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घुटने की सर्जरी में डायबिटीज़ बन सकती है चुनौती: स्टडी ने बताई इन्फेक्शन की बढ़ी हुई संभावना

डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए घुटने की सर्जरी एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हो सकती है, लेकिन इन्फेक्शन के बढ़े हुए जोखिम को समझना और उसे कम करने के लिए सक्रिय उपाय करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. ब्लड शुगर का कड़ा नियंत्रण और डॉक्टर की सलाह का पालन करना इस जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है, जिससे मरीज़ बेहतर और स्वस्थ जीवन जी सकें.

घुटने की सर्जरी, खासकर टोटल नी रिप्लेसमेंट (Total Knee Replacement - TKR), उन लाखों लोगों के लिए एक वरदान है जो गंभीर अर्थराइटिस से पीड़ित हैं. हालांकि, एक हालिया अध्ययन ने एक महत्वपूर्ण चिंता उजागर की है: डायबिटीज़ से पीड़ित मरीज़ों में घुटने की सर्जरी के बाद इन्फेक्शन का खतरा ज़्यादा होता है. यह जानकारी डायबिटिक मरीज़ों और उनके सर्जनों के लिए बेहद अहम है ताकि वे सर्जरी से पहले और बाद में उचित सावधानियां बरत सकें और बेहतर परिणाम सुनिश्चित कर सकें.

यह अध्ययन नई दिल्ली के वर्धमान मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल के शोधकर्ताओं ने किया, जिसमें इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल और फोर्टिस सी-डॉक अस्पताल के एक्सपर्ट भी शामिल थे. 

क्या कहता है अध्ययन?

अध्ययन में पाया गया कि डायबिटिज से पीड़ित लोगों में घुटने की सर्जरी के बाद जोड़ों में इन्फेक्शन (पेरीप्रोस्थेटिक जॉइंट इन्फेक्शन या पीजेआई) का खतरा 43 प्रतिशत अधिक होता है. इसके अलावा, डीप वेन थ्रोम्बोसिस या डीवीटी यानी खून के थक्के जमने का रिस्क भी 45 प्रतिशत ज्यादा होता है. 

डीवीटी से फेफड़ों की धमनियों में रुकावट (पल्मोनरी एम्बोलिज्म) हो सकती है, जो मृत्यु का कारण भी बन सकती है. मधुमेह के मरीजों में अस्पताल में दोबारा भर्ती होने की दर भी 28 प्रतिशत अधिक पाई गई. विशेष रूप से, इंसुलिन लेने वाले डायबिटिज रोगियों में सर्जरी के दौरान और बाद में 60 प्रतिशत अधिक मुश्किलें देखी गईं. 

डायबिटिज का असर सर्जरी के परिणामों को करता है खराब 

शोधकर्ताओं ने बताया कि डायबिटिज का असर सर्जरी पर पड़ता है, जिससे शारीरिक कार्यक्षमता और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है. खराब ब्लड शुगर नियंत्रण सर्जरी के परिणामों को और खराब करता है. 

अध्ययन में सुझाव दिया गया कि मधुमेह के मरीजों के लिए सर्जरी से पहले बेहतर ब्लड शुगर नियंत्रण और जोखिम प्रबंधन रणनीतियों की जरूरत है. 

यह अध्ययन जर्नल ऑफ ऑर्थोपेडिक्स में प्रकाशित हुआ है और इसमें व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-एनालिसिस के आधार पर निष्कर्ष निकाले गए हैं. 

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि भविष्य में और गहन अध्ययन किए जाएं ताकि ब्लड शुगर नियंत्रण के लिए मानक दिशानिर्देश बनाए जा सकें और डायबिटिज के मरीजों में सर्जरी के रिस्क को कम करने के लिए बेहतर रणनीतियां विकसित की जा सकें. इससे मरीजों को सर्जरी से पहले बेहतर तैयारी और देखभाल मिल सकेगी, जिससे मुश्किलों को भी कम किया जा सकेगा. 

डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए घुटने की सर्जरी एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हो सकती है, लेकिन इन्फेक्शन के बढ़े हुए जोखिम को समझना और उसे कम करने के लिए सक्रिय उपाय करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. ब्लड शुगर का कड़ा नियंत्रण और डॉक्टर की सलाह का पालन करना इस जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है, जिससे मरीज़ बेहतर और स्वस्थ जीवन जी सकें.

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