'अगर आप सच्चे भारतीय होते, तो इस तरह की बात नहीं करते...', सेना पर टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की नसीहत, कहा - आपको कैसे पता कि चीन ने कब्जा किया
राहुल गांधी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना पर की गई अपमानजनक टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नसीहत देते हुए कहा है कि 'अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो इस तरह की बाते नहीं करते.'
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भारतीय सेना पर अपमानजनक टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नसीहत दी है. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने राहुल गांधी की ओर से पेश किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि आपको कैसे पता कि चीन ने कब्जा कर लिया है. कोर्ट ने राहुल गांधी की भारतीय होने पर भी सवाल उठाए और कहा कि अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो इस तरह की बात कभी न करते. जानकारी के लिए बता दें कि राहुल गांधी ने यह बयान 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान दिया था. उन्होंने 9 दिसंबर 2022 को तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प पर टिप्पणी की थी.
'अगर सच्चे भारतीय होते, तो इस तरह की बात नहीं करते'
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना पर दिए गए अपमानजनक टिप्पणी पर नसीहत देते हुए कहा कि 'अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो इस तरह की बातें नहीं करते.' कोर्ट ने यह सवाल राहुल गांधी की ओर से पेश किए गए अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 'आपको कैसे पता कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई भरोसेमंद सबूत है? अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो ऐसा नहीं कहते. जब सीमा पर संघर्ष होता है, तो दोनों तरफ हताहत होना कोई असामान्य बात नहीं है.'
सोशल मीडिया पर ऐसा कहने की क्या जरूरत है?
कोर्ट ने राहुल गांधी को खास नसीहत देते हुए कहा कि 'आपको जो कुछ भी कहना है, वह संसद में क्यों नहीं कहते? सोशल मीडिया पर कहने की क्या जरूरत है? बता दें कि कोर्ट का यह बयान राहुल गांधी के वकील सिंघवी की उस दलील पर आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि विपक्षी नेता को मीडिया में राष्ट्रीय मुद्दों पर बोलने की अनुमति नहीं दी गई, तो यह एक “दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति” होगी. सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की उस याचिका पर भी विचार करने की सहमति दी है, जिसमें उन्होंने मांग की है कि पूर्व-संज्ञान चरण में अभियुक्तों को नोटिस देना अनिवार्य किया जाए. कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार और शिकायतकर्ता से जवाब भी मांगा है.
लखनऊ कोर्ट द्वारा जारी समन पर अंतरिम रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को उस मामले में राहत दी है, जिसमे लखनऊ कोर्ट की तरफ से समन जारी किया गया था. बता दें कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने सेना के अपमान मामले में शिकायत की थी कि राहुल गांधी का बयान "झूठा और निराधार" है. उनके बयान का मकसद सिर्फ भारतीय सेना और देश का मनोबल गिराना है. इससे पहले मई महीने में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राहुल गांधी द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने आपराधिक मानहानि के मामले को रद्द करने की मांग की थी.
राहुल गांधी से दायर दलील में क्या कहा गया?
बता दें कि राहुल गांधी की ओर से यह दलील दी गई थी कि शिकायतकर्ता (उदय शंकर श्रीवास्तव) का नाम बयान में लिया ही नहीं गया था, इसलिए उनके पास केस दर्ज कराने का कानूनी अधिकार नहीं है. लेकिन अदालत ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया था. अदालत ने यह भी कहा कि 'निचली अदालत ने सभी जरूरी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए समन (हाजिर होने का आदेश) भेजा है और यह फैसला सही है.'
20 हजार का मुचलका और 2 जमानत राशियां जमा कराई
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि 'निचली अदालत द्वारा 11 फरवरी 2025 को जारी किया गया समन आदेश किसी भी तरह से अवैध नहीं है. इसलिए उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. इस आदेश के बाद राहुल गांधी लखनऊ स्थित एमपी-एमएलए (सांसद-विधायक) अदालत में पेश हुए और उन्होंने 20 हजार का निजी मुचलका और 20 हजार की दो जमानत राशियां जमा कराई थी.'
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