पीएम मोदी के चीन दौरे से पहले दोनों देशों के बीच रिश्तों में दिखने लगा सुधार, जल्द शुरू होने जा रही डायरेक्ट फ्लाइट्स
2020 कोविड और गलवान घाटी के बाद भारत-चीन के बीच बिगड़े रिश्तों में अब बड़ा सुधार देखने को मिल रहा है. दोनों ही देशों की तरफ से जल्द ही डायरेक्ट फ्लाइट्स की शुरुआत हो रही है. इसके अलावा पीएम मोदी शंघाई शिखर सम्मेलन (SCO) में भी शामिल हो सकते हैं.
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भारत और चीन के बीच रिश्तों में सुधार दिखना शुरू हो गया है. साल 2020 में कोविड की वजह से भारत से चीन के बीच सीधी उड़ाने रद्द कर दी गई थीं. हालांकि, तीसरे देश के जरिए जैसे सिंगापुर, बैंकॉक, दुबई या हांगकांग से सीमित मार्गों के जरिए चार्टर्ड उड़ानों से उड़ान भरी जा रही थी. वहीं उसी साल गलवान घाटी में सैन्य झड़प हुआ था, लेकिन अब चीजें काफी बेहतर नजर आ रही हैं. दोनों ही देशों की तरफ से पर्यटन व्यापार और अन्य संपर्क को बढ़ावा देने की पूरी कोशिश की जा रही है. वहीं प्रधानमंत्री मोदी भी SCO की बैठक में भी शामिल हो सकते हैं. वह शंघाई शिखर सम्मेलन में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक भाग लेंगे. इसमें दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स को लेकर कई अहम चर्चा हो सकती है.
SCO बैठक में शामिल होंगे पीएम मोदी
31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन यानी SCO में पीएम मोदी भाग लेने वाले हैं. हालांकि, सरकार ने अभी तक पीएम मोदी की इस यात्रा की कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, यह सीमा वार्ता और SCO विदेश मंत्रियों की बैठक के परिणामों पर निर्भर करेगा, लेकिन इस बात की संभावना ज्यादा है कि वह इसमें शामिल होंगे.
भारत-चीन के रिश्तों में सुधार के संकेत
अमेरिकी सरकार द्वारा भारत और चीन पर लगाए गए टैरिफ के बाद दोनों ही देशों के बीच सहयोग की संभावनाएं और भी ज्यादा मजबूत होती दिखाई दे रही हैं. कई विशेषज्ञ का कहना कि भारत अपनी राजनीतिक स्वायत्तता बनाए रखते हुए चीन के साथ संबंधों को संतुलित करने की पूरी कोशिश में है. यह वैश्विक भूराजनीति में भारत की तरफ से एक नया समीकरण बन सकता है. सीधी उड़ानों की बहाली करना भारत और चीन के रिश्तों के बीच मजबूती और तनाव कम करने में खास सहयोग मिलेगा.
2020 गलवान घाटी के बाद बढ़ा था तनाव
साल 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के जवानों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद संबंधों में काफी ज्यादा गिरावट आई थी. इसके अलावा भारत सरकार ने 59 चीनी मोबाइल एप्स पर भी प्रतिबंध लगाए गए थे.
भारतीय एयरलाइंस की स्थिति और चुनौतियां
कोविड और गलवान घाटी से पहले 2019 में भारत और चीन के बीच पूरी क्षमता के साथ एयरलाइंस का संचालन हो रहा था, उस समय चीनी एयरलाइन जैसे चीन सदर्न और चीन ईस्टर्न ने बाजार में काफी बड़ा हिस्सा हासिल किया था. जबकि भारतीय एयरलाइंस जैसे एयर इंडिया और इंडिगो भी इस मार्ग पर सक्रिय थी. इंडिगो ने साल 2019 में दिल्ली-चेंगदू और कोलकाता-ग्वांगझोउ मार्गों पर अपनी सेवाएं शुरू की थीं. हालांकि, सीधी उड़ानों की बहाली से पहले कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. इनमें उद्योग सूत्रों से जुड़े लोगों ने बताया कि भारत और चीन के बीच बातचीत में हवाई किराए के नियमन, स्लॉट आवंटन और ग्राउंड हैंडलिंग कॉन्ट्रैक्ट जैसे मुद्दों पर चर्चा हो रही है. भारत अपनी एयरलाइंस को मांग के आधार पर किराए निर्धारित करने की अधिक स्वतंत्रता देने की मांग कर रहा है, जबकि चीन की लो-कॉस्ट एयरलाइंस के भारतीय बाजार में प्रवेश की संभावना भी चर्चा में है. फिलहाल पहले की तुलना में चीन-भारत संबंधों को बेहतर करने की पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं. यह पहल सिर्फ एक तरफ से नहीं, बल्कि दोनों तरफ से किया जा रहा है.
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