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कैंसर रिलैप्स: शरीर में दिखें ये लक्षण तो हो जाएं अलर्ट! वक्त रहते पहचान कर बचा सकते हैं जान

कैंसर रिलैप्स के लक्षणों को जल्दी पहचानना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जितनी जल्दी रिलैप्स का पता चलता है, उतनी ही जल्दी इलाज शुरू किया जा सकता है. इससे उपचार के सफल होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. कैंसर से उबर चुके मरीज़ों को अपनी सेहत पर लगातार नज़र रखनी चाहिए और किसी भी असामान्य लक्षण को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए. नियमित फॉलो-अप अपॉइंटमेंट्स और डॉक्टर के साथ खुला संवाद बनाए रखना बेहद ज़रूरी है.

कैंसर का इलाज पूरा होने के बाद अक्सर मरीज़ और उनका परिवार एक सामान्य जीवन में लौटने की उम्मीद करता है. लेकिन, कैंसर के मरीज़ों के लिए एक बड़ी चुनौती कैंसर रिलैप्स (Cancer Relapse) का खतरा भी होता है, जिसका मतलब है कि इलाज के बाद कैंसर का वापस लौट आना. यह स्थिति मरीज़ और परिवार दोनों के लिए शारीरिक और भावनात्मक रूप से बेहद मुश्किल हो सकती है. हालांकि, अगर रिलैप्स के लक्षणों को वक्त रहते पहचान लिया जाए, तो तुरंत इलाज शुरू करके जान बचाने की संभावना काफी बढ़ जाती है. 

कैंसर रिलैप्स क्या है?

कैंसर रिलैप्स तब होता है जब कैंसर का इलाज (जैसे सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन) सफल होने के बाद, शरीर के उसी हिस्से या किसी अन्य हिस्से में कैंसर की कोशिकाएं फिर से बढ़ने लगती हैं. यह प्राइमरी कैंसर के इलाज के महीनों या सालों बाद भी हो सकता है. रिलैप्स कैंसर ज्यादा खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इलाज के दौरान कैंसर सेल्स कुछ हद तक म्यूटेट हो चुके होते हैं, जिसके कारण ये और गंभीर रूप ले सकते हैं. 

कैंसर रिलैप्स के सामान्य लक्षण:

रिलैप्स के लक्षण कैंसर के प्रकार, मूल स्थान और जिस जगह वह वापस आया है, उसके आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं. हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण हैं जिन पर ध्यान देना ज़रूरी है:

पुराने लक्षण
जिन मरीज़ों को पहले कैंसर था उन्हें अगर पुराने लक्षण वापस दिखने लगें तो उन्हें सतर्क हो जाना चाहिए. जैसे गांठ, दर्द या त्वचा में बदलाव दोबारा दिखने पर तुरंत जांच करवाएं. 

लगातार दर्द या परेशानी
यह सबसे आम और परेशान करने वाला संकेत हो सकता है. यदि शरीर के किसी विशेष हिस्से में लगातार या बढ़ता हुआ दर्द हो, खासकर हड्डियों, जोड़ों, या किसी अंग में, तो यह रिलैप्स का संकेत हो सकता है. ट्यूमर के बढ़ने से आसपास के ऊतकों या नसों पर दबाव पड़ सकता है.

थकान और कमज़ोरी
अगर आप बिना किसी स्पष्ट कारण के ज़्यादा थकान या कमज़ोरी महसूस करते हैं, जो आराम करने के बाद भी दूर न हो, तो यह एक चेतावनी संकेत हो सकता है.

वज़न में अनचाही कमी और भूख न लगना
बिना किसी कोशिश के अगर आपका वजन घट रहा है, साथ ही भूख में कमी या खाने की इच्छा नहीं हो रही तो यह भी एक लक्षण हो सकता है.

खांसी या सांस लेने में तकलीफ
अगर कैंसर फेफड़ों में वापस आ गया है, तो आपको लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द या आवाज़ में बदलाव (जैसे कर्कशता) का अनुभव हो सकता है. आपकी खांसी में खून आने की भी संभावना है.

पेट या पाचन संबंधी समस्याएं
लिवर, पेट या आंतों में रिलैप्स होने पर पेट में दर्द, सूजन, मतली, उल्टी, कब्ज़ या दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

वक्त रहते पहचान क्यों है ज़रूरी?

कैंसर रिलैप्स के लक्षणों को जल्दी पहचानना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जितनी जल्दी रिलैप्स का पता चलता है, उतनी ही जल्दी इलाज शुरू किया जा सकता है. इससे उपचार के सफल होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. 

कैंसर से उबर चुके मरीज़ों को अपनी सेहत पर लगातार नज़र रखनी चाहिए और किसी भी असामान्य लक्षण को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए. नियमित फॉलो-अप अपॉइंटमेंट्स और डॉक्टर के साथ खुला संवाद बनाए रखना बेहद ज़रूरी है.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान और जागरूकता के उद्देश्य से है. प्रत्येक व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आवश्यकताएं अलग-अलग हो सकती हैं. इसलिए, इन टिप्स को फॉलो करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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