पार्टी कल्चर छोड़ आस्था से जुड़ रहा देश! नए साल पर मथुरा-काशी में भारी भीड़, 5 जनवरी तक वृंदावन न आने की अपील
नए साल के जश्न का असर अयोध्या, मथुरा और काशी में दिख रहा है, जहां पहले ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. मथुरा के ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर में प्रशासन ने एडवाइजरी जारी की है. श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि अति आवश्यक होने पर ही वृंदावन आएं और 5 जनवरी तक यात्रा से परहेज करें.
Follow Us:
देश भर में नए साल को लेकर उत्साह अपने चरम पर है. होटल, पर्यटन स्थल और बाजार सज चुके हैं. लेकिन इस बार नए साल के जश्न का अंदाज बदला हुआ नजर आ रहा है. जहां पहले बड़ी संख्या में लोग गोवा, मुंबई, दिल्ली और आगरा जैसे पर्यटन शहरों का रुख करते थे. वहीं अब आस्था की ओर झुकाव साफ दिखाई दे रहा है. नए साल की शुरुआत लोग अब पार्टी नहीं बल्कि पूजा और दर्शन से करना चाहते हैं. इसी बदले रुझान का असर उत्तर प्रदेश की धर्म नगरियों में देखने को मिल रहा है.
दरअसल, अयोध्या, मथुरा और काशी में नए साल से पहले ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंचने लगी है. लाखों लोग भगवान के दर्शन कर नए वर्ष की मंगल कामना कर रहे हैं. इस बढ़ती भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन सतर्क हो गया है. सुरक्षा व्यवस्था से लेकर ट्रैफिक कंट्रोल तक विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं. साथ ही श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एडवाइजरी भी जारी की जा रही है.
5 जनवरी तक वृंदावन न आएं
ताजा मामला मथुरा का है. जहां ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर में हर साल नए साल के मौके पर रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस बार भी 29 दिसंबर 2025 से 5 जनवरी 2026 तक भारी भीड़ की संभावना जताई गई है. मंदिर प्रबंधन के अनुसार इस अवधि में लाखों श्रद्धालु अपने आराध्य ठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज के दर्शन के लिए वृंदावन पहुंचेंगे. इसी को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने साफ शब्दों में अपील की है कि अति आवश्यक होने पर ही वृंदावन की यात्रा करें. मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि पाश्चात्य नव वर्ष के अवसर पर बढ़ने वाली भीड़ के दबाव को समझते हुए 5 जनवरी तक वृंदावन आने से परहेज करें. यदि यात्रा बेहद जरूरी हो तभी कार्यक्रम बनाएं. प्रशासन का कहना है कि भीड़ अधिक होने से न सिर्फ दर्शन में परेशानी होती है बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी चुनौती बन जाती है.
एडवाइजरी में क्या कहा गया?
एडवाइजरी में श्रद्धालुओं के लिए कई अहम दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. मंदिर प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि दर्शन के लिए आने वाले लोग किसी भी प्रकार का बैग या कीमती सामान अपने साथ न लाएं. इससे सुरक्षा जांच में समय लगता है और भीड़ बढ़ती है. श्रद्धालुओं को मंदिर के निर्धारित प्रवेश और निकास मार्ग का ही उपयोग करने की सलाह दी गई है. साथ ही पब्लिक एड्रेस सिस्टम पर होने वाली अनाउंसमेंट को ध्यान से सुनने और उसका पालन करने को कहा गया है.
बांके बिहारी मंदिर में की गई खास व्यवस्था
मंदिर में आने और जाने के रास्ते अलग अलग रखे गए हैं. अनावश्यक परेशानी से बचने के लिए श्रद्धालुओं को जूता चप्पल पहनकर मंदिर की ओर न आने की सलाह दी गई है. जूता चप्पल रखने की व्यवस्था मंदिर से जुड़े सभी मुख्य मार्गों पर की गई है. श्रद्धालु केवल निर्धारित स्थान पर ही जूता चप्पल उतारें. इसके अलावा जेबकतरों, चैन कतरों और मोबाइल चोरों से सतर्क रहने को भी कहा गया है. नए साल के दौरान वृंदावन में ट्रैफिक जाम और गलियों में अत्यधिक भीड़ की स्थिति बन सकती है. ऐसे में श्रद्धालुओं को धैर्य और संयम बनाए रखने की अपील की गई है. परिवार के साथ आने वाले श्रद्धालुओं को सलाह दी गई है कि अपने परिजनों की जेब में नाम और फोन नंबर की पर्ची जरूर रखें ताकि बिछड़ने की स्थिति में संपर्क किया जा सके.
बुजुर्गों, दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए विशेष इंतज़ाम
भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने बुजुर्गों, दिव्यांगजनों, छोटे बच्चों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को मंदिर आने से परहेज करने की सलाह दी है. विशेष रूप से बीपी, हृदय, शुगर, श्वास संबंधी रोग, मिर्गी और दौरे के मरीजों को भीड़ के समय मंदिर न आने को कहा गया है. श्रद्धालुओं को खाली पेट न आने और आवश्यक दवाइयां साथ रखने की भी हिदायत दी गई है. खोया पाया केंद्र की व्यवस्था मंदिर के गेट नंबर 2 और श्री बांके बिहारी जी पुलिस चौकी पर की गई है. इसके अलावा बाहरी वाहनों के वृंदावन में प्रवेश पर रोक लगाई गई है. सभी बाहरी वाहनों के लिए वृंदावन से बाहर पार्किंग की व्यवस्था की गई है.
काशी में स्पर्श दर्शन पर रोक
इससे पहले काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन भी नए साल को लेकर बड़ा फैसला ले चुका है. वाराणसी में बढ़ती भीड़ को देखते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है. प्रशासन का साफ कहना है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है.
यह भी पढ़ें
बताते चलें कि नए साल पर भारत में आस्था का नया स्वरूप देखने को मिल रहा है. धर्म नगरियों में उमड़ती श्रद्धा यह बताती है कि नए साल की शुरुआत अब लोग शोर शराबे से नहीं बल्कि शांति और भक्ति के साथ करना चाहते हैं. ऐसे में प्रशासन और श्रद्धालुओं की साझा जिम्मेदारी है कि नियमों का पालन कर यह पावन अवसर सुरक्षित और सुगम बनाया जाए.
टिप्पणियाँ 0
कृपया Google से लॉग इन करें टिप्पणी पोस्ट करने के लिए
Google से लॉग इन करें