पाम ऑयल के वायरल मैसेज की सच्चाई, क्या सचमुच है स्वास्थ्य के लिए खतरा?
सोशल मीडिया इन दिनों पाम ऑयल को लेकर एक मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमे दावा किया गया है कि पाम ऑयल का सेवन बच्चों के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालता है, जिससे उनके हृदय में वसा जमा होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है और उन्हें कम उम्र में ही मधुमेह जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, यह भी दावा किया गया है कि बड़ी कंपनियां भारत में सस्ते पाम ऑयल का उपयोग करती हैं, जबकि पश्चिमी देशों में अलग तेल का इस्तेमाल होता है।
28 Sep 2024
(
Updated:
09 Dec 2025
05:23 AM
)
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आजकल सोशल मीडिया पर एक लंबा मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें पाम ऑयल के खतरनाक प्रभावों को लेकर चेतावनी दी जा रही है। मैसेज का दावा है कि यह एम्स, नई दिल्ली के प्रसिद्ध डॉक्टर, डॉ. पी. के. सामंतराय द्वारा लिखा गया है, और इसमें कहा गया है कि पाम ऑयल खासकर बच्चों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। इसमें इसे दिल की बीमारियों, मधुमेह, और अन्य घातक रोगों से जोड़ते हुए "पाम ऑयल माफिया" का उल्लेख भी किया गया है। इस वायरल मैसेज ने सोशल मीडिया पर खलबली मचा दी है और लोग इसे तेजी से शेयर कर रहे हैं।
क्या है वायरल मैसेज की सच्चाई?
लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या यह मैसेज सचमुच विश्वसनीय है? दरअसल इस मैसेज में दावा किया गया है कि पाम ऑयल का सेवन बच्चों के मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालता है, जिससे उनके हृदय में वसा जमा होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है और उन्हें कम उम्र में ही मधुमेह जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, यह भी दावा किया गया है कि बड़ी कंपनियां भारत में सस्ते पाम ऑयल का उपयोग करती हैं, जबकि पश्चिमी देशों में अलग तेल का इस्तेमाल होता है। इस मैसेज के साथ यह अनुरोध किया गया है कि लोग पाम ऑयल युक्त वस्तुओं का बहिष्कार करें और जागरूकता फैलाएं ताकि हमारे बच्चों को इन स्वास्थ्य जोखिमों से बचाया जा सके। इस मैसेज में प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें इस मसले पर कदम उठाने की मांग की गई है।
क्या कहा डॉ. पी. के. सामंतराय ने?
इस वायरल मैसेज की जांच के दौरान पाया कि इसमें कई तथ्य संदिग्ध हैं। सबसे पहले, हमने गूगल पर डॉ. पी. के. सामंतराय के नाम से जुड़े लेख और ब्लॉग खोजे, लेकिन हमें ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जो यह साबित कर सके कि उन्होंने पाम ऑयल के खिलाफ इस तरह का कोई बयान दिया है। इसके बाद, हमने डॉ. पी. के. सामंतराय के फेसबुक प्रोफाइल की जांच की और वहां भी हमें इस तरह का कोई मैसेज नहीं मिला। इसके बाद, जब सीधे डॉ. पी. के. सामंतराय से संपर्क किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह संदेश उनके नाम से वायरल हो रहा है, लेकिन उन्होंने कभी इस तरह का मैसेज न तो लिखा है और न ही शेयर किया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका इस विषय पर कोई बयान या लेख नहीं है।
पाम ऑयल के वास्तविक स्वास्थ्य प्रभाव
जहां तक पाम ऑयल के स्वास्थ्य पर प्रभावों की बात है, कुछ अध्ययनों ने यह बताया है कि इसमें उच्च मात्रा में सैचुरेटेड फैट होता है, जो लंबे समय से हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि पाम ऑयल और अन्य उष्णकटिबंधीय तेलों में सैचुरेटेड फैट की उच्च मात्रा होती है, जो हृदय के लिए हानिकारक मानी जाती है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि पाम ऑयल का सेवन पूरी तरह से अस्वास्थ्यकर है। इसका उपयोग विभिन्न खाद्य पदार्थों में किया जाता है और यह एक सस्ता और स्थिर तेल है। विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी तेल या खाद्य पदार्थ का अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, और संतुलित आहार का पालन करना सबसे बेहतर उपाय है।
आपको बता दें कि यह वायरल मैसेज change.org पर एक याचिका के रूप में प्रकाशित हुआ था। प्रदीप अग्रवाल नामक एक व्यक्ति ने भारत में पाम ऑयल पर प्रतिबंध लगाने के लिए यह याचिका शुरू की थी, जिसमें वही टेक्स्ट लिखा गया था जो आज डॉ. पी. के. सामंतराय के नाम से वायरल हो रहा है। इस याचिका में पाम ऑयल के हानिकारक प्रभावों का वर्णन किया गया था और यह सुझाव दिया गया था कि भारत को पाम ऑयल का आयात रोक देना चाहिए।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा संदेश भ्रामक है। डॉ. पी. के. सामंतराय ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, और इस संदेश में प्रस्तुत किए गए तथ्यों की सत्यता संदिग्ध है। पाम ऑयल के प्रभावों पर बहस जारी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें बिना जांचे-परखे किसी भी वायरल संदेश को सच मान लेना चाहिए।
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