‘पाकिस्तान से रिश्ते तभी सुधरेंगे जब…’, उमर अब्दुल्ला ने गिनाईं शर्तें, अपने पद को बताया शक्तिविहीन
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि मौजूदा हालात में भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों का सामान्य होना संभव नहीं दिखता. पहलगाम और दिल्ली जैसे आतंकी हमलों का हवाला देते हुए उन्होंने साफ किया कि जब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी, रिश्तों में सुधार की उम्मीद करना मुश्किल है.
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जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावपूर्ण माहौल को लेकर खुलकर अपनी बात रखी है. उन्होंने साफ कहा है कि मौजूदा हालात में दोनों देशों के बीच संबंधों का सामान्य होना लगभग असंभव नजर आ रहा है. बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह बयान दिया, जिसने राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में चर्चा तेज कर दी है.
दरअसल, ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ द्वारा आयोजित ‘एक्सप्रेस अड्डा’ कार्यक्रम में उमर अब्दुल्ला शामिल हुए. इस कार्यक्रम में उन्होंने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भारत हमेशा संवाद के पक्ष में रहा है, लेकिन बातचीत के लिए अनुकूल माहौल होना जरूरी है. उनके मुताबिक यह माहौल फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा. उन्होंने दो टूक कहा कि ऐसा वातावरण बनाने की जिम्मेदारी पूरी तरह पाकिस्तान की है.
पाकिस्तान से संबंध नहीं होंगे सामान्य
मुख्यमंत्री ने हाल के आतंकी हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि पहलगाम और दिल्ली जैसे स्थानों पर हुए हमले यह दिखाते हैं कि जमीनी हकीकत अब भी शत्रुतापूर्ण बनी हुई है. उन्होंने कहा कि जब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी, तब तक भारत से यह उम्मीद करना गलत होगा कि वह आंख मूंदकर रिश्तों को सामान्य मान ले. उमर अब्दुल्ला के कहने का साफ़ मतलब था कि दिल्ली जैसे विस्फोट होते रहेंगे तो संबंधों के सुधरने की कल्पना करना भी मुश्किल है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर पाकिस्तान वास्तव में रिश्तों में सुधार चाहता है तो उसे केवल बयानबाजी नहीं, बल्कि ठोस और भरोसेमंद कार्रवाई करनी होगी. आतंकवाद के खिलाफ ईमानदार कदम और सरकार स्तर पर गंभीरता दिखाना अनिवार्य है. बिना इन प्रयासों के कोई प्रगति संभव नहीं है.
मेरा पद शक्तिविहीन: उमर अब्दुल्ला
इसी कार्यक्रम में उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर की मौजूदा प्रशासनिक स्थिति पर भी गहरी नाराजगी जताई. उन्होंने मुख्यमंत्री पद को शक्तिविहीन बताया और कहा कि उन्हें देश के सबसे सशक्त राज्यों में से एक का नेतृत्व करने के बजाय ऐसे केंद्र शासित प्रदेश का नेतृत्व करना पड़ रहा है, जहां शक्तियां बेहद सीमित हैं. उन्होंने उपराज्यपाल के लगातार हस्तक्षेप पर सवाल उठाए और केंद्र सरकार से राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक स्पष्ट लक्ष्य तय करने की मांग की.
बताते चलें कि उमर अब्दुल्ला के ये बयान न केवल भारत-पाक रिश्तों की जटिलता को उजागर करते हैं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक भविष्य को लेकर चल रही बहस को भी नई दिशा देते हैं.
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