14 साल बाद फिर दहली दिल्ली, जानिए कब-कब आतंकियों के निशाने पर रही देश की राजधानी
पिछले चार दशकों में यह शहर कई बार आतंकी हमलों का शिकार बन चुका है. हर बार इन धमाकों ने न केवल जान-माल का नुकसान किया, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था और लोगों के भरोसे को भी गहराई से झकझोर दिया.
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Delhi Red Fort Blast: सोमवार की शाम दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार धमाके ने पूरे देश को हिला दिया. इस विस्फोट में 8 लोगों की मौत हो गई और करीब 25 लोग घायल हुए हैं. धमाके के बाद चारों ओर अफरा-तफरी मच गई और पुलिस ने पूरे इलाके को घेर लिया. कहा जा रहा है कि यह धमाका पिछले 14 साल बाद दिल्ली की शांति को तोड़ने वाला सबसे बड़ा हमला है. इससे पहले साल 2008 में राजधानी में ऐसे ही सिलसिलेवार धमाके हुए थे. दिल्ली सिर्फ देश की राजधानी नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा और शांति का प्रतीक मानी जाती है. लेकिन पिछले चार दशकों में यह शहर कई बार आतंकी हमलों का शिकार बन चुका है. हर बार इन धमाकों ने न केवल जान-माल का नुकसान किया, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था और लोगों के भरोसे को भी गहराई से झकझोर दिया.
#WATCH | Delhi: Blast near Red Fort Metro Station | Union Home Minister Amit Shah arrives at the spot.
— ANI (@ANI) November 10, 2025
A blast took place in a Hyundai i20 car near the Red Fort in Delhi today at around 7 pm. Due to the blast, eight people have died so far. pic.twitter.com/QiDQrTJHXs
1985: ट्रांजिस्टर में बम फिट कर किया गया पहला बड़ा धमाका
दिल्ली में पहला बड़ा धमाका 10 मई 1985 को हुआ था. उस दिन शहर के कई इलाकों में ट्रांजिस्टर के अंदर रखे बम एक साथ फट पड़े. इन धमाकों में 49 लोगों की मौत और 127 लोग घायल हुए थे. बम मुख्य रूप से बसों, बाजारों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में लगाए गए थे. आज़ादी के बाद यह दिल्ली की पहली बड़ी आतंकी वारदात थी, जिसने लोगों के मन में डर पैदा कर दिया था.
1996: लाजपत नगर में हुआ खौफनाक धमाका
इसके बाद 21 मई 1996 को दिल्ली के लाजपत नगर मार्केट में एक और भीषण विस्फोट हुआ. शाम के वक्त जब बाजार में भीड़ ज़्यादा थी, तभी बम फट गया. इसमें 13 लोगों की मौत हुई और 38 से ज़्यादा घायल हो गए. इस हमले की जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट नाम के संगठन ने ली थी. उस दौर में कश्मीर में आतंकवाद तेजी से फैल रहा था और अब उसकी लपटें राजधानी दिल्ली तक पहुंच चुकी थीं.
2005: दिवाली से पहले तीन जगहों पर एक साथ धमाके
29 अक्टूबर 2005 को दिवाली से ठीक दो दिन पहले, दिल्ली में एक साथ तीन जगहों पर धमाके हुए - सरोजिनी नगर, पहाड़गंज और गोविंदपुरी. त्योहार की रौनक देखते ही देखते दहशत में बदल गई। इन धमाकों में 62 लोगों की मौत और 210 से ज़्यादा लोग घायल हुए. इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक संगठन ने ली थी. यह हमला दिखाता है कि आतंकी किसी भी मौके को अपने फायदे के लिए चुन सकते हैं, खासकर जब लोग त्योहार की खरीददारी में व्यस्त हों.
2008: इंडियन मुजाहिदीन ने ली पांच धमाकों की जिम्मेदारी
13 सितंबर 2008 को दिल्ली फिर से दहली. उस दिन करोल बाग, कनॉट प्लेस और ग्रेटर कैलाश जैसे इलाकों में लगभग एक ही समय पर पांच धमाके हुए. इन धमाकों में 30 लोगों की जान गई और 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए. इस हमले की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी. यह वही समय था जब देश के कई शहर- जैसे जयपुर, अहमदाबाद और हैदराबाद भी सिलसिलेवार धमाकों की चपेट में थे. सिर्फ कुछ हफ्तों बाद, 27 सितंबर 2008 को महरौली के फूल बाजार में एक टिफिन बॉक्स में रखा बम फट गया. बम को मोटरसाइकिल पर आए दो युवकों ने बाजार में रख दिया था. धमाके में 3 लोगों की मौत और 23 लोग घायल हुए.
2011: दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर धमाका
7 सितंबर 2011 को दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर भी धमाका हुआ था. बम एक ब्रिफकेस में रखा गया था. इस विस्फोट में कई लोग घायल हुए, लेकिन गनीमत रही कि कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई. यह हमला बताता है कि आतंकी राजधानी के संवेदनशील ठिकानों को भी निशाना बनाने की कोशिश करते रहते हैं.
कितने धमाके, कितनी जानें गईं
रक्षा अध्ययन संस्थान (IDSA) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1997 से अब तक दिल्ली में 26 बड़े धमाके हो चुके हैं. इनमें 92 से ज़्यादा लोग मारे गए और 600 से अधिक लोग घायल हुए हैं. इन घटनाओं के बाद सरकार और पुलिस ने कड़े सुरक्षा कदम उठाए -
बाजारों और भीड़ वाले इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए,
एनआईए और स्पेशल सेल को और मज़बूत किया गया,
बम डिटेक्शन स्क्वॉड और क्विक रिस्पॉन्स टीमों का विस्तार किया गया.
क्यों आतंकियों के निशाने पर रहती है दिल्ली
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दिल्ली आतंकियों के लिए हमेशा एक आसान और बड़ा लक्ष्य रही है, क्योंकि यहाँ प्रधानमंत्री कार्यालय, संसद भवन और कई विदेशी दूतावास मौजूद हैं. इसके अलावा शहर की घनी आबादी, भीड़भाड़ वाले बाजार और त्योहारों का मौसम आतंकियों के लिए मौके का फायदा उठाने का सही समय बन जाता है....
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