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कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूजा समितियों के खर्चे का मांगा हिसाब? सीएम ममता बनर्जी ने अनुदान बढ़ाने का किया है ऐलान

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से दुर्गा पूजा समितियों के खर्चे का हिसाब मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि पिछले साल अदालत से जुड़े खर्चे का हिसाब नहीं दिया गया है.

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से दुर्गा पूजा समितियों को लेकर सवाल पूछा है. कोर्ट का कहना है कि पिछले साल अदालत के आदेश के बावजूद खर्चे से जुड़ा प्रमाण पत्र जमा नहीं किया गया. इस पर कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या ऐसी समितियों को इस साल भी नया अनुदान दिया जा रहा है. बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी. इसमें ममता बनर्जी सरकार को अदालत के सामने अपने पक्ष को रखना होगा. 

पूजा आयोजकों से जुड़े खर्चे पर हाई कोर्ट ने पूछे सवाल 

कलकत्ता हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार ने पहले ही पूजा आयोजकों से जुड़े प्रमाण पत्र को जमा नहीं किया है. कोर्ट की तरफ से आदेश दिया गया था, लेकिन उसके बावजूद भी इसका पालन नहीं किया गया. कोर्ट का कहना है कि सरकार से मिले धन का उपयोग कैसे किया गया? 

क्या प्रमाणपत्र बिना जमा किए अभी भी मिल रही धनराशि

कलकत्ता हाई कोर्ट ने सरकार से सवाल पूछते कहा कि 'कितनी समितियों ने प्रमाण पत्र दाखिल नहीं किए हैं? इसके बावजूद क्या उन्हें अभी भी धनराशि मिल रही है?" इस दौरान महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने अदालत को बताया कि मार्च 2023 में राज्य में 500 से अधिक समितियों ने धनराशि प्राप्त होने की सूचना दी थी, जिनमें से 36 ने उपयोग प्रमाण पत्र जमा नहीं किए. महाधिवक्ता ने कहा कि सरकार अगली सुनवाई में विस्तृत जवाब पेश करेगी.

कार्यकर्ता सौरव दत्ता द्वारा दायर याचिका पर चल रही थी सुनवाई

बता दें कि कोर्ट में कार्यकर्ता सौरव दत्ता द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही थी, इसमें उन्होंने करदाताओं के धन के दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. इसमें उनके वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य और शमीम अहमद ने तर्क दिया कि सरकार विकास कार्यों के लिए धन का उपयोग करने की बजाय इसे पूजा समितियों में बांट रही है. इसके जवाब में राज्य ने कहा कि यह अनुदान जन कल्याण के लिए हैं. इसमें सरकार ने कई चीजों का उदाहरण देते हुए कहा कि यह पैसे ड्राइव सेव लाइफ, कोविड-संबंधी प्रतिबंधों में इस्तेमाल किया गया है. 

कब सामने आया विवाद?

दरअसल, यह विवाद तब सामने आया. जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस साल राज्य भर के लगभग 40,000 पूजा आयोजकों में से प्रत्येक को 1.1 लाख रुपए का एकमुश्त मानदेय देने की घोषणा की है. इसमें कुल 450 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होने की संभावना है. वहीं पिछले साल ममता बनर्जी सरकार ने प्रत्येक समिति को 85,000 रुपए दिए थे. इसके अलावा नेताजी इंडोर स्टेडियम में मुख्यमंत्री ने पूजा के लिए भी बिजली बिल में 80% तक की छूट की घोषणा की थी. 

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