कश्मीर पर फिर से झूठ बोलते पकड़े गए शहबाज शरीफ, सबूत के साथ X ने पाक पीएम को दुनिया भर में किया बेइज्जत
बता दें कि झूठ बोलने में महारत हासिल कर चुका पाकिस्तान फिर से बेनकाब हुआ है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की झूठ के दावे की पोल खोलते हुए उनकी पोस्ट पर फैक्ट चेक किया है. दरअसल, शहबाज शरीफ ने अपने X हैंडल से एक पोस्ट साझा की थी, जिसमें उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताते हुए भारत पर आक्रमण का आरोप लगाया और जम्मू-कश्मीर में 'मानवाधिकार उल्लंघन' का दावा किया.
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पाकिस्तान अपनी नीच हरकतों से कभी बाज नहीं आता. कश्मीर को पाने की चाहत में वह इतना गिर चुका है कि दुनिया भर में झूठ फैलाने की साजिश रचता है, लेकिन हमेशा से फेक न्यूज और झूठ बोलने की उसकी कोशिश नाकाम रही है. ऐसे में देखा जाए तो पाकिस्तान दुनिया में नापाक कोशिशों में महारत हासिल रखता है. इस बीच 27 अक्टूबर को कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने फिर से झूठ फैलाने की कोशिश की, लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X ने खुद इस पर फैक्ट चेक करते हुए सबूत के साथ दुनिया भर में जबरदस्त बेइज्जती की है.
पाक पीएम ने फिर से जम्मू-कश्मीर पर झूठ बोला
बता दें कि झूठ बोलने में महारत हासिल कर चुका पाकिस्तान फिर से बेनकाब हुआ है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की झूठ के दावे की पोल खोलते हुए उनकी पोस्ट पर फैक्ट चेक किया है. दरअसल, शहबाज शरीफ ने अपने X हैंडल से एक पोस्ट साझा की थी, जिसमें उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताते हुए भारत पर आक्रमण का आरोप लगाया और जम्मू-कश्मीर में 'मानवाधिकार उल्लंघन' का दावा किया.
Every year the 27th of October marks the darkest day in the history of Kashmir. It was on this day, seventy-eight years ago, that the Indian Occupation Forces landed in Srinagar and annexed it - a tragic chapter in human history that continues to this day. Ever since that fateful…
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) October 27, 2025
फैक्ट चेक में पकड़ा गया शहबाज शरीफ का झूठ
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर पर झूठ फैलाने की कोशिश की, पाकिस्तान दुनिया भर में कश्मीर का झूठा रोना रोता है. ऐसे में जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कश्मीर पर झूठ बोला, तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X ने कड़ा रुख अपनाते हुए फैक्ट चेक किया और उनके दावे को साफ-साफ भ्रामक न्यूज़ बताया. इसके बाद उनकी दुनिया भर में जबरदस्त भद पीठ रही है. शहबाज शरीफ की पोस्ट के नीचे X की कम्युनिटी नोट्स ने झूठा करार देते हुए फैक्ट चेक जारी किया और बताया कि यह भ्रामक खबर है.
महाराजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर का विलय करने पर सहमति जताई
बता दें कि X ने फैक्ट चेक करते हुए बताया है कि महाराजा हरि सिंह 26 अक्टूबर 1947 को भारत में शामिल होने के लिए राजी हुए. इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद भारत में क्षेत्र की रक्षा के लिए 27 अक्टूबर 1947 को श्रीनगर में सेना भेजी. X की कम्युनिटी नोट्स में यह भी बताया गया कि भारत की सरकारी रेडियो सर्विस आकाशवाणी के आर्काइव से उस ऐतिहासिक पत्र को दिखाया गया है, जिसमें महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का विलय भारत के साथ करने पर सहमति जताई है. महाराजा हरि सिंह के विलय पत्र के साथ कई दूसरे ऐतिहासिक दस्तावेज के भी लिंक शेयर किए हैं, जो साबित करता है कि महाराजा हरि सिंह द्वारा जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में करने के बाद ही भारत ने कश्मीर की सुरक्षा के लिए अपनी सेनाएं वहां भेजी.
क्या है 27 अक्टूबर 1947 का वाकया?
बता दें कि साल 1947 में भारत के विभाजन के बाद जम्मू-कश्मीर एक रियासत थी. इसे स्वतंत्र रहने या भारत-पाकिस्तान में शामिल होने का एक विकल्प दिया गया था, उस दौरान महाराजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर के शासक थे और वे शुरू में स्वतंत्र रहना चाहते थे. लेकिन 22 October 1947 को पाकिस्तान समर्थित कबायली लश्कर ने मुजफ्फराबाद, डोमेल, धूमल होते हुए श्रीनगर की ओर आक्रमण कर दिया. इनमें पश्तून जनजाति और पाकिस्तान सेना के घुसपैठिए शामिल थे.
हमलावरों की आड़ में जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करने की कोशिश
पाकिस्तानी कबायली हमलावरों की जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करने की बड़ी चाहत थी. इन लड़ाकों ने 26 अक्टूबर तक उरी और बारामूला पर कब्जा कर लिया और श्रीनगर भी महज 50 किलोमीटर दूर था, उसके बाद महाराजा हरि सिंह की सेना पाकिस्तानियों से लड़ रही थी, लेकिन हथियारों और संख्या के बल में वह काफी कमजोर थी.
बारामूला में लूटपाट, हत्या और महिलाओं पर अत्याचार
इस दौरान लूटपाट, हत्या और महिलाओं पर अत्याचार की कई बड़ी खबरें सामने आने लगी. स्थिति काफी ज्यादा बिगड़ गई, उसके बाद महाराजा हरि सिंह ने के. वी. मेनन जो उस समय भारत के गृह मंत्रालय के सचिव थे, उनसे मदद मांगी. फिर 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने विलय पद पर हस्ताक्षर किए, जिससे जम्मू-कश्मीर कानूनी रूप से भारत का हिस्सा बन गया.
भारतीय सेना की टुकड़ी ने संभाला मोर्चा
खबरों के मुताबिक, 27 अक्टूबर की सुबह पहली भारतीय सेना की टुकड़ी, जो की एक सिख रेजिमेंट थी. वह श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरी, इसके बाद ब्रिगेडियर जे. सी. कटोच के नेतृत्व में सैनिकों ने तुरंत बारामूला की ओर जाते हुए मोर्चा संभाला और घुसपैठियों को रोका. उसके बाद एक बड़ी कार्रवाई हुई और फिर भारत जम्मू- कश्मीर का अहम अंग बन गया, जिसके चलते पाकिस्तान आज भी जम्मू-कश्मीर को अपना हिस्सा बताने की झूठी साजिश रचता रहता है .
कई बार पकड़ा गया झूठ
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यह पहली बार नहीं कि पाकिस्तान ने कश्मीर के मुद्दे पर झूठ बोला हो, इससे पहले भी कई बार पाकिस्तान की तरफ से इस मुद्दे पर झूठ बोला गया है, लेकिन साल 2025 से X द्वारा सूचनाओं की नई फैक्ट चेकिंग पॉलिसी लागू करने के बाद उसके सभी झूठे दावों पर नोट्स लगे हैं.
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