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विज्ञान भवन में नक्सल समीक्षा बैठक: अमित शाह ने विकास और सुरक्षा पर दिया ज़ोर

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार नक्सलवाद को देश से समाप्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई बैठक में उन्होंने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों द्वारा रक्षात्मक से अधिक आक्रामक अभियान चलाया जा रहा है, जिससे बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने 2026 तक नक्सलवाद का सफाया करने का लक्ष्य रखा है।

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08 Oct 2024
( Updated: 08 Oct 2024
09:57 PM )
विज्ञान भवन में नक्सल समीक्षा बैठक: अमित शाह ने विकास और सुरक्षा पर दिया ज़ोर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की। इस बैठक में शाह ने नक्सलवाद को समाप्त करने की सरकार की प्रतिबद्धता पर बल दिया।

विकास और सुरक्षा की रणनीति
शाह ने कहा कि नक्सलवाद से लड़ने के लिए सुरक्षा और विकास का दोहरा दृष्टिकोण जरूरी है। उन्होंने बताया कि माओवादी इलाकों में आक्रामक अभियानों से नक्सलियों पर दबाव बढ़ा है, जिससे हाल के दिनों में आत्मसमर्पण और गिरफ्तारियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। शाह ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि नक्सलवाद का उन्मूलन केवल सुरक्षा बलों के अभियानों से नहीं, बल्कि विकास योजनाओं के माध्यम से भी होना चाहिए। उन्होंने बताया कि 2014 के बाद से विकास कार्यों में तीन गुना वृद्धि की गई है, जिससे इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का सुधार हुआ है और रोजगार के अवसर बढ़े हैं।

सुरक्षा बलों की बढ़ी ताकत
अमित शाह ने यह भी बताया कि सुरक्षा बलों की सहायता के लिए पहले से ज्यादा संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2019 से पहले सिर्फ दो हेलीकॉप्टर सुरक्षा बलों के लिए तैनात थे, जबकि अब इनकी संख्या बढ़ाकर 12 कर दी गई है। उन्होंने इस प्रयास को सुरक्षा बलों के लिए बड़ी सफलता की दिशा में कदम बताया।

नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास
गृह मंत्री ने नक्सलियों से हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की अपील की। उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण के मामलों में तेजी आई है, खासकर छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में, जहां 2023 में अब तक 742 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस नीति के तहत अब तक लगभग 13,000 नक्सली और आतंकी अपने हथियार डाल चुके हैं, जो सरकार की नीतियों की सफलता का प्रमाण है।

राज्यों को निर्देश
शाह ने नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया कि वे हर महीने समीक्षा बैठकें करें और विकास परियोजनाओं पर ध्यान दें। उनका कहना था कि विकास की गति को तेज करना नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा, जिससे विकास परियोजनाओं और सुरक्षा पहलों की समीक्षा नियमित रूप से की जा सके।

विकास योजनाओं के प्रभाव
विकास को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति लाने का मुख्य साधन बताया गया। शाह ने कहा कि 2004 से 2014 के बीच सुरक्षा संबंधी व्यय योजना पर 1180 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, जबकि 2014 से 2024 के बीच 3,006 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसके अलावा, विशेष केंद्रीय सहायता योजना के तहत भी पिछले दशक में 3590 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जो विकास कार्यों को गति देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

आक्रामक कार्रवाई और भविष्य की योजना
अमित शाह ने कहा कि सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक अभियान शुरू किया है, जिससे बड़ी सफलताएं मिली हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल नक्सलियों को उनके ठिकानों से बाहर निकालने में सफल हो रहे हैं, जिससे नक्सली क्षेत्रों में शांति और विकास की संभावनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सुरक्षा बलों और विकास योजनाओं के बीच बेहतर समन्वय जरूरी है, और 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य है। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस समीक्षा बैठक में नक्सल प्रभावित राज्यों के लिए एक स्पष्ट रोडमैप रखा। शाह ने यह सुनिश्चित किया कि नक्सल प्रभावित राज्यों में शांति और विकास का दौर जल्द आएगा, और इसके लिए राज्य सरकारों और केंद्र के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत होगी।

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