आजादी के 78 साल बाद आइजोल के लोगों ने देखी रेल, PM मोदी ने किया बइरबी-सैरांग लाइन का उद्घाटन, कहा- ये बदलाव की लाइफ लाइन है
PM Modi In Mizoram: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों दो दिवसीय नॉर्थ ईस्ट दौरे पर हैं. खराब मौसम की वजह से वे मिजोरम की राजधानी आइजोल नहीं जा सके, लेकिन एयरपोर्ट से ही उन्होंने करीब 9000 करोड़ रुपये के कई प्रोजेक्ट्स की सौगात दी और लोगों को संबोधित भी किया.
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PM Modi In Mizoram: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों दो दिवसीय नॉर्थ ईस्ट दौरे पर हैं. खराब मौसम की वजह से वे मिजोरम की राजधानी आइजोल नहीं जा सके, लेकिन एयरपोर्ट से ही उन्होंने करीब 9000 करोड़ रुपये के कई प्रोजेक्ट्स की सौगात दी और लोगों को संबोधित भी किया. इस मौके पर पीएम मोदी ने मिजोरम की पहली बड़ी रेल लाइन, बैराबी-सैरंग रेल प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया. अब मिजोरम देश के बाकी हिस्सों से ट्रेन के जरिए जुड़ गया है.
पीएम मोदी ने आइजोल से तीन ट्रेनों को दिखाई हरी झंडी
पीएम मोदी ने आइजोल से तीन ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई. इनमें पहली ट्रेन दिल्ली के आनंद विहार तक चलेगी, जो हफ्ते में एक दिन चलेगी. दूसरी ट्रेन सैरंग से कोलकाता के बीच सप्ताह में तीन दिन चलेगी, और तीसरी ट्रेन सैरंग से गुवाहाटी तक जाएगी. पीएम मोदी ने कहा कि यह मिजोरम के लिए ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि आज से आइजोल भारत के रेलवे मैप पर जुड़ गया है.
उन्होंने कहा कि ये सिर्फ ट्रेनों की शुरुआत नहीं है, बल्कि मिजोरम के विकास की नई शुरुआत है. इससे यहां के किसानों, व्यापारियों और आम लोगों को देश के दूसरे शहरों से जोड़ने में मदद मिलेगी. लोगों को पढ़ाई, इलाज और रोजगार के ज्यादा मौके मिलेंगे. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि मिजोरम में जल्द ही हेलीकॉप्टर सेवाएं भी शुरू की जाएंगी ताकि दूर-दराज के इलाकों तक आसानी से पहुंचा जा सके. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार बीते कई सालों से नॉर्थ ईस्ट को देश के विकास इंजन के रूप में मजबूत कर रही है और अब इसका असर दिखने लगा है.
A landmark day for Mizoram as it joins India's railway map! Key infrastructure projects are also being initiated. Speaking at a programme in Aizawl. https://t.co/MxM6c2WZHZ
— Narendra Modi (@narendramodi) September 13, 2025
यही जज़्बा, यही हौसला और यही विश्वास है जो भारतीय रेल और देश की सरकार के लिए हमेशा से प्रेरणा रहा है. चाहे ऊँचे पहाड़ हों, गहरे दरिया हों, लंबी सुरंगें हों या विशाल पुल, ये लोग थकते नहीं. थकावट उनके लिए कोई शब्द नहीं, बस काम और काम की चाहत है. और आज, एक बार फिर इंडियन रेलवे ने ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिसे इतिहास हमेशा याद रखेगा.
कुतुब मीनार से भी ऊँचा रेल ब्रिज!
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) September 12, 2025
📍मिजोरम pic.twitter.com/av1cECWgCY
आज़ादी के 78 साल बाद आइजोल पहुँची रेल -
आज़ादी के 78 साल बाद, भारत के उन छोर में से एक, जहाँ विकास केवल ख्वाब बनकर रह गया था, अब रेल पटरियाँ पहुँच चुकी हैं. मिज़ोरम की राजधानी आइजोल, जो कभी सिर्फ़ उम्मीदों का धुंधला निशान थी, अब 51 किलोमीटर लंबी बैराबी-सईरांग रेल लाइन के ज़रिए देश से सीधा जुड़ गई है.
यह सिर्फ़ एक रेलवे परियोजना नहीं है, बल्कि लोगों के सपनों की हकीकत है. आइजोल के लोग वर्षों से सोचते रहे कि शायद विकास केवल किसी और की कहानी में ही बनेगा. लेकिन मोदी सरकार और भारतीय रेलवे ने मिलकर इसे नामुमकिन से मुमकिन कर दिखाया. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मेहनत, इंजीनियर्स की काबिलियत और मजदूरों की लगन ने इस चुनौतीपूर्ण रास्ते को हकीकत में बदल दिया.
हरी-भरी वादियों, ऊँचे पहाड़ों और लंबी सुरंगों के बीच से गुजरती ट्रेन अब आइजोल तक पहुँचेगी. यह सिर्फ़ रेल मार्ग नहीं, बल्कि रोजगार, पर्यटन और नए अवसरों की नयी राह है. अब भारत के किसी भी कोने से लोग सीधे ट्रेन में बैठकर आइजोल पहुँच सकते हैं.
चार हिस्सों में बंटा प्रोजेक्ट -
1- बैराबी-हॉर्टोकी: 17 किलोमीटर
2- हॉर्टोकी-कॉनपुईजो: 10 किलोमीटर
3- कॉनपुई-मुअलखांग: 12 किलोमीटर
4- मुअलखांग-सईरांग: 13 किलोमीटर
सिर्फ इतना ही नहीं इस प्रोजेक्ट से मिजोरम ऐसा चौथा पूर्वोत्तर राज्य बन गया है, जिसकी राजधानी आइजोल सीधे रेल नेटवर्क से जुड़ गई है.मगर ये काम इतना आसान नहीं था. ऐसा इसलिए क्योंकि इस रूट पर 48 सुरंगें, 55 बड़े और 87 छोटे पुल, 5 रोड ओवरब्रिज और 6 रोड अंडरब्रिज भी बनाए गए हैं. सबसे ऊँचा पुल 104 मीटर है, जो क़ुतुब मीनार से भी 42 मीटर ऊँचा है. इन अविश्वसनीय इंजीनियरिंग कारनामों ने साबित कर दिया कि भारत की रेलवे केवल दूरी ही नहीं, बल्कि मुश्किलों को भी पार कर सकती है.
खर्च और कनेक्टिविटी -
इस अद्भुत परियोजना में 5022 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ. इससे पहले आइजोल पहुँचने के लिए यात्रियों को सीमित फ्लाइट, बैराबी स्टेशन और सिलचर स्टेशन के माध्यम से लंबा सफ़र तय करना पड़ता था. अब यह शहर सीधे भारत की रेल नेटवर्क से जुड़ चुका है. अब आइजोल की राजधानी और मिज़ोरम का हर कोना देश की मुख्य धारा से जुड़ चुका है, जिससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि पर्यटन और व्यवसाय को भी नई दिशा मिलेगी.
संस्कृति और अनुभव -
इस रेल मार्ग को सिर्फ़ यात्रा के लिए नहीं बनाया गया है. हर सुरंग के बाहर मिज़ो संस्कृति की कलाकारी और पेंटिंग्स यात्रियों को इस धरती की जीवंत कहानी बताती हैं। यह सिर्फ़ सफ़र नहीं, बल्कि अनुभव और शिक्षा का अद्भुत संगम है. रेल मार्ग पर हर कदम पर यह महसूस होगा कि भारतीय रेलवे ने दूरी घटाई है और लोगों के सपनों को करीब लाया है. यही कारण है कि आइजोल की यह रेल लाइन केवल ट्रैक नहीं, बल्कि उम्मीदों, मेहनत और हौसले की सच्ची कहानी है.
नया अध्याय, नई उम्मीदें -
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अब वंदे भारत, राजधानी जैसी ट्रेनें आइजोल तक पहुँचेंगी. जिससे यहाँ पर्यटन को नई दिशा मिलेगी, व्यापार को नया बल मिलेगा और यहाँ के लोगों का जीवन बदल जाएगा. यह सिर्फ़ रेल लाइन नहीं, बल्कि भारत की प्रगति का प्रतीक है. यह दिखाता है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें हों, अगर जज़्बा और हौसला सही हो, तो कुछ भी असंभव नहीं. आइजोल अब केवल मिज़ोरम की राजधानी नहीं, बल्कि उम्मीदों और नए अवसरों का केंद्र बन चुकी है.
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