'स्कूल लेवल से ही बच्चों को पढ़ाएं श्रीमद्भगवद्गीता', केंद्रीय मंत्री कुमारास्वामी की मोदी सरकार से बड़ी मांग
केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने स्कूल में बच्चों को श्रीमद्भगवद्गीता की पढ़ाई कराए जाने की वकालत की है. उन्होंने विपक्ष के हो-हल्ले के बावजूद फिर कहा की गीता की शिक्षा समय की जरूरत है. इस संबंध में उन्होंने बीते दिनों शिक्षा मंत्री को एक चिट्ठी भी लिखी थी.
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केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता की पढ़ाई की जोरदार वकालत की है. उन्होंने अपने हालिया बयान में फिर दोहरया कि बच्चों को स्कूल लेवल से ही श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि यह एक बहुत ही सकारात्मक शैक्षिक सुधार होगा. आपको बता दें कि गीता की शिक्षा को लेकर दिए बयान के बाद से ही विपक्ष के हमले झेल रहे कुमारस्वामी ने बिना घबराए इसके पक्ष में फिर से बयान दे दिया है. उन्होंने जब से किताबों में श्रीमद्भगवद्गीता को शामिल किए जाने की बात की है, तब से कांग्रेसी सीएम सिद्धारमैया उन पर हमलावर हैं और उन्हें घेर रहे हैं. उन्होंने तो ये भी कहा कि जब से वो बीजेपी के साथ गए हैं वो मनुवादी हो गए हैं. वहीं कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी उन पर तीखा हमला बोला था.
बेहतर समाज के निर्माण के लिए श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षा जरूरी: कुमारस्वामी
आपको बताएं कि बुधवार को नई दिल्ली में मैसूरु के कुवेम्पु विश्व मानव क्षेमाभिवृद्धि ट्रस्ट और दिल्ली कर्नाटक संघ द्वारा आयोजित राष्ट्रकवि कुवेम्पु के योगदान और उपलब्धियों पर एक सेमिनार के समापन सत्र में बोल रहे थे. केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाने की वकालत करने वाला उनका बयान किसी राजनीतिक मकसद से या धार्मिक संघर्ष पैदा करने के लिए नहीं दिया गया था, बल्कि पूरी तरह से एक बेहतर समाज बनाने के नजरिए से दिया गया था.
श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षा का राजनीतिकरण ठीक नहीं: कुमारस्वामी
उन्होंने कहा, “श्रीमद्भगवद्गीता के ऊंचे और नेक मूल्यों को नए सिरे से समझाने की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि ऐसे समय में जब समाज में नैतिक मूल्य गिर रहे हैं, गीता की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है. कृष्ण की शिक्षाएं मानवता के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश हैं. इसीलिए मैंने कहा है कि इसे बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए. मैंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को एक पत्र भी लिखा है जिसमें अनुरोध किया है कि श्रीमद्भगवद्गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए. यह सही नहीं है कि कुछ लोग इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं.”
'मानवीय मूल्य समय की जरूरत'
उन्होंने यह भी कहा कि आज हमारे पास सब कुछ है. हम तकनीकी और आर्थिक रूप से प्रगति कर रहे हैं, लेकिन जब मूल्यों की बात आती है, तो हम गहराई में डूब रहे हैं. हर किसी को इस बात पर आत्ममंथन करना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है. मंत्री ने कहा कि आज, ऐसा लगता है कि कोई भी शांति से सो नहीं पा रहा है. ऐसी ईमानदारी की कमी है. माता-पिता को तय करना होगा कि वे अगली पीढ़ी को क्या देना चाहते हैं. उन्होंने आगे अपील की कि मानवीय मूल्य और एक मां जैसा दिल हर किसी के लिए जरूरी है, और लोगों से इन मूल्यों को अपने जीवन में अपनाने का आग्रह किया.
कुमारस्वामी ने कहा कि कुवेम्पु न केवल एक राष्ट्रीय कवि थे, बल्कि एक सार्वभौमिक कवि थे, एक ऐसे कवि थे जिन्होंने मानवता के कल्याण के लिए साहित्य लिखा. उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसी महान हस्ती भारत रत्न की हकदार है. उन्होंने यह भी कहा कि मैंने कुवेम्पु की रचनाएं पढ़ी हैं. खासकर, उनके दो उपन्यासों के साथ, मैंने उनकी आत्मकथा 'नेनापिना डोनियल्ली' (यादों की नाव में) ध्यान से पढ़ी है. यह किताब इतनी अनोखी है कि ऐसा लगता है जैसे कुवेम्पु ने इसे सीधे अपने दिल से लिखा हो.
एचडी कुमारस्वामी गीता की शिक्षा को लेकर लिखी थी मंत्री को चिट्ठी!
मालूम हो कि केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने इसी महीने 5 दिसंबर को देशभर के स्कूल पाठ्यक्रम में पवित्र हिंदू ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता को शामिल करने की मांग की थी. उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को एक पत्र भी लिखा था.
केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर इसकी जानकारी खुद ही दी और लिखा कि, "मैंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि हमारे देश के पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता को पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाए और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए जाएं."
'श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षा आवश्यक'
उन्होंने कहा, "निष्काम कर्म, ईमानदारी और नैतिक शक्ति के शाश्वत मूल्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत मूल्य-आधारित शिक्षा को समृद्ध करेंगे. ये मूल्य हमारे युवाओं को उनके छात्र जीवन से ही जिम्मेदार नागरिक बनने और विश्व स्तर पर उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित करेंगे. भारतीय विरासत की बेहतरीन और सबसे मानवीय परंपराओं को पुनर्जीवित करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प के अनुरूप, मेरा दृढ़ विश्वास है कि श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षा आवश्यक है."
कुमारस्वामी ने कहा, "भारत लंबे समय से संतों, ज्ञान और स्थायी सभ्यतागत मूल्यों की भूमि रहा है. सनातन धर्म 'वसुधैव कुटुंबकम' के सार्वभौमिक आदर्श को बनाए रखता है. भगवान विष्णु ने अपने 8वें अवतार श्रीकृष्ण के रूप में श्रीमद्भगवद्गीता का शाश्वत ज्ञान दिया, जो 'निष्काम कर्म' और ईमानदारी और समर्पण के साथ अपने कर्तव्य का पालन करने के महत्व पर जोर देता है. ये मूल्य, खासकर आज के वैश्विक माहौल में, अत्यंत प्रासंगिक हैं."
उन्होंने कहा, "हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने उडुपी में कृष्ण मठ की अपनी यात्रा के दौरान गीता पाठ कार्यक्रम में भाग लिया, जहां उन्होंने सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को बनाए रखा और उन पर प्रकाश डाला. उन्होंने एक बार फिर 'वसुधैव कुटुंबकम' की अवधारणा पर जोर दिया और इन शाश्वत मूल्यों की पुष्टि की."
'शिवमोग्गा में गीता पाठ में भाग लेना सौभाग्य की बात'
उन्होंने आगे कहा कि जैसा कि आप जानते हैं, मुझे शिवमोग्गा में गीता पाठ कार्यक्रम में भाग लेने का भी सौभाग्य मिला, जो एक प्रेरणादायक कार्यक्रम था. इसने गीता का पाठ करने और उससे जुड़ी गहन ऊर्जा और भक्ति का अनुभव करने का एक शानदार अवसर प्रदान किया."
'NEP का भी मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर'
केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि इस संदर्भ में, कई स्थानीय नेताओं और अभिभावकों ने अनुरोध किया है कि श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षाओं को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) मूल्य आधारित शिक्षा पर बहुत जोर देती है. श्रीमद्भगवद्गीता से चुनी हुई शिक्षाओं को शामिल करने से छात्रों में नैतिक शक्ति, सोच में स्पष्टता और चरित्र विकसित करने में मदद मिलेगी, जिससे हमारा जनसांख्यिकीय लाभांश मजबूत होगा और हमारे युवा विश्व स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार होंगे."
'श्रीमद्भगवद्गीता सबकी'
इससे पहले उन्होंने स्पष्ट किया था कि गीता सिर्फ हिंदू समुदाय के लिए नहीं, बल्कि सभी बच्चों को पढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि यह एक मूल्य-आधारित और स्वस्थ समाज निर्माण में योगदान दे सकती है.
कुमारास्वामी का सिद्धारमैया पर पलटवार
वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मंत्री एच.सी. महादेवप्पा की आलोचनाओं पर पलटवार करते हुए कुमारस्वामी ने कहा, “क्या अच्छी बातें कहना, सही सोच को बढ़ावा देना और बच्चों में सकारात्मक मूल्य डालना मनुवाद कहलाता है? क्या शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर गीता पढ़ाने का अनुरोध करना कोई अपराध है?”
'कर्नाटक तेजी से बन रहा ड्रग तस्करी का केंद्र'
कुमारस्वामी ने कहा कि वह गीता, रामायण और महाभारत का अध्ययन कर चुके हैं और गांधीजी भी भगवद्गीता से अत्यधिक प्रेरित थे. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गीता के 63वें श्लोक का भी पाठ किया. उन्होंने कहा कि कर्नाटक तेजी से ड्रग तस्करी का केंद्र बनता जा रहा है और नशा युवकों को भटका रहा है. उन्होंने कहा, “ड्रग्स खुलेआम स्कूल-कॉलेजों के आसपास बेचे जा रहे हैं. पुलिसकर्मियों तक के अपराध में शामिल होने की खबरें सामने आ रही हैं. मंत्री महादेवप्पा को सोचना चाहिए कि ऐसी स्थिति क्यों बनी.”
'श्रीमद्भगवद्गीता देती है अच्छे संस्कार'
कुमारस्वामी ने कहा कि भगवद्गीता शांति, अनुशासन और आत्मसंयम का संदेश देती है तथा व्यक्तित्व निर्माण में सहायक है. उन्होंने कहा, “मैंने कभी किसी को मनुवादी बनने को नहीं कहा. केवल यह कहा कि गीता अच्छे संस्कार देती है. फिर इसे तोड़-मरोड़कर पेश करने की जरूरत क्या है?” उन्होंने पूछा, “क्या मैंने कभी कहा कि बच्चों को संविधान के बारे में न पढ़ाया जाए?”
क्या है कुमारास्वामी की संक्षिप्त प्रोफाइल?
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आपको बता दें कि कुमारास्वामी फिलहाल केंद्रीय मंत्री हैं और कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं. उनकी पार्टी का नाम जेडीएस यानी कि जनता दल सेक्युलर है. उनके दल के नाम में ही सेक्युलर है. उसकी राजनीति ही स्थानीय वोकलिग्गा और अल्पसंख्यक वोटों के सहारे चलती रही है. उनका लंबे समय तक कांग्रेस से गठबंधन रहा है. वो बीजेपी के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा के ऑपरेशन की वजह से सत्ता से बाहर हो गए. बाद में लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी का जेडीएस से गठबंधन हो गया. HD कुमारास्वामी के पिता एच डी देवगौड़ा भारत के प्रधानमंत्री रहे हैं और फिलहाल अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वहीं कुमारास्वामी का प्रदेश अध्यक्ष हैं.
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