तिरुपति विज्ञान सम्मेलन में नायडू ने जनसांख्यिकीय चिंता जताई, बोले- हर परिवार में हों तीन बच्चे
नायडू ने कहा कि हम बहुत भाग्यशाली हैं क्योंकि भारत ही ऐसा देश है जहां युवा आबादी का लाभ अभी लंबे समय तक बना रहेगा.
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आंध्र प्रदेश के तिरुपति में आयोजित भारतीय विज्ञान सम्मेलन में मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भारत की जनसांख्यिकीय स्थिति पर चिंता जताई.
"हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए"
उन्होंने कहा कि देश के जनसांख्यिकीय लाभ को बनाए रखने के लिए हर परिवार में कम से कम तीन बच्चे होने चाहिए. उन्होंने वैश्विक स्तर पर कई विकसित देशों में आबादी घटने और बुजुर्गों की संख्या बढ़ने की समस्या का जिक्र किया.
उन्होंने कहा कि दुनिया के अधिकांश देशों में आबादी या तो स्थिर हो रही है या घट रही है. चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों में जनसांख्यिकीय संकट गहरा रहा है, जहां कामकाजी आबादी कम हो रही है और बुजुर्गों का बोझ बढ़ रहा है. इसके विपरीत भारत अभी भी युवा आबादी वाला देश है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा अवसर प्रदान करता है.
उन्होंने जोर दिया कि भारत धीरे-धीरे प्रतिस्थापन स्तर (रिप्लेसमेंट लेवल) को पार कर रहा है, इसलिए आबादी पर ध्यान देना जरूरी है.
मुख्यमंत्री ने मोहन भागवत की बात का किया समर्थन
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की बात का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने सही कहा है कि हर दंपति को तीन बच्चे होने चाहिए. यह भारत की संस्कृति का भी हिस्सा है. नायडू के अनुसार, अगर हम 2047 तक और उसके बाद भी आबादी का सही प्रबंधन करेंगे, तो भारत वैश्विक स्तर पर अजेय बन सकता है और कोई देश हम पर हावी नहीं हो पाएगा.
उन्होंने भारतीय प्रवासियों की सफलता का उदाहरण देते हुए बताया कि विदेशों में रहने वाले लगभग चार से पांच करोड़ भारतीय सबसे ज्यादा कमाई करने वाले समुदायों में शामिल हैं. अमेरिका में भारतीयों की औसत आय वहां के राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है, जो भारत के मानव संसाधन की ताकत को दर्शाता है.
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नायडू ने कहा कि हम बहुत भाग्यशाली हैं क्योंकि भारत ही ऐसा देश है जहां युवा आबादी का लाभ अभी लंबे समय तक बना रहेगा.
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