भारत के सामने गिड़गिड़ाया कनाडा... कुछ ही महीनों में होश ठिकाने लगे! रिश्तों को सुधारने के लिए दिल्ली पहुंची NSIA, जानें क्या बात हुई?
18 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने कनाडा की नेशनल सिक्योरिटी ऐंड इंटेलिजेंस एडवाइजर (NSIA) नथाली जी ड्रौइन से नई दिल्ली में मुलाकात की है.
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भारत और कनाडा के बीच बिगड़े रिश्तों के बीच 18 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने कनाडा की नेशनल सिक्योरिटी ऐंड इंटेलिजेंस एडवाइजर (NSIA) नथाली जी. ड्रौइन से नई दिल्ली में मुलाकात की है. इस दौरान दोनों ही देशों के बीच नियमित सुरक्षा और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई. यह मुलाकात भारत और कनाडा दोनों के लिए काफी अहम है, क्योंकि पिछले एक वर्ष से दोनों ही देशों के बीच रिश्ते में गंभीर तनाव देखने को मिला है.
भारत-कनाडा के रिश्तों को पटरी पर लाने की कवायद
बता दें कि 18 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने कनाडा की नेशनल सिक्योरिटी ऐंड इंटेलिजेंस एडवाइजर (NSIA) नथाली जी. ड्रौइन से नई दिल्ली में मुलाकात की है. इस दौरान दोनों ही पक्षों ने रिश्तों को बहाल करने और अन्य संबंधो को फिर से पटरी पर लाने की जरूरतों पर जोर दिया. इसके अलावा आतंकवाद-रोधी सहयोग, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध से मुकाबला और खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर सकारात्मक चर्चा हुई.
सुरक्षा तंत्र के स्तर पर भी हुई चर्चा
इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों ने सुरक्षा तंत्र के स्तर पर मजबूत सहयोग का संकल्प लिया. इसके साथ भविष्य की प्राथमिकताओं पर भी विचार-विमर्श किया. यह मुलाकात भारत-कनाडा को एक नए रिश्ते की तरफ लेकर जा रहे हैं, जहां दोनों देश अपने मतभेदों को छोड़कर इस रिश्ते को एक नए अध्याय की तरफ बढ़ा रहे हैं.
G-7 में भी संबंधों को सुधारने पर हुई थी चर्चा
इससे पहले कनाडा के G-7 शिखर सम्मेलन के अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच मुलाकात हुई थी, जहां दोनों देशों के रिश्ते को फिर से पटरी पर लाने के लिए एक कवायद शुरू की गई थी.
कैसे बिगड़े थे दोनों देशों के बीच रिश्ते?
बता दें कि भारत-कनाडा संबंधों में दरार तब पैदा हुई थी, जब कनाडा ने भारत पर अपने यहां के खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कथित भूमिका का आरोप लगाया था. उस मामले में कनाडा की जांच एजेंसियों और प्रधानमंत्री के बयानों पर भारत ने नाराजगी जताई थी. इसके बाद भारत ने नई दिल्ली में कनाडाई दूतावास के कर्मचारियों की संख्या घटाने का दबाव बनाया और वीजा सेवाओं पर भी रोक लगाई थी, जिसके बाद कनाडा ने अपने देश से कई भारतीय राजनयिकों को वापस भेज दिया. उसके बाद खुलकर खालिस्तानी गतिविधियों पर कार्रवाई करने से हिचकिचाया, जिसका भारत ने विरोध किया और उसपर खलिस्तानी समर्थन सरकार का आरोप लगाया.
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