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ओडिशा में रोहिंग्या मुस्लिम युवकों पर बड़ा एक्शन, पुलिस ने 72 घंटे के अंदर राज्य छोड़ने का दिया आदेश, जानिए कैसे पकड़े गए

एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को ओडागांव पुलिस स्टेशन में मुस्लिम युवकों ने अपने आधार और वोटर कार्ड दिखाए, जिसके बाद पुलिस अधिकारियों ने उन्हें 72 घंटे यानी 3 दिनों के अंदर शहर छोड़ने का अल्टीमेटम थमा दिया, रिपोर्ट में बताया गया है कि कथित तौर पर यह सभी युवक बंगाली भाषा में बात कर रहे थे, जिन्हें पुलिस ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी समझकर ओडिशा छोड़ने का आदेश दिया.

ओडिशा पुलिस ने रोहिंग्या और बांग्लादेशियों पर बड़ा एक्शन लिया है और 72 घंटे के अंदर राज्य छोड़ने का फरमान थमाया है. खबरों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से आए कई मुस्लिम सालों से उड़ीसा के नयागढ़ और आसपास के अन्य जिलों में अपना कारोबार करते थे. यह सभी दो पहिया वाहनों पर गांव-गांव और शहर-शहर जाकर कंबल, मच्छरदानी व अन्य तरह के कपड़े बेचते थे. पुलिस को इन सभी पर शक तब हुआ, जब यह लोग आपस में बांग्ला भाषा में बात करते दिखाई दिए. इससे पहले पिछले हफ्ते भी उड़ीसा पुलिस ने 4 मुस्लिम युवकों को राज्य छोड़ने का फरमान थमाया था, लेकिन सोमवार को सीमा छोड़ने की समय सीमा खत्म हो गई. बता दें कि देश भर SIR को लेकर चल रहे सर्वे से रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों के बीच दहशत का माहौल है. इनमें तमाम ऐसे वोटर निकलकर सामने आ रहे हैं, जो फर्जी तरीके से लंबे समय से भारत के अन्य हिस्से में रह रहे हैं. 

ओडिशा पुलिस ने रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों को राज्य छोड़ने को कहा

एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को ओडागांव पुलिस स्टेशन में मुस्लिम युवकों ने अपने आधार और वोटर कार्ड दिखाए, जिसके बाद पुलिस अधिकारियों ने उन्हें 72 घंटे यानी 3 दिनों के अंदर शहर छोड़ने का अल्टीमेटम थमा दिया, रिपोर्ट में बताया गया है कि कथित तौर पर यह सभी युवक बंगाली भाषा में बात कर रहे थे, जिन्हें पुलिस ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी समझकर ओडिशा छोड़ने का आदेश दिया. बताया जा रहा है कि वह सभी मुर्शिदाबाद के डोमकल सबडिवीजन के जलंगी ब्लॉक में सागरपारा ग्राम पंचायत के रहने वाले हैं. 

बंगाल से ओडिशा जाकर कई सालों से कर रहे कारोबार 

बता दें कि सिर्फ उड़ीसा ही नहीं देश के अलग-अलग राज्यों में कई ऐसे बंगाली हैं, जो सालों से कारोबार कर रहे हैं. ऐसे में उड़ीसा पुलिस के शिकंजे में आए ये चारों युवक सैकड़ों लोगों के समूह का हिस्सा हैं. पुलिस के आदेश के बाद ये सभी सोमवार को ही शाम को बस से 100 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय कर भुवनेश्वर के लिए निकलने वाले थे, जहां से वह हावड़ा के लिए ट्रेन पकड़ते, लेकिन सोमवार देर रात तक उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें? क्योंकि घर का जरूरी सामान वे छोड़ आए थे और जो सामान अब तक नहीं बिक सका है, उसको कहां रखे या उसका क्या करें? ये एक बड़ी चिंता थी. 

युवक ने बताई अपनी पीड़ा 

द टेलीग्राफ को अपनी पीड़ा बताते हुए 4 मुस्लिम युवकों में से एक 32 साल के युवक साहेब ने बताया कि हमारे पास कन्फर्म ट्रेन टिकट नहीं है और हमारी सबसे बड़ी परेशानी है कि स्टॉक काफी ज्यादा संख्या में मौजूद है. हमारे मकान मालिक को भी हमें नोटिस देना पड़ा है. हमने स्टॉक रखने के लिए कम से कम 30 किलोमीटर की दूसरी जगह ढूंढ ली थी और हमारे पास कुल 2 लाख से ज्यादा के स्टॉक हैं, लेकिन अब उसका क्या करें? हम कोई खरीदार ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. कम से कम कोई सस्ते रेट पर ही सही, लेकिन इन सामानों को खरीद ले, जैसे हम इन सामानों को बेच पाएंगे, हम अपने घर लौट जाएंगे. 

इन सभी पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या होने का आरोप

इससे पहले पिछले साल भी उड़ीसा में ही बंगाल से आए कई मुस्लिम व्यापारियों और प्रवासी मजदूरों पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या समझकर हमला किया गया था. वहीं पिछले महीने 24 नवंबर को ही मुर्शिदाबाद के 24 साल के राहुल इस्लाम नाम के युवक को उड़ीसा के गंजाम जिले में बांग्लादेशी कहकर पीटा गया था और उसपर जय श्री राम का नारा लगाने के लिए भी दबाव डाला गया था, राहुल भी उड़ीसा में ही रहकर कपड़े बेचता था. देखा जाए, तो उड़ीसा में राहुल और साहेब जैसे हजारों रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं, जो अलग-अलग व्यापार में लगे हुए हैं और बीते कई वर्षों से इसी राज्य में है, लेकिन अब उन सभी को यहां से भगाया जा रहा है. सभी पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या होने के आरोप हैं. 

इस मामले पर ओडिशा के विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है. वरिष्ठ माकपा नेता जनार्दन पति ने बीजेपी और आरएसएस के बैनर तले समाजिक तत्वों द्वारा कपड़ा विक्रेता पर किए गए हमले की निंदा करते हुए कहा कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से यह तत्व पुलिस और राज्य के समर्थन से सक्रिय हो गए हैं. 

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