मै तो गदा पकड़कर ही बड़ा हुआ हूं, गदा विवाद में फंसे अनुज चौधरी ने दिया जवाब
डीआईजी के निर्देश पर सीओ (Sambhal Circle Officer) अनुज चौधरी के खिलाफ जांच की जा रही है. उनपर आरोप है कि वो ऑन ड्यूटी धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं. यहां तक की एक धार्मिक कार्यक्रम में उन्होंने जुलूस के दौरान गदा उठा रखा था. इस मामले की जांच संभल के अपर पुलिस अधीक्षक श्रीश्चद्रं कर रहे हैं.

24 नवंबर के दिन संभल में कट्टरपंथियों ने जो तांडव किया था, उसका मकसद सर्वे टीम को निगल जाना था, लेकिन इन जिहादियों के सामने दीवार बनकर खड़े थे, संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया, एसपी केके बिशनोई और सीओं अनुज चौधरी। लेकिन एक वक्त ऐसा आया था, जब इन तीनों और पत्थरबाजों के बीच महज पंद्रह फीट का फासला बचा था, डीएम और एसपी के पैर में गोली लग चुकी थी, पीछे हटने के अलावा कोई रास्ता नहीं था, लेकिन अगर पीछे हट जाते तो संभल में जो 1978 में हुआ था उससे भी बूरा मंजर हो सकता था।लेकिन उस वक्त कमान संभाली संभल के सीओं अनुज चौधरी ने। पत्थरबाजों को खदेड़ा भी और सर्वे टीम की सुरक्षा को सुनिश्चित भी किया।
लेकिन अब यही अनुज चौधरी मुश्किलों के भंवर में फंसे है। कारण है उनका एक वीडियों। ये वीडियों आपने भी देखा होगा।जिसमें अनुज चौधरी रथयात्रा के आगे आगे गदा लेकर चल रहे थे। अनुज चौधरी का यूं गदा लेकर चलना पूर्व आईपीएस और जन अधिकारी सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर को ये बात पंसद नही आई और उन्होंने डीजीपी को चिट्ठी लिखकर अनुज चौधरी की शिकायत कर दी। अनुज चौधरी पर वर्दी के नियमों के उल्लंधन का आरोप लगा दिया।हालांकि आरोप गलत नहीं लगाए गए।नियम कहते है कि जब आप वर्दी में है ड्यूटि पर हैं तब आप किसी धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा नहीं बन सकते।लेकिन अनुज चौधरी ने इसकी परवाह नहीं की। क्यों नहीं की।और अनुज चौधरी ने गदा क्यों पकड़ा उसके पीछे की कहानी भी आपको बताऊंगा लेकिन उससे पहले देख लीजिए कि सीओ ने अपने खिलाफ हुई शिकायत पर क्या जवाब दिया। हालांकि जवाब आधिकारिक नहीं है सांकेतिक है। चौधरी ने अपने शोसल मीडिया पर लिखा" जय बजरंग बली दोस्तो मुझे। शेरे हिन्द ख़िताब भारत कुमार ख़िताब उत्तर प्रदेश केसरी वीर अभिमन्यु पुरस्कार व अनेको बार जीता हूँ अनेकों बार देश के कोने कोने में दंगलों में मुझे बजरंग बली महाराज जी की गदा से सम्मानित किया गया है। में जवान ही गदा पकड़े हुए हुआ हूँ जय हिन्द जय भारत"
ये जवाब सुनकर शायद कुछ लोगों को बूरा लगे।और वो कह सकते है कि गदा पकड़ना उनकी पर्शनल जिंदगी का हिस्सा हो सकता है..लेकिन उस वक्त आप ड्यूटी पर थे, वर्दी में थे। तो उस दिन असल में हुआ क्या था वो भी समझ लिजिए। दरअसल संभल में पिछले दिनों 47 साल बाद खुले खग्गू सराय मंदिर में कर्नाटक के किष्किंधा से रथयात्रा आई थी। इस रथयात्रा में लोग गदा पकड़कर चल रहे थे।और अनुज चौधरी उनकी सुरक्षा में लगे थे। साथ साथ चल रहे थे। इसी दौरान अचानक किसी ने उनकी हाथ में गदा पकड़ा थी। अब अनुज चौधरी ठहरे हनुमान भक्त भला वो कैसे गदा पकड़ने के लिए मना कर सकते थे। तो यहां आप ये समझ लिजिए कि अनुज चौधरी ने जानबूझकर, खुद से गदा नहीं पकड़ा था। क्योंकि उन्हें भी इस बात का एहसास था की वो वर्दी में है। और वर्दी का सम्मान वो करना जानते है।लेकिन बजरंग बली का भी अपमान नहीं कर सकते थे।अनुज चौधरी ने जो काम 24 नवंबर के दिन किया था, उसके बाद से संभल के लोग उन्हें वहां वाकैई मे भगवान का दर्जा देने लगे है। आप मै ये आपके विवेक पर छोड़ता हूं कि आप अनुज चौधरी के बारे में क्या सोचते है।और हां ये वहीं अनुज चौधरी है जिन्होनें 48 साल बाद खुले मंदिर को खुद अपने हाथों से साफ किया था। उन्होने किसी का इंतजार नहीं किया। जब देखा कि भगवान का मंदिर किस जर्जर हालत में है तो खुद ही सफाई अभियान शुरु कर दिया। सफाई भी कि पूजा भी की और सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया। और सिर्फ अनुज चौधरी ही निशाने पर क्यों है, मंदिर मे पूजा तो संभल के डीएम और एसपी ने भी की थी। तो सिर्फ सीओ ही क्यों।
खैर अभी अनुज चौधरी को इस विषय में अपना आधिकारिक जवाब अभी दाखिल करना है। उस जवाब में वो क्या बताते है वो देखना दिलचस्प होगा। वैसे अगर बात करे अनुज के जीवन की तो अनुज चौधरी देश के जाने-माने पहलवान रह चुके हैं।अनुज चौधरी साल 1997 से 2014 तक कुश्ती में नेशनल चैंपियन रहे। साल 2001 में इन्हें लक्ष्मण अवार्ड मिला तो साल 2005 में अनुज चौधरी को अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया।
अनुज चौधरी ने साल 2002 और 2010 के नेशनल गेम्स में दो सिल्वर मेडल जीते थे। इसी के साथ वह एशियाई चैंपियनशिप में भी दो कांस्य पदक जीते चुके हैं । इसके बाद अनुज चौधरी स्पोर्ट्स कोटे से उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुए और साल 2012 में वह डिप्टी एसपी बनाए गए।