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आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर का झंडा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है? रहस्य जानकर हैरान रह जायेंगे आप!

ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर बहुत ही रहस्यमयी और अद्भुत है. यह मंदिर भगवान कृष्ण के ही रूप भगवान जगन्नाथ को समर्पित है. माना जाता है कि इस मंदिर में आज भी कई ऐसे रहस्य घटित होते हैं जिन्हें विज्ञान भी सुलझा नहीं पाया है. जैसे कि हवा के विपरीत दिशा में लहराता मंदिर का ध्वज, मंदिर के अंदर सुनाई देती हुई समुद्र की लहरें और तेज धूप में भी मंदिर की परछाई का न दिखना. इन चमत्कारों को देख यहां आने वालें भक्त भी हैरान हो जाते हैं.

04 Nov, 2025
( Updated: 04 Nov, 2025
02:57 PM )
आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर का झंडा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है? रहस्य जानकर हैरान रह जायेंगे आप!

पुरी का जगन्नाथ मंदिर अपनी भव्यता और आस्था के लिए विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन इससे जुड़े कई रहस्य और परंपराएं भी हैं जो आपको हैरान कर देंगी. इसी में से एक है इस मंदिर का झंडा जो हवा की दिशा के विपरीत लहराता है. आम तौर पर झंडा हवा के साथ उड़ता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं होता. यही बात इस मंदिर को रहस्यमयी और अद्भुत बनाती है. 

हवा के विपरीत क्यों लहराता है जगन्नाथ मंदिर का झंडा? 

आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है कि मंदिर का झंडा हवा के विपरीत दिशा में क्यों लहराता है. स्थानीय लोग इसे भगवान जगन्नाथ की दैवीय शक्ति का संकेत मानते हैं. कहा जाता है कि मंदिर के ऊपर लहराता झंडा नकारात्मक ऊर्जाओं को खत्म करता है और पूरे वातावरण में सकारात्मकता फैलाता है.

रोजाना क्यों बदला जाता है जगन्नाथ पुरी का झंडा?

इस झंडे को हर दिन बदला जाता है, लेकिन यह काम कोई साधारण नहीं है, बल्कि भगवान के प्रति भक्ति और विश्वास का प्रतीक माना जाता है. हर शाम, लगभग सूर्यास्त के समय, पुराना झंडा उतारकर नया त्रिकोणीय झंडा लगाया जाता है. 

एक भूल की वजह से 18 सालों के लिए बंद हो सकता है जगन्नाथ पुरी मंदिर

सर्दियों में यह काम करीब 5 बजे और गर्मियों में 6 बजे के आसपास किया जाता है. ऐसा भी है कि अगर किसी दिन झंडा नहीं बदला गया, तो मंदिर 18 सालों तक बंद हो सकता है. इसलिए चाहे बारिश हो या तूफान, यह परंपरा एक दिन के लिए भी नहीं रुकती. झंडा बदलने का यह कार्य एक विशेष परिवार, जिसे चुनरा सेवक या चोला परिवार कहा जाता है, के हाथों से ही होता है. इस परिवार के लोग लगभग पिछले 800 सालों से यह पवित्र जिम्मेदारी निभा रहे हैं. 

झंडा बदलने के लिए 214 फुट ऊंचे शिखर पर चढ़ते हैं सेवक!

सबसे हैरानी की बात यह है कि वे बिना किसी सुरक्षा उपकरण के 214 फुट ऊंचे मंदिर के शिखर पर चढ़ते हैं और वहां झंडा बदलते हैं. कहा जाता है कि आज तक इस परिवार के किसी भी सदस्य को इस काम के दौरान कोई चोट नहीं लगी.

जगन्नाथ मंदिर का झंडा किसका प्रतीक है? 

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पुराने झंडे को नकारात्मक ऊर्जा को सोखने वाला माना जाता है, इसलिए हर दिन नया झंडा लगाकर भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है. यह झंडा केवल एक कपड़ा नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है. जगन्नाथ मंदिर का यह रहस्य भले ही विज्ञान से परे हो, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए यह भगवान की शक्ति और कृपा का जीवंत प्रमाण है.

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