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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनजातीय विकास को दी गति, 15 शिक्षकों को सौंपा नियुक्ति पत्र, 15 करोड़ की परियोजनाओं का किया शिलान्यास

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनजातीय समुदाय के कल्याण और शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए कई ठोस कदम उठाए हैं. 15 सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र सौंपने और विकास परियोजनाओं के शिलान्यास के साथ, उत्तराखंड सरकार जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा, बुनियादी ढाँचे, और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध है.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनजाति कल्याण को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. शनिवार को देहरादून में मुख्यमंत्री आवास के मुख्य सेवक सदन में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने जनजाति कल्याण विभाग के तहत संचालित राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों में चयनित 15 सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र सौंपे.

 साथ ही, 15 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया. यह कदम जनजातीय समुदाय के शैक्षिक और सामाजिक विकास को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है.

युवाओं को मिलेगा बेहतर भविष्य

सीएम धामी ने जनजाति कल्याण विभाग के तहत राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालयों के लिए चयनित 15 सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र वितरित किए. मुख्यमंत्री ने इन शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि वे नई पीढ़ी के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. उन्होंने शिक्षकों से जनजातीय बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और उनके भविष्य को संवारने का आह्वान किया. यह कदम जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने और युवाओं को बेहतर अवसर प्रदान करने की दिशा में है. 

बेहतर नागरिक सुविधाओं की दिशा में कदम

सीएम धामी ने 15 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. इसमें जनजातीय शोध संस्थान में सौंदर्यीकरण, बालिकाओं के लिए हाईटेक शौचालय ब्लॉक, और आदि लक्ष्य संस्थान में डाइनिंग हॉल का निर्माण शामिल है. ये परियोजनाएँ जनजातीय समुदाय की बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करेंगी और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाएंगी. धामी ने कहा कि ये योजनाएँ न केवल जनजातीय समाज को सशक्त बनाएंगी, बल्कि नागरिकों को बेहतर सुविधाएँ भी प्रदान करेंगी.

128 जनजातीय गाँवों का चयन

प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान: सीएम धामी ने बताया कि इस अभियान के तहत उत्तराखंड के 128 जनजातीय गाँवों का चयन किया गया है. इन गाँवों में विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है. वर्तमान में कालसी, मेहरावना, बाजपुर, और खटीमा में चार एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जहाँ जनजातीय छात्रों को मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल सुविधाएँ दी जा रही हैं. इसके अलावा, पिथौरागढ़ में भोटिया और राजी जनजातियों के लिए एक और एकलव्य विद्यालय खोलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है.

जनजातीय युवाओं के लिए प्राथमिक से स्नातकोत्तर स्तर तक छात्रवृत्तियाँ, 16 आश्रम-आधारित विद्यालय, तीन आईटीआई संस्थान, और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग की व्यवस्था की गई है.

धामी सरकार का युवाओं पर फोकस 

धामी सरकार ने अपने चार साल के कार्यकाल में 25,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियाँ प्रदान की हैं. यह उपलब्धि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, और चिकित्सा सेवा चयन आयोग के माध्यम से हासिल की गई है. 2024 में लागू सख्त नकल विरोधी कानून के बाद कोई भी भर्ती परीक्षा पेपर लीक नहीं हुई. साथ ही, 100 से अधिक नकल माफियाओं को जेल भेजा गया है. धामी ने कहा, “हमारा प्रयास है कि उत्तराखंड का पानी और जवानी यहीं के काम आए. युवा पलायन करने के बजाय रोजगार प्रदान करने वाले बनें. ”

जनजातीय समाज के लिए विशेष छूट 

उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहाँ समान नागरिक संहिता लागू की गई है. हालांकि, अनुसूचित जनजातियों को उनकी परंपराओं और रीति-रिवाजों की रक्षा के लिए इस संहिता से छूट दी गई है. सरकार जनजातीय समुदाय की संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करते हुए उनके शैक्षिक और आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनजातीय समुदाय के कल्याण और शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए कई ठोस कदम उठाए हैं. 15 सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र सौंपने और विकास परियोजनाओं के शिलान्यास के साथ, उत्तराखंड सरकार जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा, बुनियादी ढाँचे, और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध है. ये प्रयास न केवल जनजातीय समुदाय को सशक्त करेंगे, बल्कि पूरे राज्य के विकास में भी योगदान देंगे.

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