भारतीय सेना को मिला बेहद खतरनाक हथियार, DRDO ने बनाया उड़ने वाला 'नाग', एक ही वार में दुश्मन होगा तबाह
DRDO: NAG MK-2 मिसाइल का सफल परीक्षण यह साबित करता है कि भारत अब तकनीक के दम पर युद्ध के हर मोर्चे के लिए तैयार है. यह मिसाइल देश की सुरक्षा को मज़बूत करने के साथ-साथ 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे अभियानों को भी आगे बढ़ा रही है.
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NAG MK-2 Missile: देश में जब रक्षा तकनीक की बात होती है, तो अब भारत का नाम आत्मनिर्भर और ताकतवर देशों की सूची में तेजी से शामिल हो रहा है. हाल ही में भारत ने एक बड़ी सफलता हासिल की है, देश में ही विकसित की गई NAG MK-2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया है. यह परीक्षण DRDO (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) की देखरेख में हुआ और इससे भारत की रक्षा ताकत में एक और मजबूत कड़ी जुड़ गई है.
दुश्मन के टैंकों को चीरने वाली मिसाइल
NAG MK-2 मिसाइल का काम है दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को निशाना बनाना. यह मिसाइल बहुत ही सटीक तरीके से अपने टारगेट को पहचान कर उसे नष्ट कर सकती है. इसके अंदर एक खास किस्म का इन्फ्रारेड सीकर होता है जो दूर से ही टारगेट की गर्मी को पहचान लेता है. इस मिसाइल को खासतौर पर ऐसे खतरनाक युद्ध हालात के लिए बनाया गया है जहां दुश्मन के पास आधुनिक टैंक हों.
ज़ोरावर लाइट टैंक से हुआ मिसाइल का टेस्ट
इस मिसाइल का परीक्षण भारत के नए हल्के टैंक "ज़ोरावर" से किया गया. ज़ोरावर टैंक का निर्माण भारत में ही हुआ है और इसे इस तरह से बनाया गया है कि यह पहाड़ों, रेगिस्तान और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में भी आसानी से चल सके. इसका वजन भारी टैंकों की तुलना में कम है, जिससे इसे सीमावर्ती इलाकों में जल्दी तैनात किया जा सकता है. यही वजह है कि ज़ोरावर टैंक और NAG MK-2 मिसाइल की जोड़ी सेना के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है.
परीक्षण में मिले शानदार नतीजे
परीक्षण के दौरान ज़ोरावर टैंक ने NAG MK-2 मिसाइल को सफलतापूर्वक दागा और यह मिसाइल अपने हर टारगेट को बिल्कुल सटीकता से मारने में सफल रही. चाहे वह सीधा हमला हो या ऊपर से वार करने का तरीका (Top Attack Mode) मिसाइल हर मोड में कामयाब रही. इसके अलावा, टैंक की चाल, मिसाइल की रेंज और टारगेट को तबाह करने की क्षमता सभी मामलों में यह परीक्षण बेहद सफल रहा.
NAG MK-2 – पहले से और भी ज्यादा ताकतवर
NAG MK-2 मिसाइल, पहले से मौजूद 'नाग' मिसाइल का एक नया और बेहतर वर्जन है. इसमें ज़्यादा ताकतवर गाइडेंस सिस्टम, बेहतर सेंसर, और आधुनिक तकनीक लगाई गई है, जिससे यह दुश्मन के टैंकों की मोटी आर्मर को भी आसानी से भेद सकती है. यह मिसाइल भविष्य के युद्धों में भारत को बढ़त दिलाने में बहुत अहम रोल निभा सकती है.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम
इस मिसाइल का परीक्षण न सिर्फ एक तकनीकी सफलता है, बल्कि यह दिखाता है कि भारत अब अपने दम पर आधुनिक हथियार बना और इस्तेमाल कर सकता है. DRDO और निजी कंपनियों (जैसे L&T) के बीच तालमेल से यह मिसाइल बनी है, जिससे सरकारी और निजी क्षेत्र के सहयोग की ताकत भी सामने आई है.
सेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा
NAG MK-2 और ज़ोरावर टैंक की जोड़ी भारत की सेना को ऐसा हथियार देती है जो दुश्मन को किसी भी इलाके में जवाब दे सके खासकर उत्तरी सीमाओं जैसे संवेदनशील इलाकों में. इससे भारतीय सेना को तेज़, हल्का और घातक हथियार मिलता है, जिसे कम समय में कहीं भी तैनात किया जा सकता है.
भारत की मिसाइल ताकत में जुड़ा एक और सितारा
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NAG MK-2 मिसाइल का सफल परीक्षण यह साबित करता है कि भारत अब तकनीक के दम पर युद्ध के हर मोर्चे के लिए तैयार है. यह मिसाइल देश की सुरक्षा को मज़बूत करने के साथ-साथ 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे अभियानों को भी आगे बढ़ा रही है.
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