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चीन-पाकिस्तान की उड़ेगी नींद! सरकार ने 79,000 करोड़ के हथियारों को दी हरी झंडी

यह मंजूरी भारतीय सशस्त्र बलों की तकनीकी क्षमता, सामरिक तैयारी और भविष्य की चुनौतियों से निपटने की योग्यता को नई दिशा प्रदान करेगी. यह कदम न केवल भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करेगा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू रक्षा उत्पादन को भी बढ़ावा देगा.

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30 Dec 2025
( Updated: 30 Dec 2025
10:47 AM )
चीन-पाकिस्तान की उड़ेगी नींद! सरकार ने 79,000 करोड़ के हथियारों को दी हरी झंडी
Image Source: Social Media

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में तीनों सेनाओं थल सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए महत्वपूर्ण हथियार और तकनीकी प्रणालियों की खरीद को मंजूरी दी है. रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने लगभग 79,000 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों की स्वीकृति दी, जिसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में मंजूरी दी गई. रक्षा मंत्रालय का कहना है कि ये स्वीकृतियां न केवल भारत की वर्तमान रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेंगी, बल्कि भविष्य के युद्ध की तैयारी में भी मददगार साबित होंगी.

भारतीय सेना के लिए स्वीकृत प्रमुख प्रणालियाँ


भारतीय सेना के लिए स्वीकृत उपकरणों में सबसे महत्वपूर्ण है लोइटर म्युनिशन सिस्टम, जिसका प्रयोग सामरिक लक्ष्यों पर सटीक प्रहार करने के लिए किया जाएगा. इसके साथ ही सेना को लो लेवल लाइटवेट रडार भी मिलेंगे, जो छोटे आकार के हैं और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन या मानव रहित हवाई प्रणालियों का पता लगाने और निगरानी में सक्षम हैं.
इसके अलावा, पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (एमआरएलएस) के लिए लंबी दूरी तक मार करने वाले गाइडेड रॉकेटों की स्वीकृति दी गई है. इससे रॉकेट की मारक क्षमता और सटीकता दोनों में वृद्धि होगी, जिससे महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर अधिक प्रभावी प्रहार संभव हो सकेगा.
सैनिकों की सुरक्षा और आधुनिक युद्धक्षेत्र में बचाव क्षमता बढ़ाने के लिए इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन और इंटरडिक्शन सिस्टम एमके-II भी स्वीकृत किया गया है. यह प्रणाली संवेदनशील क्षेत्रों और युद्धक्षेत्र में उन्नत निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.

भारतीय नौसेना के लिए नई प्रणालियाँ


नौसेना के लिए डीएसी ने बोलार्ड पुल टग्स की खरीद को मंजूरी दी है. ये उपकरण नौसैनिक जहाजों और पनडुब्बियों को तंग जलमार्गों और बंदरगाहों में सुरक्षित रूप से ले जाने और नियंत्रित करने में मदद करेंगे।
साथ ही, नौसेना को हाई-फ्रीक्वेंसी सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो मैनपैक सिस्टम भी मिलेगा. यह लंबी दूरी की सुरक्षित संचार प्रणाली को मजबूत करेगा, खासकर बोर्डिंग ऑपरेशन और विशेष नौसैनिक अभियानों के दौरान. इसके अलावा, नौसेना को हाई-एल्टीट्यूड लॉन्ग-एंड्योरेंस रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (हाई-alt UAVs) लीज पर उपलब्ध होंगे. इन प्रणालियों से समुद्री क्षेत्र की निगरानी, खुफिया जानकारी और क्षेत्रीय जागरूकता में लगातार सुधार होगा.

भारतीय वायु सेना के लिए स्वीकृत प्रणालियाँ


वायु सेना के लिए डीएसी ने ऑटोमैटिक टेकऑफ और लैंडिंग रिकॉर्डिंग सिस्टम को मंजूरी दी है. यह सिस्टम हर मौसम में टेकऑफ और लैंडिंग की रिकॉर्डिंग को सुरक्षित बनाएगा और विमानन सुरक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं को मजबूत करेगा.
इसके साथ ही वायु सेना को अस्त्र एमके-II मिसाइलें भी मिलेंगी, जिनकी लंबी रेंज उन्हें दुश्मन के विमान को दूर से ही निष्क्रिय करने में सक्षम बनाएगी. लड़ाकू विमान तेजस के लिए फुल मिशन सिम्युलेटर की भी स्वीकृति दी गई है, जिससे पायलट का प्रशिक्षण अधिक सुरक्षित, यथार्थपरक और किफायती होगा,
सटीक हमले की क्षमता बढ़ाने के लिए स्पाइस-1000 लंबी दूरी गाइडेंस किट की उपलब्धता से वायु सेना की दूरस्थ मारक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी.

विशेषज्ञों की राय और रणनीतिक महत्व


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रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि डीएसी द्वारा दी गई यह मंजूरी भारतीय सशस्त्र बलों की तकनीकी क्षमता, सामरिक तैयारी और भविष्य की चुनौतियों से निपटने की योग्यता को नई दिशा प्रदान करेगी. यह कदम न केवल भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करेगा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू रक्षा उत्पादन को भी बढ़ावा देगा.

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