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क्या है राधा अष्टमी से मां लक्ष्मी का कनेक्शन? इस शुभ मुहूर्त पर पूजा कर पाएं दोनों की कृपा

राधा अष्टमी के दिन मां राधा की पूजा-अर्चना करना बेहद ही शुभ माना जाता है. इस दिन आप इस तरह से पूजा-अर्चना कर मां राधा को खुश कर सकते हैं. शुभ मुहूर्त पर पूजा-अर्चना करने से अपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.

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श्रीकृष्ण के बिना राधा अधूरी हैं और श्रीराधे के बिना श्रीकृष्ण. इसलिए कृष्ण जन्मोत्सव के बाद बड़े ही धूमधाम से राधाष्टमी मनाई जाती है. यह दिन मां राधा को समर्पित होता है, इसलिए इस दिन पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है. उनसे अपने मंगल की कामना की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि राधा अष्टमी क्यों महत्वपूर्ण होती है? जानें सभी जानकारी.

राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार राधा अष्टमी की शुभ तिथि 30 अगस्त रात 10:46 बजे से शुरू होकर 1 सितम्बर 2025 को सुबह 12:57 बजे समाप्त होगी. वहीं राधा अष्टमी के पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 5 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. इस दौरान पूजा-अर्चना कर सकते है. 

जानें राधा अष्टमी की पूजन विधि!

राधा अष्टमी के दिन मां राधा की पूजा-अर्चना करना बेहद ही शुभ माना जाता है. इस दिन आप इस तरह से पूजा-अर्चना कर मां राधा को खुश कर सकते हैं. सबसे पहले सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें. मां राधा की मूर्ति या फिर तस्वीर मंदिर में स्थापित करें. फिर राधा जी का पूरा श्रृंगार कर फल-फूल अर्पित करें. घी का दीया और धूप जलाएं. इसके बाद पूजा के दौरान ऊँ श्रीराधायै स्वाहा का जाप 108 बार जरूर करें. साथ ही अगर आपने व्रत रखा है तो छोटी कन्याओं और ब्राह्मणों को भोजन कराना न भूलें.

 

राधा अष्टमी का महत्व

मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं भी जल्द ही पूर्ण होती हैं क्योंकि मां राधा को लक्ष्मी मां का रूप भी माना जाता है. इसलिए उनकी पूजा से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. अगर आप भी मां राधा की कृपा पाना चाहते हैं तो 31 अगस्त को आने वाले इस व्रत को जरूर रखें.

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