नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा क्यों की जाती है? क्या है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, कैसे करें मां को प्रसन्न, जानें
Navratri 2025: नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. पहला दिन की शुरुआत होती है माता शैलपुत्री से. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा क्यों की जाती है? इस दौरान किस श्लोक का जाप करें कि मां की कृपा प्राप्त हो जाए? जानें…
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हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और शुरुआत की जाती है नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा के साथ. ऐसे में अगर आप यह श्लोक पढ़ते हैं, तो देवी के सभी नौ रूपों की कृपा आप पर होने सकती है. यह श्लोक केवल नामों का संचय नहीं, बल्कि शक्ति का प्रतीक भी है. तो चलिए जानते हैं कि आज किन मंत्रों का जाप करना चाहिए.
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि वे मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप और पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. इनकी पूजा नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है. जो भी भक्त नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा पूरे श्रद्धा भाव से करता है, उसे मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
देवीकवच में 9 रूपों का वर्णन किसने किया?
बेहद सरल और सहज सा मंत्र है. दुर्गा सप्तशती में मां दुर्गा के 9 रूपों का वर्णन देवीकवच के अंदर आता है. ये दुर्गा सप्तशती के किसी विशेष अध्याय में नहीं है, बल्कि ब्रह्मा जी द्वारा वर्णित किया गया है और देवीकवच के कुल 56 श्लोकों के भीतर मिल जाता है. ये देवी के नौ रूपों का वर्णन करता है. ब्रह्मा जी ने महात्मना देवी के नौ रूपों का संक्षेप में वर्णन किया है. प्रथम दिवस इसके मनन से मां के नौ रूपों का स्मरण होता है.
नवरात्रि के पहले दिन इस श्लोक को जरूर पढ़ें
मंत्र कुछ यूं है- प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी. तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्मांडा चतुर्थकं॥ पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च. सप्तमं कालरात्रिश्च महागौरीति चाष्टमं॥ नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिता॥ यानी प्रथम मां शैलपुत्री हैं और दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवीं स्कन्दमाता और छठी कात्यायानी हैं. सातवीं कालरात्रि और आठवीं महागौरी हैं. ये मां के नौ रूप हैं.
घट स्थापना किस मुहूर्त में करें?
2025 की शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू हो रही है और दशमी 2 अक्टूबर को है. इसी दिन कलश या घट स्थापना की जाती है. पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर की रात 01:23 बजे शुरू होगी और 23 सितंबर की रात 02:55 बजे तक रहेगी. उदय काल की तिथि मान्य होती है इसलिए 22 सितंबर को ही घटस्थापना होगी.
हाथी पर देवी दुर्गा का आगमन क्या करेगा सुख-शांति में बढ़ोत्तरी?
चूंकि इस बार नवरात्रि की प्रतिपदा सोमवार को है, इसलिए मान्यतानुसार मां भवानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. देवी का गजवाहन आगमन सुख-समृद्धि और अच्छी वर्षा का प्रतीक माना जाता है. वहीं मां इस बार भक्तजनों के कंधे यानी नरवाहन पर सवार होकर विदा होंगी.
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