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महाराष्ट्र में बदले नज़र आ रहे हैं सियासी हालात, बढ़ती बेचैनी के बीच दिल्ली पहुंचे एकनाथ शिंदे, क्या बीजेपी करने जा रही ऑपरेशन लोटस पार्ट-2

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे की हालिया बंद कमरे की मुलाकात और सदन में दिए गए खुले प्रस्ताव से महाराष्ट्र की सियासत में हलचल तेज हो गई है. इस नजदीकी से सबसे ज्यादा असहज एकनाथ शिंदे नजर आ रहे हैं, जो भाजपा नेतृत्व से संपर्क की कोशिशों में जुटे हैं लेकिन अब तक उन्हें प्रतिक्रिया नहीं मिली. बताया जा रहा है कि फडणवीस शिंदे की लगातार बार्गेनिंग और टकराव भरे रवैये से संतुष्ट नहीं हैं, जबकि अजित पवार के साथ उनके रिश्ते ज्यादा सहज बने हुए हैं. क्या बीजेपी का ऑपरेशन लोटस पार्ट 2 होने जा रहा है?

Created By: केशव झा
31 Jul, 2025
( Updated: 01 Aug, 2025
11:38 AM )
महाराष्ट्र में बदले नज़र आ रहे हैं सियासी हालात, बढ़ती बेचैनी के बीच दिल्ली पहुंचे एकनाथ शिंदे, क्या बीजेपी करने जा रही ऑपरेशन लोटस पार्ट-2
Image: Uddhav Thackeray / Eknath Shinde / Devendra Fadnavis / File Photo

महाराष्ट्र में बदल-बदले नज़र आ रहे हैं सियासी हालात, शिंदे की बढ़ती बेचैनी के बीच दिल्ली पहुंचे एकनाथ शिंदे, क्या बीजेपी करने जा रही ऑपरेशन लोटस पार्ट-2महाराष्ट्र की सियासत हो और एक भी दिना बिना सियासी दांव-पेंच, वार-पलटवार और जोड़-तोड़ की ख़बर के चली जाए, ऐसा हो नहीं सकता. हो भी रहा है कुछ ऐसा ही. राज्य की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल के संकेत मिल रहे हैं. जी हां! हाल के दिनों में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच बढ़ती बातचीत और मुलाकातें इसी ओर इशारा कर रही हैं. बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच एक होटल के कमरे में बंद दरवाजों के पीछे बैठक भी हो चुकी है. इसी बैठक के दौरान फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को प्रत्यक्ष रूप से अपने साथ आने का न्योता दिया. इन गतिविधियों से साफ है कि दोनों दलों के बीच नजदीकियां अब महज चर्चा तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि इसके संकेत भी सामने आने लगे हैं.

इसी महीने 17 जुलाई को विधान परिषद में भाषण देते हुए सीएम फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को इशारों ही इशारों में अपनी ओर आने का न्यौता दे दिया था. उन्होंने लंबे समय तक शिवसेना उबाटा से चली तल्खी, आरोप-प्रत्यारोप के बाद सदन में मुस्कुराते हुए उद्धव ठाकरे से कहा कि "इधर आना हो तो विचार कीजिए." आगे फडणवीस ने कहा कि "देखिए उद्धव जी, 2029 तक तो हमारा वहां (विपक्ष में) आने का स्कोप नहीं है. लेकिन आपको इधर आना हो तो विचार कीजिए. आप पर निर्भर है." उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात के बाद सदन में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस सीधे प्रस्ताव को महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा कदम माना गया, जिसकी गूंज अब भी सुनाई दे रही है. 

फडणवीस और उद्धव की मुलाकात

उद्धव और फडणवीस की बंद कमरे में मुलाकात और सदन में सीधा प्रस्ताव देने के कई सियासी मायने निकल रहे हैं. कहा जा रहा है कि इस बदले सियासी समीकरण से सबसे ज्यादा असहज स्थिति शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की हो गई है. शिंदे को आभास हो चुका है कि अब उन्हें दरकिनार किया जा रहा है. अपनी बढ़ रही बेचैनी के बीच डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे इन दिनों दिल्ली में हैं और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मिलने की कोशिश कर रहे हैं. उनके बेटे और सांसद श्रीकांत शिंदे भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने की लगातार कोशिशें कर रहे हैं ताकि उन्हें, बड़े शिंदे और उनकी पार्टी को मौजूदा हालात को लेकर स्पष्ट संदेश मिल सके. कहा जा रहा है कि अब तक उन्हें शाह से मिलने का समय नहीं मिला है.

बढ़ रही एकनाथ शिंदे की बेचैनी

बताया जा रहा है कि फडणवीस अब एकनाथ शिंदे के साथ सहज नहीं हैं. जब से महाराष्ट्र में नई सरकार बनी है, तभी से शिंदे हर बड़े मसले पर अपनी शर्तें रखते आ रहे हैं. उन्होंने पहले मुख्यमंत्री पद को लेकर दबाव बनाया, फिर विभागों के बंटवारे में गृह और शहरी विकास मंत्रालय को लेकर भी खींचतान की. पालक मंत्रियों की नियुक्तियों और गठबंधन सहयोगी एनसीपी (अजित पवार गुट) के साथ तालमेल को लेकर भी टकराव होता रहा. जानकारों के अनुसार, इन सब बातों से फडणवीस अब असहज महसूस कर रहे हैं और चाहते हैं कि उन्हें प्रशासनिक फैसलों में स्वतंत्रता मिले. दूसरी ओर, फडणवीस और अजित पवार के बीच रिश्ते अपेक्षाकृत बेहतर माने जा रहे हैं. फडणवीस कई बार सार्वजनिक मंचों से अजित पवार को संतुलित और अनुभवी नेता बता चुके हैं.

BMC तय करेगा, मुंबई का असली बादशाह कौन?
इस बीच, बीएमसी चुनाव भी भाजपा और शिंदे गुट के रिश्तों में और दूरी ला रहा है. यह चुनाव तय करेगा कि मुंबई की सत्ता पर कौन काबिज रहेगा. पिछली बार महाविकास अघाड़ी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना (उद्धव गुट) ने मुंबई में मजबूत प्रदर्शन किया था. उद्धव गुट के पास विधानसभा में 20 विधायक हैं, जिनमें से करीब आधे मुंबई से आते हैं. इसके साथ ही बीएमसी में भी बहुमत फिलहाल उद्धव गुट के पास है. लोकसभा में भी पार्टी के नौ सांसद हैं, जिनमें से तीन मुंबई से हैं. जाहिर है कि मुंबई में उद्धव गुट की पकड़ फिलहाल मजबूत है. ऐसे में भाजपा के लिए अगर उद्धव ठाकरे गुट के साथ गठबंधन होता है, तो उसे कई स्तरों पर फायदा हो सकता है.

अगर यह गठबंधन बनता है, तो एक तो फडणवीस को सरकार में ज्यादा स्वतंत्रता मिलेगी, दूसरा, बीएमसी चुनाव में इस साझेदारी से जीत की संभावना काफी मजबूत हो जाएगी. तीसरा बड़ा फायदा यह होगा कि केंद्र में भाजपा को शिवसेना (उद्धव गुट) के नौ सांसदों का समर्थन मिल जाएगा.

इन सभी सियासी हलचलों को जानकार रिवर्स 'ऑपरेशन लोटस' का नाम दे रहे हैं. 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को विभाजित कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, तब उस घटनाक्रम को 'ऑपरेशन लोटस' कहा गया था. उस वक्त भाजपा को संख्या बल के बावजूद शिंदे को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा था और खुद फडणवीस को डिप्टी सीएम पद स्वीकार करना पड़ा था. लेकिन अब समीकरण बदल चुके हैं. भाजपा की स्थिति पहले से अधिक मजबूत है और ऐसे में एकनाथ शिंदे की भूमिका सीमित होती दिख रही है. हालांकि अभी तक शिंदे गुट को सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए गए हैं, लेकिन बदलते समीकरणों में उनकी सियासी जमीन खिसकती नजर आ रही है. 

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अब देखने वाली बात है कि आने वाले दिनों में किसका सपना साकार होता है और किसे दरकिनार किया जाता है. इतना तो तय है कि महाराष्ट्र में जो दिख रहा है वो है नहीं और जो होने वाला है वो दिख नहीं रहा है.

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