विरोध के बाद भी चामुंडेश्वरी मंदिर पहुंचकर 'मैसूर दशहरा उत्सव' का किया उद्घाटन, जानें कौन हैं मुस्लिम समाजसेवी बानू मुश्ताक?
अंतर्राष्ट्रीय बुकर विजेता बानू मुस्ताक ने कर्नाटक के मैसूर स्थित चामुंडेश्वरी मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की. उसके बाद 'मैसूर दशहरा उत्सव' का उद्घाटन किया.
Follow Us:
देश के उच्चतम न्यायालय तक मामला पहुंचने के बाद भी अंतर्राष्ट्रीय बुकर विजेता बानू मुश्ताक ने कर्नाटक के मैसूर में 'दशहरा उत्सव' का उद्घाटन किया. कर्नाटक सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय से आने वाली बानू मुश्ताक को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किए जाने पर बवाल शुरू हो गया था, जिसको लेकर कर्नाटक सरकार पर लोगों का गुस्सा फूटा. उसके बाद जनहित याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट में इसको चुनौती दी गई.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह बवाल इसलिए बढ़ा, क्योंकि लोगों ने कर्नाटक सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोई भी गैर-हिंदू यानी दूसरे धर्म का व्यक्ति उत्सव के शुभारंभ के मौके पर चामुंडेश्वरी मंदिर में पूजा कैसे कर सकता है?
CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने क्या कहा?
बता दें कि वकील सुघोष सुब्रमण्यम ने CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ से तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था. कर्नाटक सरकार के इस फैसले का कुछ बीजेपी नेताओं और दक्षिणपंथी समूहों ने विरोध किया, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी थी.
विरोध के बावजूद कड़ी सुरक्षा इंतजाम में किया उद्घाटन
चामुंडेश्वरी मंदिर में दशहरा उत्सव के कार्यक्रम के उद्घाटन के लिए कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे, क्योंकि कर्नाटक सरकार के फैसले पर हिंदू समुदाय के लोगों ने विरोध जताया था, हालांकि, विरोध के बाद भी बानू मुश्ताक का स्वागत किया गया. उनके साथ मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने देवी को पुष्प अर्पित किया और पूजा- अर्चना के साथ उत्सव का उद्घाटन किया.
कौन हैं बानू मुश्ताक ?
62 वर्षीय बानू मुश्ताक एक कन्नड़ लेखिका हैं. वह किसान और कन्नड़ भाषा आंदोलन में सक्रिय रही हैं. साल 2025 में बानू को लघु कहानी संग्रह एडो हनाटे के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. बानू कन्नड़ भाषा की पहली लेखिका हैं, जिन्हें यह पुरस्कार मिला है.
सीएम के भाषण के दौरान भी दिखा लोगों का विरोध
यह भी पढ़ें
'मैसूर दशहरा उत्सव' उद्घाटन समारोह के मंच पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जब बोलना शुरू किया. तब इस दौरान कुछ लोग उठकर जाने लगे. उन्हें देख सीएम को अचानक गुस्सा आ गया और वे उन्हें डांटने लगे. उन्होंने गुस्से में कहा, “अरे, क्या तुम थोड़ी देर चुपचाप नहीं बैठ सकते? अरे, वो कौन है, एक बार बता दूं तो समझ जाओगे? तुम्हें घर पर ही रहना चाहिए था. अगर तुम डेढ़ घंटे तक सीधे नहीं बैठ सकते, तो यहां क्यों आए?” फिर उन्होंने पुलिस को निर्देश दिया कि किसी को भी बाहर न जाने दिया जाए और अपना भाषण जारी रखा.
टिप्पणियाँ 0
कृपया Google से लॉग इन करें टिप्पणी पोस्ट करने के लिए
Google से लॉग इन करें