'वह खुद गद्दार हैं...', महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर बोला हमला, कहा - उन्होंने बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों के साथ विश्वासघात किया
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के उस बयान पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ मिलकर 'विजय रैली' के मंच पर उन्हें गद्दार कहा था. एकनाथ शिंदे ने कहा कि 'गद्दार मैं नहीं, बल्कि वह खुद हैं, जिन्होंने बालासाहब ठाकरे के आदर्शों के साथ विश्वासघात किया.'
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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का चचेरे भाई उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे पर बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने दोनों ही भाइयों का एक साथ आना लोकतंत्र के लिए अच्छा बताया है. उनका कहना है कि इससे एक संदेश गया है कि जनता उन लोगों का समर्थन करती है, जो उनके कल्याण के लिए काम करते हैं. एकनाथ शिंदे ने यह बात पीटीआई भाषा से बातचीत में कही.
'दोनों का फिर से एक साथ आना विडंबनापूर्ण है'
एकनाथ शिंदे ने कहा कि 'उद्धव ठाकरे ने एक समय अपने चचेरे भाई राज को दरकिनार कर दिया था, जो 2005 में नाटकीय ढंग से शिवसेना से बाहर हो गए थे, ऐसे में दोनों का फिर से एक साथ आना विडंबनापूर्ण है. यह कहना गलत होगा कि ठाकरे भाई अलग हो गए थे. राज को शिवसेना से निकाल दिया गया था. जिन लोगों ने उनके (राज के) प्रभाव पर सवाल उठाए थे, वही लोग अब फिर से हाथ मिलाने की सोच रहे हैं. यह अच्छी बात है. चुनावी लोकतंत्र में कोई भी किसी से भी हाथ मिला सकता है.'
'कोई भी कहीं भी जा सकता है'
उन्होंने आगे कहा कि 'यह उनका निजी मामला है, कोई भी कही भी जा सकता है. जनता उन्हीं लोगों का समर्थन करती है, जो उनके लिए काम करते हैं और उनके कल्याण के बारे में सोचते हैं.' शिंदे ने तंज कसते हुए आगे कहा कि 'लोग काम को पहचानते हैं, नाम को नहीं. जनता भी इस बात को भली-भांति समझती है कि कौन उनके लिए काम करता है और कौन घर पर बैठा रहता है.'
'लोकतंत्र में कोई भी गठबंधन बना सकता है'
एकनाथ शिंदे ने यह भी कहा कि 'लोकतंत्र में कोई भी गठबंधन बना सकता है, वह इस मुद्दे पर किसी की भी आलोचना नहीं कर रहे हैं, मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री के रूप में मेरे ढाई साल के कार्यकाल के दौरान मुंबई और महाराष्ट्र विकास के लिए कई बड़े फैसले लिए.'
'उद्धव ही गद्दार थे'
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री ने उद्धव ठाकरे के 'गद्दार' शब्द कहने पर पलटवार करते हुए कहा कि 'वह खुद उद्धव ठाकरे ही थे, जिन्होंने बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों के साथ विश्वासघात किया. मेरे लिए गद्दार शब्द का इस्तेमाल करते हैं, जो बिल्कुल भी फिट नहीं बैठता है. 2019 में लोगों ने बीजेपी और शिवसेना को जनादेश दिया था, लेकिन उद्धव ने जनता को धोखा दिया और वह कांग्रेस के साथ चले गए. उद्धव ने 2019 में जनादेश का अपमान किया था. ऐसे में 2024 में जनता ने उन्हें सबक सिखा दिया.'
3 साल पहले शिंदे ने की थी बगावत
जानकारी के लिए बता दें कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 3 साल पहले शिवसेना के कई विधायकों के साथ पार्टी से बगावत की थी. उस दौरान उन्होंने महाविकास अघाड़ी से अलग होकर बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में फिर से एनडीए की सरकार बनाने में मदद की थी. उनका कहना था कि उद्धव ने शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व सिद्धांत के विचारों से अलग होकर काम किया है. 2020 में शिवसेना से अलग होकर बीजेपी के साथ सरकार बनाई थी और वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे. निर्वाचन आयोग ने भी एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना को बालासाहेब ठाकरे वाली शिवसेना का दर्जा दिया था.
ठाकरे बंधुओ ने पिछले महीने की थी विजय रैली
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करीब 20 साल बाद एक मंच पर सामने आए चचेरे भाई उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 'विजय रैली' के लिए मंच साझा करते हुए त्रिभाषा नीति को वापस ले लिया था. हिंदी और मराठी भाषा को लेकर भी महाराष्ट्र में राज ठाकरे के नेताओं ने जमकर विवाद किया था.
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