पीएम मोदी के 75वें जन्मदिन पर 3 लाख यूनिट ब्लड एकत्र करने का बन रहा 'World Record'... लाखों लोगों को मिलेगा नया जीवन
बता दें कि पीएम मोदी के जन्मदिन पर भारत में 'मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव' के तहत देशभर में 7,000 ब्लड डोनेशन कैंप लगाए गए हैं, जिसका लक्ष्य एक दिन में करीब 3 लाख यूनिट ब्लड जुटाना है.
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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 75वें साल में प्रवेश कर चुके हैं. उनके इस खास जन्मदिन पर देश और विदेश में अलग-अलग कार्यक्रम हो रहे हैं. दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री को दुनिया के दिग्गज हस्तियों ने बधाई संदेश भेजा है. चारों तरफ उनके जन्मदिन की धूम है. इसी कड़ी में उनके खास दिन पर अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद ने 'रक्तदान अमृत महोत्सव 2.0' का आयोजन किया है. इस ब्लड डोनेशन ड्राइव के जरिए विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है. खबरों के मुताबिक, देशभर में करीब 7,000 ब्लड डोनेशन कैंप लगाए गए हैं. यह अभियान सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी चल रहा है.
पीएम मोदी के जन्मदिन पर ब्लड डोनेशन का खास अभियान
बता दें कि पीएम मोदी के जन्मदिन पर भारत में 'मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव' के तहत देशभर में 7,000 ब्लड डोनेशन कैंप लगाए गए हैं, जिसका लक्ष्य एक दिन में करीब 3 लाख यूनिट ब्लड जुटाना है.
दुनिया के 70 देशों में भी चल रहा यह अभियान
भारत के 7,000 से ज्यादा ब्लड डोनेशन कैंपों के अलावा विदेशों में भी नेपाल, अमेरिका, ब्रिटेन, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया दुबई और कई अन्य अफ्रीकी देशों सहित कुल 70 देशों में यह महाअभियान चलाया जा रहा है. इससे पहले साल 2022 में भी तेरापंथ परिषद ने एक ही दिन में 2.5 लाख यूनिट ब्लड जुटाकर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया था.
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया रक्तदान
बता दें कि दिल्ली के अणुव्रत भवन में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी रक्तदान किया. इसके अलावा उनके साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी कैंप का दौरा कर तेरापंथ के प्रयासों की सराहना की.
क्या है ब्लड डोनेशन ड्राइव का मकसद?
तेरापंथ युवक परिषद ने इस ब्लड डोनेशन ड्राइव को लेकर बताया कि यह अभियान रक्त बैंकों में कमी को दूर करने के लिए चलाया जा रहा है, ताकि किसी भी जरूरतमंद को कभी रक्त की कमी के कारण अपनी जान न गंवानी पड़े. देश भर में लगभग 15,000 यूनिट और सालाना 1 करोड़ 20 लाख यूनिट रक्त की जरूरत पड़ती है, जबकि उपलब्धता सिर्फ 90 से 95 लाख यूनिट तक ही है. यानी कि करीब 20 से 25% रक्त की कमी बनी रहती है, जिसके कारण हजारों-लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं.
लोगों की जिंदगी बचाने का महाअभियान
बता दें कि भारत में लगभग 1.5 लाख लोग थैलेसीमिया के मरीज है, जिनको नियमित रूप से रक्त चढ़ाना पड़ता है. इसके अलावा डायलिसिस, हृदय रोग, कैंसर और सड़क दुर्घटनाओं के मरीजों को भी रक्त की आवश्यकता पड़ती है. इसको लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि अगर देश की महज 2 फीसदी आबादी भी साल में एक बार रक्तदान करे, तो कभी भी रक्त कमी नहीं रहेगी. सरकार के शिक्षा, रेल, स्वास्थ्य, खेल एवं अन्य मंत्रालय भी अभियान को पूरा सहयोग दे रहे हैं. आयोजकों ने बताया कि यह सिर्फ रक्तदान अभियान नहीं, बल्कि जिंदगी बचाने का एक महाअभियान है.
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