लेकर देश और दुनिया में शांति चाहिए, तो राम के नाम और संस्कार को अपनाना होगा. राम किसी एक धर्म के नहीं, बल्कि सबको साथ लेकर चलने वाली संस्कृति का नाम हैं. मुस्लिम महिलाओं ने अपने पूर्वजों की परंपरा और मूल पहचान को अपनाया, जो कि रामराज्य की दिशा में एक मजबूत कदम है.

नाज़नीन अंसारी बोलीं - हमने मजहब बदला है, धर्म नहीं

मुस्लिम महिला फाउंडेशन की प्रमुख नाज़नीन अंसारी ने अपने संबोधन में कहा कि, “हमने केवल मजहब बदला है, धर्म नहीं. धर्म तो केवल सनातन है और हम सभी सनातनी हिंदू हैं.” उन्होंने कहा कि भारत के सभी लोग पूर्वजों और परंपराओं से एक हैं. राम सिर्फ एक राजा नहीं, बल्कि प्रेम, दया, शांति और एकता का प्रतीक हैं. नाज़नीन ने यहां तक कहा कि अफगानिस्तान में भगवान राम की प्रतिमा लगाई जानी चाहिए, ताकि वहां के लोग भी अपने पूर्वजों की संस्कृति से जुड़ सकें.

रामपंथ ही नफरत का इलाज – डॉ. राजीव श्री गुरुजी

विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्री गुरुजी ने कहा कि अगर दुनिया से नफरत को खत्म करना है, तो केवल एक ही रास्ता है रामपंथ. उन्होंने कहा कि जहां-जहां राम के कदम पड़ेंगे, वहां रामराज्य का अनुभव होगा. राम के आने का मतलब है - दुखों से मुक्ति और प्रेम की वृद्धि.

हम भारतीय हैं, अरबी-तुर्की बनने का नाटक नहीं करेंगे - डॉ. नजमा परवीन

संस्थान की केन्द्रीय परिषद सदस्य डॉ. नजमा परवीन ने साफ कहा कि हम भारतीय मूल के लोग हैं और हमें अपने पूर्वजों की पहचान पर गर्व है. उन्होंने कहा, “हम इतने बेगैरत नहीं हैं कि अरबी और तुर्की बनने का दिखावा करें.” उन्होंने यह भी कहा कि किसी का फतवा या धमकी हमें हमारे राम से अलग नहीं कर सकती। हमारी जड़ें सनातन में हैं और हम उसे छोड़ नहीं सकते.

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काशी में मनाई गई यह दीपावली सिर्फ एक त्योहार नहीं रही, बल्कि धर्म से ऊपर उठकर, एकता और मानवता का पर्व बन गई. मुस्लिम महिलाओं का श्रीराम के प्रति प्रेम और श्रद्धा दिखाता है कि राम की संस्कृति जोड़ने वाली है, तोड़ने वाली नहीं. ये आयोजन न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश देता है कि अगर सब मिलकर साथ चलें, तो हर दिन रामराज्य बन सकता है.

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