World Breastfeeding Week 2025 : स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए संजीवनी है ये आयुर्वेदिक पौधा, दूध बढ़ाने से लेकर इम्युनिटी तक देता है कई फायदे
हर साल 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाने वाला विश्व स्तनपान सप्ताह (World Breastfeeding Week) सिर्फ एक जागरूकता अभियान नहीं, बल्कि मां और नवजात शिशु की सेहत से जुड़ी एक जिम्मेदारी है. इस अवसर पर स्तनपान से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों के साथ-साथ पारंपरिक आयुर्वेदिक उपायों की चर्चा भी ज़रूरी है, जो सदीयों से मातृत्व को सहज बनाने में मदद करते आ रहे हैं.
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हर साल 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाने वाला विश्व स्तनपान सप्ताह (World Breastfeeding Week) सिर्फ एक जागरूकता अभियान नहीं, बल्कि मां और नवजात शिशु की सेहत से जुड़ी एक जिम्मेदारी है. इस अवसर पर स्तनपान से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों के साथ-साथ पारंपरिक आयुर्वेदिक उपायों की चर्चा भी ज़रूरी है, जो सदीयों से मातृत्व को सहज बनाने में मदद करते आ रहे हैं.
ऐसा ही एक जानी-पहचानी लेकिन आज की भागदौड़ में भुला दी गई जड़ी-बूटी है — शतावरी. यह पौधा स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं.
शतावरी क्या है और क्यों है खास?
शतावरी, जिसका वैज्ञानिक नाम Asparagus racemosus है, एक झाड़ीदार औषधीय पौधा है जो भारत में विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्र, जंगलों और गर्म प्रदेशों में पाया जाता है. आयुर्वेद में इसे स्त्रियों की सेहत के लिए सर्वोत्तम जड़ी-बूटी माना गया है. इसका नाम “शतावरी” इस बात से पड़ा कि यह एक ऐसी औषधि है जो एक महिला को “सौ पतियों” को संतुष्ट करने की शक्ति प्रदान करती है — यानी यह महिलाओं की सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक क्षमता को संतुलित और मज़बूत करती है.
स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए शतावरी के फायदे
- दूध की मात्रा बढ़ाती है - शतावरी एक प्रभावी गैलेक्टोगॉग (Galactagogue) है, यानी यह स्तन ग्रंथियों को सक्रिय कर दूध का उत्पादन बढ़ाती है. यह मां के दूध को पोषक भी बनाती है, जिससे नवजात को बेहतर पोषण मिलता है.
- तनाव और थकान में राहत - डिलीवरी के बाद शरीर में थकावट, कमजोरी और हार्मोनल उतार-चढ़ाव आम होते हैं. शतावरी एक एडेप्टोजेनिक हर्ब है जो मां के शरीर को अंदर से मज़बूती और मानसिक शांति देती है.
- पाचन तंत्र को सुधारती है - नई माओं में अपच, गैस और भूख कम लगना जैसी समस्याएं होती हैं. शतावरी इनमें राहत देती है और भूख बढ़ाने में मदद करती है.
- प्राकृतिक हार्मोन बैलेंस करती है - शतावरी महिलाओं के प्रजनन अंगों को स्वस्थ रखने में भी सहायक होती है. इससे शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर नियंत्रित रहता है, जिससे भावनात्मक असंतुलन कम होता है.
नवजात शिशु को भी होते हैं लाभ
जब मां स्वस्थ होती है और उसका दूध पर्याप्त मात्रा में बनता है, तो उसका असर सीधा शिशु की सेहत पर पड़ता है. शतावरी के सेवन से:
- शिशु की इम्युनिटी मजबूत होती है.
- संक्रमण की आशंका कम होती है.
- पाचन बेहतर होता है.
- शिशु को बेहतर नींद और विकास मिलता है.
शतावरी का सेवन कैसे करें?
- शतावरी चूर्ण
1-2 ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध या गुनगुने पानी के साथ दिन में एक या दो बार सेवन किया जा सकता है.
- शतावरी की गोली या कैप्सूल
आयुर्वेदिक स्टोर पर उपलब्ध कैप्सूल को चिकित्सक की सलाह से लिया जा सकता है.
- शतावरी लड्डू
गर्भावस्था के बाद पोषण देने वाले लड्डुओं में शतावरी, गोंद, मेवा और घी मिलाकर बनाए जाते हैं.
- शतावरी दूध
शतावरी पाउडर को दूध में मिलाकर रोज सुबह या रात को पीना फायदेमंद माना जाता है.
किन बातों का रखें ध्यान?
- शतावरी का सेवन चिकित्सकीय सलाह से ही करें, खासकर यदि थायरॉइड, डायबिटीज या अन्य मेडिकल कंडीशन हो.
- अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से दस्त या एलर्जी हो सकती है.
- गुणवत्ता युक्त, प्रमाणित स्रोत से ही शतावरी लें.
शतावरी से मिले मां और शिशु को आयुर्वेदिक संबल
ब्रेस्टफीडिंग वीक 2025 सिर्फ एक जागरूकता सप्ताह नहीं, बल्कि हर मां के लिए खुद को समझने और संभालने का अवसर है. इस दौरान अगर प्राकृतिक औषधियों जैसे शतावरी को अपनी दिनचर्या में शामिल किया जाए, तो स्तनपान का अनुभव न केवल आसान होता है, बल्कि मां और शिशु दोनों की सेहत को स्थायी लाभ भी मिलता है. आयुर्वेद कहता है, “जहां संतुलन, वहां आरोग्य”, और शतावरी इस संतुलन को सहजता से संभव बनाती है.
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