चीन-पाकिस्तान की नींद हराम करने की तैयारी... भारत अब समंदर से दुश्मनों पर रखेगा पैनी नजर, 70,000 करोड़ के बजट से 6 पनडुब्बियों के निर्माण को मिली मंजूरी
केंद्र की मोदी सरकार ने जर्मनी की कंपनी के साथ मिलकर भारत में 6 पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दे दी है. इन पनडुब्बियों के निर्माण का कुल बजट 70, 000 करोड़ रुपए बताया जा रहा है.
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केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय को 'प्रोजेक्ट 75 इंडिया' के तहत जर्मनी के साथ 6 पनडुब्बियों के निर्माण के लिए मंजूरी दे दी है. पिछले 6 महीने से यह प्रोजेक्ट अटका हुआ था, लेकिन अब इसे मंजूरी मिल गई है, ऐसे में भारत जर्मनी के साथ अपने ही देश में इसका निर्माण करेगा. इन पनडुब्बियों में कई तरह की खासियत होगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस महत्वाकांक्षी पनडुब्बी सौदे की कुल अनुमानित कीमत करीब 70 हजार करोड़ रुपए है. रक्षा मंत्रालय ने जनवरी में ही जर्मन कंपनी थायसन ग्रुप को अपना सहयोगी बना लिया था.
70,000 करोड़ रुपए की 6 पनडुब्बियों का भारत करेगा निर्माण
केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय और मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (एमडीएल) को 'प्रोजेक्ट 75 इंडिया' के तहत 6 पनडुब्बियों के निर्माण के लिए जर्मनी की कंपनी से बातचीत करने की मंजूरी दे दी है. इसके निर्माण में कुल 70,000 करोड़ रुपए लगेगे. भारत ने इसके लिए जर्मन कंपनी थायसनग्रुप को बतौर साझेदार चुना है.
रक्षा अधिकारियों का भी बयान आया सामने
इस प्रोजेक्ट को सरकार द्वारा मंजूरी मिलने के बाद रक्षा अधिकारियों ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए बताया कि "केंद्र सरकार ने अब रक्षा मंत्रालय और एमडीएल को इस परियोजना के लिए बातचीत शुरू करने की अनुमति दे दी है और यह प्रक्रिया इस महीने के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है."
उच्च स्तरीय बैठक के बाद लिया गया फैसला
सरकार और रक्षा मंत्रालय द्वारा पनडुब्बियों के निर्माण का फैसला एक उच्च-स्तरीय बैठक के बाद लिया गया. इस बैठक में शीर्ष रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों ने देश की पनडुब्बी बेड़े की भविष्य की रणनीति और रोडमैप पर चर्चा की. इस कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से रक्षा मंत्रालय का लक्ष्य देश में पारंपरिक पनडुब्बियों के डिजाइन और निर्माण की स्वदेशी क्षमता विकसित करना है.
3 सप्ताह तक पानी में रहने में सक्षम यह पनडुब्बी
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने अपने जर्मन सहयोगी के साथ पनडुब्बियों के निर्माण की प्रक्रिया को तेज करने पर विचार कर रही है. भारतीय नौसेना का यह 'प्रोजेक्ट 75 इंडिया' के तहत 6 एडवांस स्तर की पनडुब्बियों की खरीद और निर्माण पर होगी. यह पनडुब्बी इतनी ताकतवर है कि तीन सप्ताह तक पानी के भीतर रहने में सक्षम होगी. जर्मन एआईपी तकनीक इन पनडुब्बियों को यह क्षमता प्रदान करेगी.
2 परमाणु पनडुब्बियों का पहले से चल रहा निर्माण
जानकारी के बता दें कि भारतीय उद्योग पहले से ही दो परमाणु हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण पर लगा हुआ है. इसमें निजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो और सबमरीन बिल्डिंग सेंटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. दरअसल, चीनी नौसेना के तेजी और आधुनिकीकरण के मद्देनजर भारतीय सरकार ने परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह की कई पनडुब्बी परियोजनाओं को मंजूरी दी है. इससे भारत की ताकत में भी इजाफा होगा और दुश्मनों के अंदर एक खौफ भी पैदा होगा.
दुश्मनों से निपटने के लिए भारत की कड़ी तैयारी
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भारत अपने सीमा क्षेत्र में दो दुश्मनों से घिरा हुआ है. इनमें एक चीन है और दूसरा पाकिस्तान. ऐसे में भारतीय सेना ने अपने हितों के लिए दोनों ही देश से कड़ा मुकाबला करने के लिए क्षमताओं के विकास में लगा हुआ है. अगले एक दशक के अंदर भारत कम से कम 10 पंक्तियों को एक चरणबद्ध तरीके से हटाने की योजना बना रही है, जिसे आधुनिक तकनीक वाले कई पनडुब्बियों से रिप्लेसमेंट किया जाएगा. भारत के तीनों सेनाओं के आधुनिक हथियार के निर्माण ज्यादातर भारत में ही हो रहा है. ऐसे में रक्षा निर्माण को भी मजबूती मिलेगी और देश की सामरिक स्वायत्तता में भी वृद्धि होगी.
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