धर्म और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे थे भगवा वेष पहने पाखंडी, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ चलाकर CM धामी ने तोड़ी कमर, मिला समाज का भरपूर साथ
धर्म, अस्मिता और 'उत्तराखंडीयत' के रक्षक बने सीएम धामी, धर्म और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे भगवा वेष पहने पाखंडियों, छद्मधारियों की 'ऑपरेशन कालनेमि' चलाकर तोड़ी कमर, कैसे औक क्यों? जानें

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उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, अपनी संस्कृति, आध्यात्मिक परंपरा और शांतिप्रिय समाज के लिए पहचाना जाता है. लेकिन बीते कुछ वर्षों में कुछ असामाजिक तत्वों और पाखंडी गिरोहों ने इस आध्यात्मिक पहचान पर चोट पहुंचाने की कोशिश की. भगवा चोले की आड़ में ठगी, धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ और छद्म धर्मांतरण जैसी घटनाओं ने प्रदेश की सहिष्णु छवि को चुनौती दी. अभियान के दौरान देखा गया कि इनमें सिर्फ फर्जी हिंदू बाबा ही नहीं बल्कि मुसलमान, बांग्लादेशी भी शामिल थे जो लंबे समय से धर्म को धंधा के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे. ये सिर्फ सनातन धर्म के लिए ही नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय सुरक्षा का भी मुद्दा था. इसे धामी सरकार ने समझा और कार्रवाई की.
‘ऑपरेशन कालनेमि’ पर सीएम धामी को मिला समाज का साथ
‘ऑपरेशन कालनेमि’ के दौरान सबसे अहम बात ये रही कि उन्होंने इस पूरे अभियान के दौरान समाज को विश्वास में रखा, इसके महत्व समझाए. इसका उन्हें फायदा भी मिला. आमतौर पर देखा जाता है कि धर्म और धार्मिक मुद्दों पर एक्शन से सरकारे डरती हैं, विरोध की संभावना रहती है, लेकिन इस दौरान ऐसा कुछ नहीं हुआ. कहते हैं न इच्छाशक्ति दृढ हो, मन साफ हो, इरादे नेक हों तो जनता भी आपके साथ हो लेती है.
धर्म को धंधा बनाने वालों के खिलाफ़ निर्णायक लड़ाई ‘ऑपरेशन कालनेमि’
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में अब सरकार ने इन तत्वों के खिलाफ निर्णायक अभियान छेड़ दिया है. ‘ऑपरेशन कालनेमि’ नामक इस सघन कार्रवाई के तहत पूरे प्रदेश में छद्मवेशधारियों और आस्था के नाम पर छल करने वालों की पहचान की जा रही है. अब तक 13 जिलों में चलाए जा रहे इस अभियान में 2448 संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान, 377 लोगों को निगरानी सूची में शामिल करने, और 222 लोगों पर कानूनी कार्रवाई की पुष्टि हुई है. इनमें से 140 से अधिक गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं. जिन लोगों ने धार्मिक वेशभूषा का दुरुपयोग कर भोली जनता को ठगा, अब वे कानून के शिकंजे में हैं.
क्यों पड़ा नाम कालनेमि?
यह नाम पौराणिक चरित्र ‘कालनेमि’ से लिया गया है, जो रामायण में एक ऐसा राक्षस था जो साधु का रूप धारण कर भगवान हनुमान को धोखा देने की कोशिश करता है. ऑपरेशन का यही उद्देश्य है समाज में छिपे आधुनिक कालनेमियों को सामने लाना जो भगवा पहनकर लोगों को भ्रमित करते हैं. इस ऑपरेशन का दायरा सिर्फ ठगी या नकली साधुओं तक सीमित नहीं है. सुरक्षा एजेंसियों की नजर उन संदिग्धों पर भी है जो भारत विरोधी एजेंडे या किसी आतंकी साजिश से जुड़े हो सकते हैं. ऑपरेशन कालनेमि में अब तक एक बांग्लादेशी नागरिक की गिरफ्तारी भी हुई है, जो अवैध रूप से भारत में रह रहा था और अपनी पहचान छिपाकर धार्मिक रूप धर चुका था.
धर्मांतरण पर भी नजर
सिर्फ फर्जी बाबाओं पर ही नहीं, राज्य में चल रहे धर्मांतरण के प्रयासों पर भी अब सरकार की पैनी निगाह है. हाल ही में पांच ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें लालच या डर के जरिए लोगों को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया जा रहा था. इन मामलों में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कर दिया है कि राज्य की धार्मिक मर्यादा से कोई भी खिलवाड़ करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. धामी सरकार ने साल 2022 में 'उत्तराखंड धर्म‑स्वतंत्रता कानून' पारित किया. इस कानून के तहत जबरन धर्म परिवर्तन को गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध घोषित किया गया. दोषी पाए जाने पर 2 से 10 साल तक की सजा और 25,000 से लेकर 10 लाख तक जुर्माना का प्रावधान तय किया गया है. यह कानून राज्य में धार्मिक संतुलन बनाए रखने और सामाजिक समरसता को सुरक्षित रखने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.
बताते चलें कि‘ऑपरेशन कालनेमि’ केवल एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं है, यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक आंदोलन बन चुका है. देवभूमि उत्तराखंड की पहचान को दूषित करने वालों के खिलाफ जनता का भी समर्थन सरकार के साथ दिखाई दे रहा है. यह स्पष्ट हो चुका है कि उत्तराखंड में अब आस्था के नाम पर ठगी या धोखाधड़ी करने वालों के लिए कोई जगह नहीं बची है. मुख्यमंत्री धामी की इस पहल से उत्तराखंड की धार्मिक और सामाजिक संरचना को नया संबल मिल रहा है, जो देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है. इस कार्रवाई के तहत संवेदनशील इलाकों में पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र और दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है, ताकि कोई भी धोखेबाज़ या घुसपैठिया बच न सके.
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धामी सरकार द्वारा लागू किया गया धर्मांतरण विरोधी कानून भी इन प्रयासों को कानूनी आधार देता है, जिससे जबरन या छलपूर्वक धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके. उत्तराखंड में शुरू हुई यह पहल अब अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बनती जा रही है. हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री ने भी ‘ऑपरेशन कालनेमि’ जैसी ही कार्रवाई को अपनाने की