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बिहार के बाद अब असम में भी होगी SIR प्रक्रिया, नई वोटर लिस्ट पर सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने जताई नाराजगी

बिहार के बाद अब असम में भी SIR प्रक्रिया कराई जाएगी. इसको लेकर चुनाव आयोग ने बड़ी तैयारी शुरू कर दी है. वहीं असम के मुख्यमंत्री ने इस पर अपनी नाराजगी जताई है.

04 Aug, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
03:06 AM )
बिहार के बाद अब असम में भी होगी SIR प्रक्रिया, नई वोटर लिस्ट पर सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने जताई नाराजगी

बिहार के बाद अब असम में भी SIR प्रक्रिया अपनाने पर विचार चल रहा है. इसको लेकर निर्वाचन आयोग ने बड़ी तैयारी की है. बता दें कि बिहार में यह प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है. नई वोटर लिस्ट को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का भी बयान सामने आया है. उन्होंने इस पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है किसी दूसरे राज्य की नकल करके यहां की व्यवस्थाओं को न तो सुधारा जा सकता है और न ही समस्याओं को खत्म किया जा सकता है. जानकारी के लिए बता दें कि असम देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां एनआरसी कराई गई थी. 

बिहार के बाद अब असम में भी होगी SIR प्रक्रिया

एक रिपोर्ट के मुताबिक, निर्वाचन आयोग बिहार के बाद अब असम में भी SIR कराने की तैयारी कर रहा है. बता दें कि यहां भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. निर्वाचन आयोग की तरफ से कहा गया है कि बूथ लेवल अधिकारियों की नियुक्ति करके उनकी ट्रेनिंग भी शुरू की जाएगी. यहां शिक्षक से जुड़े लोगों को ही BLO बनाया गया है. जिनको गर्मी की छुट्टियों के दौरान से ही ट्रेनिंग दी जा रही है.

SIR के दौरान कौन से दस्तावेज होंगे स्वीकार?

एक BLO ने ट्रेनिंग के दौरान बताया है कि SIR के दौरान किस तरह के दस्तावेज मान्य होंगे. उसने बताया कि इसमें जन्म प्रमाणपत्र, फोटो, मां-बाप की वोटर आईडी और निवास प्रमाणपत्र जरूरी होगा. अगर किसी की मृत्यु हो गई है और उनका वोटर लिस्ट से नाम हटाना है, तो इसके लिए मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी. 

SIR प्रक्रिया पर असम के सीएम ने जताई नाराजगी 

असम के मुख्यमंत्री का इस मामले पर कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की गई NRC की फाइनल लिस्ट तैयार होने के बाद इसी आधार पर वोटर लिस्ट तैयार की जा सकती है. वोटर लिस्ट में संशोधन करने से घुसपैठ का इलाज नहीं हो सकता है. 

1971 के बाद अवैध रूप से असम में रहने वाले लोग भारत के नागरिक नहीं 

बता दें कि 24 मार्च 1971 के बाद असम में जो भी नागरिक अवैध रूप से आए थे, वह भारत के नागरिक नहीं माने गए. इसके लिए 6 साल आंदोलन चला और उसके बाद यह समझौता हुआ. 

'SIR से क्या हासिल होगा'

बिहार में अंतिम चरण में चल रही SIR प्रक्रिया पर सरमा ने कहा है कि 'हमने यहां NRC करवाई है. अब अगर यहां पर SIR करवाया जाएगा, तो इससे प्रदेश को कुछ हासिल नहीं होगा. दूसरे राज्यों में क्या हो रहा है, उससे असम की समस्या दूर नहीं हो सकती. अगर सूची में किसी भी तरह का संशोधन किया जाता है, तो फिर NRC दस्तावेजों में भी इसे शामिल किया जाना चाहिए. मुझे ऐसा लगता है कि NRC की फाइनल लिस्ट आने तक हमें इंतजार करना चाहिए.'

असम देश का ऐसा पहला राज्य जहां NRC करवाई गई 

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भारत में असम देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां साल 2019 में 31 अगस्त को NRC की ड्राफ्ट सूची जारी की गई थी. इसमें कुल 3.3 करोड़ आवेदको में से 19.6 लाख लोगों को लिस्ट से बाहर रखा गया था. इस ड्राफ्ट सूची को लेकर रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने नोटिफाई नहीं किया है, वहीं केंद्र सरकार भी इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है. सरकार का कहना है कि NRC में कई कमियां हैं. इसमें अवैध प्रवासियों को रखा गया है और स्वदेशी लोगों को बाहर कर दिया गया है. इस मामले पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि लिस्ट से बाहर होने वाले 29 लाख लोगों की संख्या बहुत कम है. इसका पुनः सत्यापन होना चाहिए. 

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