पैनकेक सिर्फ मॉडर्न डिश नहीं, बल्कि हजारों साल पुराना भोजन है, जानें कैसे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बना खास
पैनकेक को आपने नाश्ते में कई बार खाया होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं इसका इतिहास हजारों साल पुराना है? प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आज की मॉडर्न किचन तक, पैनकेक का सफर बेहद दिलचस्प रहा है. आखिर कैसे एक साधारण-सी डिश दुनिया भर में लोगों की थाली की शान बन गई?
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आज के समय में पैनकेक दुनिया भर के किचन का हिस्सा है. चाहे बच्चों का टिफिन हो या होटल का नाश्ता—पैनकेक हर जगह लोकप्रिय है. नरम, स्वादिष्ट और आसानी से बनने वाला यह व्यंजन हर उम्र के लोगों को पसंद आता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका इतिहास हजारों साल पुराना है?
प्राचीन काल से जुड़ा सफर
इतिहासकारों का मानना है कि पैनकेक का ज़िक्र 4700 साल पहले की प्राचीन सभ्यताओं में मिलता है. ग्रीक और रोमन लोग आटे, पानी और शहद से बने फ्लैट ब्रेड जैसे व्यंजन खाते थे, जो आधुनिक पैनकेक से काफी मिलते-जुलते थे. माना जाता है कि उस दौर में भी लोग इसे खास मौकों पर बनाया करते थे.
यूरोप से अमेरिका तक
मध्ययुगीन यूरोप में पैनकेक का रूप और भी विकसित हुआ. अंडे, दूध और मसालों के साथ बने पैनकेक त्योहारों और उपवासों में खाए जाने लगे. बाद में जब यूरोपीय लोग अमेरिका पहुंचे, तो उन्होंने इस डिश को वहां भी लोकप्रिय बना दिया. धीरे-धीरे अमेरिका और इंग्लैंड में पैनकेक नाश्ते का अहम हिस्सा बन गया.
हर संस्कृति का अपना पैनकेक
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पैनकेक का अपना ही रूप है.
- भारत में डोसा, चीला और मालपुआ पैनकेक की तरह ही बनाए जाते हैं.
- फ्रांस में इसे क्रेप्स कहा जाता है.
- जापान में ‘ओकोनोमियाकी’ और ‘डोरायाकी’ जैसे पैनकेक प्रसिद्ध हैं.
- अमेरिका में मैपल सिरप के साथ परोसा जाने वाला fluffy pancake सबसे लोकप्रिय है.
क्यों है इतना लोकप्रिय?
पैनकेक का सबसे बड़ा आकर्षण इसकी सादगी और विविधता है. इसे मीठा भी बनाया जा सकता है और नमकीन भी. बच्चे चॉकलेट सिरप और फ्रूट्स के साथ पसंद करते हैं, वहीं बड़े लोग इसे शहद या मेपल सिरप के साथ खाना पसंद करते हैं. यही वजह है कि यह हर संस्कृति और हर पीढ़ी का मनपसंद व्यंजन बन गया.
भारत में पैनकेक का रिश्ता
भारत में भले ही इसे पैनकेक नाम से न जाना गया हो, लेकिन यहां सदियों से चीला, अंबोली, थालीपीठ और मालपुआ जैसे व्यंजन मौजूद हैं. ये सभी पैनकेक की ही तरह आटे या दाल के घोल से तवे पर बनाए जाते हैं. यानी भारत में भी इसका इतिहास बेहद समृद्ध रहा है.
पैनकेक का इतिहास हमें बताता है कि खाने की परंपराएं कैसे समय और सभ्यता के साथ बदलती रहती हैं, लेकिन उनका स्वाद लोगों को हमेशा जोड़कर रखता है. हजारों साल पहले शुरू हुआ यह सफर आज भी जारी है और आने वाले वक्त में भी यह डिश हमारी थाली का हिस्सा बनी रहेगी.
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