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नवरात्रि के पांचवें दिन क्यों जरूरी है मां स्कंदमाता की पूजा, जिनकी पूजा से खुलते हैं भाग्य के द्वार और मिलता है संतान का सुख

आज स्कंदमाता का पांचवा दिन है यानि आज मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. मां स्कंदमाता की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और शत्रुओं का नाश होता है. सूर्यमंडल की पालनहार होने के कारण इनकी उपासना करने वाला भक्त तेजस्वी और आकर्षक बनता है. शास्त्रों में इनकी महिमा का वर्णन है कि इनकी भक्ति से भवसागर पार करना सरल हो जाता है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

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आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर शुक्रवार को नवरात्रि का पांचवां दिन है. नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है, जो माता पार्वती का मातृत्वपूर्ण स्वरूप हैं. इनकी पूजा करने से संतान सुख, ज्ञान, शक्ति, और आध्यात्मिक विकास की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि आती है.

द्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा दोपहर के 3 बजकर 23 मिनट तक तुला राशि में रहेंगे इसके बाद वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे. इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह के 11 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह के 10 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगा.

कौन हैं मां स्कंदमाता ?
पुराणों के अनुसार, भगवान कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. कमल के आसन पर विराजमान होने से इन्हें पद्मासना देवी के नाम से भी जाना जाता है. चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता अभय मुद्रा में अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और गोद में छह मुख वाले बाल स्कंद को धारण करती हैं. कमल पुष्प लिए यह देवी शांति, पवित्रता और सकारात्मकता की प्रतीक हैं.

स्कंदमाता की पूजा करने से होती है संतान प्राप्ति?
मां स्कंदमाता की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और शत्रुओं का नाश होता है. सूर्यमंडल की पालनहार होने के कारण इनकी उपासना करने वाला भक्त तेजस्वी और आकर्षक बनता है. शास्त्रों में इनकी महिमा का वर्णन है कि इनकी भक्ति से भवसागर पार करना सरल हो जाता है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

किस तरह करें मां स्कंदमाता की पूजा?
माता की विधि-विधान से पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, साफ वस्त्र पहनें और हो सके तो पीले वस्त्र धारण करें, जो शांति और सकारात्मकता का प्रतीक है. माता की चौकी को साफ करें. इसके बाद गंगाजल का छिड़काव करें. उन्हें पान, सुपारी, फूल, फल, अक्षत आदि अर्पित करें. इसके साथ ही श्रृंगार का सामान भी चढ़ाएं, जिसमें लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प जैसे गुड़हल, चंदन, रोली आदि शामिल हों. फिर, मिठाई का भोग लगाएं. स्कंदमाता की कथा का पाठ करें और उनके मंत्रों का जाप करें. इसके बाद मां दुर्गा की आरती करें और आचमन कर पूरे घर में आरती दिखाना न भूलें. अंत में प्रसाद ग्रहण करें, जिससे संतान और स्वास्थ्य संबंधी बाधाएं दूर होती हैं.

क्यों आवश्यक है मां स्कंदमाता की पूजा?
मां स्कंदमाता की आराधना मन को एकाग्र और पवित्र बनाती है. यह पावन दिन भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति और सुख-समृद्धि का अवसर लेकर आता है. इसलिए आज नवरात्रि के पाचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा जरूर करें और आपको ये जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताएं.

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