रेलवे स्टॉक्स ने पकड़ी रफ्तार, बजट उम्मीदों और किराया बढ़ोतरी से बाजार में तेजी
रेलवे शेयर साल 2025 में काफी समय तक दबाव में रहे थे. जुलाई 2024 में सेक्टर के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद शेयरों में गिरावट आई थी. ज्यादा कीमतें और सरकारी समर्थन की उम्मीदें कम होने के चलते कई शेयर नीचे आ गए थे.
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भारतीय रेलवे से जुड़े शेयरों में लंबे समय बाद फिर से तेजी देखने को मिली है. पिछले पांच कारोबारी सत्रों में रेलवे सेक्टर के शेयरों में अच्छी बढ़त देखने को मिली है.
इस तेजी से रेलवे से जुड़ी कंपनियों के मार्केट कैप में करीब 66,500 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है. निवेशक आगामी केंद्रीय बजट को देखते हुए दोबारा निवेश कर रहे हैं और कंपनियों की कमाई के संकेत भी बेहतर दिख रहे हैं.
2024 में गिरावट के बाद 2025 में सुधार के संकेत
रेलवे शेयर साल 2025 में काफी समय तक दबाव में रहे थे. जुलाई 2024 में सेक्टर के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद शेयरों में गिरावट आई थी. ज्यादा कीमतें और सरकारी समर्थन की उम्मीदें कम होने के चलते कई शेयर नीचे आ गए थे.
अब जो तेजी आई है, उससे पता चलता है कि निवेशकों का भरोसा धीरे-धीरे लौट रहा है. इसका कारण किराया बढ़ना, बजट से उम्मीदें और कुछ कंपनियों से जुड़ी अच्छी खबरें हैं.
सबसे ज्यादा तेजी Jupiter Wagons में
इस तेजी में ज्यूपिटर वैगन्स सबसे आगे रहा. इसके शेयर केवल पांच दिनों में करीब 37 प्रतिशत बढ़ गए. रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के शेयर लगभग 27 प्रतिशत और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईआरएफसी) के शेयर 20 प्रतिशत से ज्यादा चढ़े.
इसके अलावा इरकॉन इंटरनेशनल, टीटागढ़ रेल सिस्टम्स, रेलटेल कॉर्पोरेशन, टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग, राइट्स और बीईएमएल जैसी कंपनियों के शेयरों में भी अच्छी बढ़त देखने को मिली.
हालांकि इतनी तेजी के बाद भी ज्यादातर रेलवे स्टॉक अपने पुराने ऊंचे स्तर से अभी नीचे ही हैं.
किराया बढ़ोतरी ने दी बढ़त को रफ्तार
इस तेजी का एक बड़ा कारण भारतीय रेलवे द्वारा 26 दिसंबर से यात्री किराया बढ़ाना है. यह दूसरी बार है, जब वित्त वर्ष 2026 में किराया बढ़ाया गया है. लंबी दूरी की यात्रा में सामान्य, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों का किराया प्रति किलोमीटर 1 से 2 पैसे बढ़ाया गया है. हालांकि लोकल और उपनगरीय ट्रेनों के किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है.
क्यों बढ़ रही है उम्मीदें?
इस किराया बढ़ोतरी से रेलवे को चालू वित्त वर्ष में करीब 600 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आमदनी होने की उम्मीद है.
फिलहाल यात्री ट्रेन सेवाएं घाटे में चल रही हैं, क्योंकि किराया लागत से करीब 45 प्रतिशत कम है. यह घाटा माल ढुलाई से होने वाली कमाई से पूरा किया जाता है.
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किराए में इस बदलाव से रेलवे की आय बढ़ेगी, घाटा कम होगा और रेलवे की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी.
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