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हरियाणा में शिक्षा व्यवस्था में बदलाव, अब 6 साल से पहले नहीं मिलेगा दाखिला, नायब सरकार का बड़ा फैसला

Haryana: हरियाणा में पहली कक्षा में दाखिले के लिए बच्चे की न्यूनतम उम्र छह वर्ष ही होगी. इससे न सिर्फ कानूनी उलझनें खत्म होंगी, बल्कि अभिभावकों और स्कूलों को भी स्पष्ट दिशा मिलेगी. सरकार का मानना है कि यह बदलाव बच्चों की पढ़ाई और मानसिक विकास के लिए भी ज्यादा बेहतर साबित होगा.

Image Source: Social Media

Haryana Education Rules: हरियाणा सरकार ने पहली कक्षा में बच्चों के दाखिले को लेकर बड़ा फैसला लिया है. अब प्रदेश में छह साल से कम उम्र के बच्चों को कक्षा एक में प्रवेश नहीं मिलेगा. सरकार शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2011 में संशोधन करने जा रही है, ताकि नियमों में मौजूद भ्रम और कानूनी अड़चनों को खत्म किया जा सके.
 
पुराने और नए नियमों में था विरोधाभास

अब तक हरियाणा के आरटीई नियम 2011 के अनुसार पहली कक्षा में बच्चों की उम्र पांच से छह साल तय की गई थी. वहीं, आरटीई अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP-2020) में साफ तौर पर कहा गया है कि पहली कक्षा में दाखिले के लिए बच्चे की न्यूनतम उम्र छह वर्ष होनी चाहिए. इसी विरोधाभास की वजह से अभिभावकों और स्कूलों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई थी.
 
फरवरी में जारी हुआ था नया आदेश

इस साल फरवरी में हरियाणा सरकार ने निर्देश जारी कर कहा था कि राज्य के सभी स्कूलों में पहली कक्षा में दाखिले के लिए बच्चे की उम्र छह वर्ष होगी, हालांकि इसमें छह महीने की छूट भी दी गई थी. इस आदेश के बाद पांच से छह साल के बच्चों के कई अभिभावकों ने अपने बच्चों के दाखिले के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर दीं और 2011 के पुराने नियमों का हवाला दिया.
 
हाई कोर्ट तक पहुंचा मामला

अलग-अलग नियमों के कारण मामला कोर्ट तक पहुंच गया और सरकार को कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस पूरे विवाद के बीच हरियाणा के प्राथमिक शिक्षा निदेशक विवेक अग्रवाल ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर स्थिति साफ की.
 
नियमों में संशोधन को मिली सैद्धांतिक मंजूरी

प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने अदालत को बताया कि हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमों में जरूरी संशोधन के लिए मुख्यमंत्री से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है. हालांकि, इन संशोधनों को लागू करने के लिए मंत्रिपरिषद की मंजूरी अभी जरूरी है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला तीन अप्रैल 2025 को दिए गए हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में लिया जा रहा है.
 
हाई कोर्ट की सरकार पर सख्त टिप्पणी
 
तीन अप्रैल के अपने फैसले में हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार की नीति पर कड़ी टिप्पणी की थी. अदालत ने कहा था कि सरकार एक ओर आरटीई अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र छह साल बता रही है, लेकिन दूसरी ओर अपने 2011 के नियमों में संशोधन करना भूल गई है, जिनमें अब भी पांच से छह साल की उम्र का प्रावधान मौजूद है. इसी वजह से यह भ्रम और विवाद पैदा हुआ.
 
सरकार के इस फैसले के बाद साफ हो जाएगा कि हरियाणा में पहली कक्षा में दाखिले के लिए बच्चे की न्यूनतम उम्र छह वर्ष ही होगी. इससे न सिर्फ कानूनी उलझनें खत्म होंगी, बल्कि अभिभावकों और स्कूलों को भी स्पष्ट दिशा मिलेगी. सरकार का मानना है कि यह बदलाव बच्चों की पढ़ाई और मानसिक विकास के लिए भी ज्यादा बेहतर साबित होगा.

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